Book Title: Vyavahar Sutram Part 06
Author(s): Munichandrasuri
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
व्यवहारसूत्रम् दशम उद्देशकः
१७१५ (B)
अस्य व्याख्यातेरसवासे कप्पति, उट्ठाणसुते तहा समुट्ठाणे । देवेंदारियाणिय, नागाण तहेव परियाणी ॥ ४६४४॥
त्रयोदशवर्षस्य कल्पते उत्थानश्रुतं तथा समुत्थानं समुत्थानश्रुतं देवेन्द्रपरियापनिका | नागानां तथैव परियापनिका नागपरियापनिका इत्यर्थः ॥ ४६४४॥
साम्प्रतममीषामध्ययनानामतिशयमाहपरियट्टिजइ जहियं, उट्ठाणसुयं तु तत्थ उढेइ । कुल-गाम-देसमादी, समुट्ठाणसुए निविस्संति ॥ ४६४५॥ देवेंदा नागा वि य, परियाणीएसु एंति ते दोवी । चोद्दसवासुद्दिसती, महासुमिणभावणज्झयणं ॥ ४६४६ ॥
सूत्र २७-२९
गाथा
४६३९-४६४६ आगमाध्ययनयोग्यवयः
१७१५ (B)
१. परियावणिय -ला.। परियावण -मु.॥
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512