Book Title: Vruttabodh
Author(s): Shwetambar Sadhumargi Jain Hitkarini Samstha
Publisher: Shwetambar Sadhumargi Jain Hitkarini Samstha

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Page 50
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Acharya Shri (भाषा) जिस के प्रति चरण में भगण तगण नगण तथा दो गुरु हों और पांचवें तथा अन्तिम अक्षर पर विश्राम हो उसको कुठभलदन्ती छन्द कहते हैं । इस के प्रत्येक चरण के स्वरचिह- (Issiuss) ऐसे हैं ॥ ४५ ॥ वैश्वदेवी हस्थो वर्णवेत्सतमोऽथो नधान्त्यो, वाणैरश्वैः स्यायत्र विश्रामयोगः । माभ्यांयाभ्यांसानिर्मितकैकपादा, प्रोक्ता काव्यादौ वैश्वदेवी सुधीभिः॥४६॥ (अन्वयः) यत्र सप्तमः अथो नवान्न्यः वर्ण : हरवश्चेत् वाणैः अश्वैः विश्रामयोगः स्यात, माभ्यां याभ्यां निर्मितकैकपादा सा सुधीभिः काव्यादौ वैश्वदेवी प्रोक्ता । (टोका) यत्र= यस्यां प्रतिचरणं सप्तमः अायो अथच नवान्त्यः = शम: वर्ण: हस्वश्चत् तथा बाणैः पञ्चभिस्ततश्च प्रश्वः सप्तमिणविश्रामयोग:- पतिसम्बन्ध: स्यात् , मगण मगण वगण-यगणैनिर्मित एकैकः पादो यस्यास्तथाभूता सा काव्यादौ सुधीभिश्वदेवी प्रोतासथिता । अत्र प्रतिवरणम (ssssssississ) इत्येष स्वरवर्णन्यासनियमः ।। (प्रति०) व्याख्याताः सर्वे ॥ (भाषा) जिस के एक एक चरण में सातवा और दसवें अक्षर लघु हो एवं पांचवें तथा अन्तिम अक्षर पर विश्राम के For Private And Personal Use Only

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