Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya

View full book text
Previous | Next

Page 169
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०सू० स्मण दुजोहणस्मचारगपालस्सबहवे अयकूडीओ अप्पेगइयात्रो तंबंभरियात्रो अमे गयात्रोत १६३ उयभरियानो अप्प गइया सौसमभरियात्रोअप्प कलकलभरियाबोअप्प खारतेल्ल० अगिणीकार्य सिअहहियाअोचिट्ठतितस्मणंटुज्जोहणस्मचारगपालस्सबहवेउहियात्रोत्रासमुत्तभरियात्रोअप्यह त्थीमु०अप्प उट्टमु० अमे गोमु०अप्मेएलयमु० अप्प महिसमु०बहुपडिपुस्मायोचिइतस्मणंदुजोहण भाषा * धर्मोपापीयावत्माठेकी येअणंदपामेतेदुर्योधनकोटबालनेएतादृशरूपएहवोचोरनेबांधिवानोकोटवालनाउपगरणताहदुर्योधनको टवालनेघणीलोहनीकडीभाजनविशेषडतीएकेकत्रांबानोउष्णरसभरीकरीएकेकतस्यानोउष्णरसकरीनेभरीएकेकसीसेकरीनेभरी एकेकचूर्णादिकेमिश्रउष्णषांणीभरीनेएकेकखार तेलसहितभरीनेअग्निकायेउष्णकरीउकालीउष्णकरोमू क्यारेतिहां दुर्योधनकोटवा लनेषणाभाजनविशेषपढाई सेनामे तथाघडालघूमाटलीअश्वनामूत्रतेणेकरी भरीएकेकहाथीनामूलतेणेकरीभरी एकेकऊंटनेमत्रभ रोएकेकगोमवेकरीभरीएकेकउर्णादिकनेमूवेभरीएकेकउर्णादिकने मूत्वेभरी एकेकमहिषनेमूत्रेकरीभरीघ[प्रतिपर्णकांठाताईभस्या 器業器器器装器器業業器装器業業業業業業 售辦擺業养养職業兼業养業兼職养業蒸养業業 For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287