Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya
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२२०
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णगाणंपंचगह सवत्तीमयाणएगणपंचमाई सयाड्डूमौसेकहाएलबहाई सवणयाए अन्वमन्त्र सहावेतिश्एवंवयासौएवं खलुसीहसेणे रायासामाएदेवीएमुच्छिए४अम्हधूयाउणोआढाइनोपरियाणचणाढाएमाणेअपरियाणमाणेविहरजातियावत्करणाच्च दंदृश्य तंसेयंखलअम्हसामंदेविं अग्गिपयोगेणवाविसप्पयोगेणवा सत्थपयोगेणवा जीवयाउथिवरोवित्तएएवंसपेहिंति संपेहिताममं अंतरा
याई एकूणपंचसवत्तौसयाणं इमोसेकहाएलवएसवणयाए अण्णमण सहावेइएवंव० एवंखल सौहसणेराया सामादेवीएमुच्छिए४ अ धयात्रोणोआहाजाव अंतराणिय छिहाणियजावप
डिजागरण मज्जणंममंकण कुमरणणंमारसइत्तिकट्ट भौया४ झियामितएणंसेसोहसेरा * एकेऊणीपांच से सोके अने रके उणीपांच से सौकनीमातानी एहबीकथावातलाधीसांभलीकांननेविषे मांहोमांहिएकठोपांचसेएके उणीमिलीने इमकहेदूम निश्चय सीहसेणराजा सामारांणीनेविषेमूर्छितम्टवछे४ अम्हारीधूवावेटीने आदरमाननधौदेतोडूमवि चारीनेमुझनेमारिवाभणी छिद्र देखे यावत् शब्दथकीजोतीथकीविचरेछतेमाटे नजांणीएमुझनेकेणे कुमरणमारस्य इमकरी बोहनी
器器器貓樂器課業黑米紫器默梁器器器采茶器
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