Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya
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शूनसुखपूनहस्त थिविथिवेंतित्तिमनुकरणशब्दोयं वणमुहकिमिउतुयंतपगलंतपूवरुहिरंति ब्रणमुखानिकमिभिरुत्पद्यमानानिउई व्यध्यमानानिप्रगलत्पूरुधिराणियस्य सतथातं लालापगलंतकन्ननासंतिलालाभि:क्ल दतंतुभिःप्रगलंतोकौँनासाचयस्थसतथातंच
यंसडियकरपणासियं रसियाएयपूएणय थिविथिवित्तंवणमुहं किमिउम्ण यंतपगलंत पूयरहिरंला लापगलंतकमाणासं अभिक्खणं पूयकवलेयरुहिरकवलेय किमियकवलेय वममाईकटाई कलुणा
वीसरा कुवमाणंमच्छियाचडगरपहगरेण अणिज्जमाणमग्गं फुट्टहडाहडसौसं दंडंखंडवसणं हाथसज्यापगसडीछेहाथनी आंगुली सड़ी केपगनीयांगुली सड़ाछेकांननासिका रसोयेकरी पौरूडूकरी थिथिवकरतोषणु शब्द करेले ब्रणमुखजे गुंबड़ानेमुखे तिहाथोकमतेरुधिरसहितकमपडेछे झरेछे पौरुयेलोही लालामुखधकी झरेछेकाननाकवलीगलेछे वारंवारएकलौराधिनाकवलीया लोहोनाकवलीयानि:केवल नि:केवलकृमिनाकवलीमुखनेविषेवमतोथकोकलेशकारीवचनदयामणो कुरुणाऊपजे पाडवावचन रोवतोथकामाखीनादसमूहभणभणती मार्गेतेरनेकेड़े जादूछे फुटीहांडीसरीखोमाथोएतलेमाथाना
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