Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya
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मारब्बानीचेत्यर्थः मणिकणगरयणचित्तेइत्यादि एगचणंमहंभवर्णकरेति अणेगखभसयसंनिविट्ठमित्यादि भवनवर्णकसुन दृश्यं पंच सयाउदाउत्ति हिरण्यकोडिसुवर्णकोडिप्रभृतीनां प्रेषणकारिकांतानोपदार्थाना पंचपंचशतानि सिंहसेनकुमारायपितरौदत्तवन्ता
हसेणस्मकुमारस्म अम्मापियरोअण्णया० पंचपासायवडिंसयाई करे अभ्भूगए तएणंतस्ससोहसे णस्मकुसारस्म अस्पया० सामापामोख्खाणंपंचण्हरायवरकण्हगसयाणं एगदिवसेणंपाणिगिराहा
वेदपंचसयउदात्रो तएणंसोह. सामापामोहिं पंचहिंदेवौसएसिद्धिं उमिनावविहरत पिता एकदाप्रस्ताव पांचप्रासादशिखरबंध घरकराया अतिहोऊचा तिवारपछीते सौरसेनकुमारने एकदाप्रस्तावे सामाप्रमु खदेवी पांचसे५०० मोटीराजानीप्रधानकुमारीकन्या एकेदिवसे पाणिग्रहणकरायो पांचसेहिरण्यकोड़ि पांचसेग्राम पांचसेहाथी इत्यादिकपांचमेसर्ववस्तुदोधाछे तेसोहकुमार तिवारपछौसामाप्रमुख ५. प्रांचसेदेवीराणीसंघातेमाथे प्रासादऊपरपंचप्रकारे विषयसुखभोगवतोयको विचरेके तिवारपछीतेमहासेनराजा एकदाप्रस्ताबे कालप्राप्तड़वो पत्य पाग्यो भनेकप्रकारेनौहरणकौधो
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