Book Title: Vruttabodh
Author(s): Shwetambar Sadhumargi Jain Hitkarini Samstha
Publisher: Shwetambar Sadhumargi Jain Hitkarini Samstha

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || श्री वीतरागाय नमः ॥ 6 वृत्तवोधः छन्दसां सुप्रसिद्धाना, - मायाले बुद्धये मया । श्रीजिनेन्द्रं प्रणम्यादौ, वृत्तबोधो विरच्यते ॥ १ ॥ पूज्याङ्गि - कमलद्वन्द्र, मकरन्दमधुव्रतः । घासीलालस्तनोतीमा, वृत्तबोध प्रकाशिकाम् ॥ ( अन्वयः) छन्दसामिति - यादी श्रीजिनेन्द्र प्रगाम्य सुप्रसिद्वानां छन्दसाम् आवाले वृद्ध भया वृत्तबोध वियत इत्यन्वयः || (टीका) प्रथमत: श्रीजिनेन्द्रं भगवन्तमर्हन्तं प्रगाम्य बालपर्यन्द्रमन्दमतिभिरपीति यावत् सुप्रसिद्धानां छन्दसां पद्यानां बुद्धये बोधाय मया श्रीजवाहिरलालाचार्यण 'वृत्तबोव:' एतन्नामको ग्रन्थो विरच्यते - निमयत इत्यर्थः । (प्रतिशब्दा:) आदौ प्रथमतः । आबालम् बालपर्यन्तेः । शिष्टं स्पष्टम् । ( भाषा) प्रथम श्रीजिन भगवान को नमस्कार करके बुद्धिवालों को प्रसिद्ध प्रसिद्ध छन्दों का ज्ञान हो, इसलिए यह वृत्तबोध बनाया जाता है ॥ १ ॥ For Private And Personal Use Only

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