Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya
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वि.सु.
४
अंजूएदेवीए बहवेउप्पत्तियाहिं४ बुद्धिहिंपरिणामेमाणाइच्छतिअंजूएदेवीएजोणीसूले उवसामि तेणोसंचाएइ उवसामित्तए तएणतेबहवेविज्जाय, जाहेणोसंचाएद् अंजूएदेवौए जोणीसूलेउव सामित्तए ताहेतातंता जामेवदिसंपाउ० तामेवदिसं०प०तएणसाअंजूदेवौतायेवेयणाएअभिभूया समाणी मुक्कामवाणिम्साकठ्ठाकलणाई वौसरा विलवदूएवंखलगो अंजदेवीपुराजावविह
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वीनेअंजूदेवीनोरोगटालवाभणी घणीपरेउत्पातकीपादि8 बुद्धिपरिगमावताथकावांछिवालागाअंजदेवीनोयोनिनोसलरूपरोग उपशमाविवाटालपरंनहीसमर्थ तेरोगउपशमाविवा तिवारपीतेषणावैद्यवैद्यनापुत्र जिमसमर्थनही अंजूदेवीनीयोनिनोसलरोग उपशमाविवानेविषे तिमजतेवेद्यशरीरेखेदपांमी मननेविषेखेदपांग्यापले जिदिसोचाव्याहता तिमजतेदिसेपाकागया तिवार पछीतेअंजूदेवौतेहवीवेदनाई व्यापौषकीपराभवीथको सुकाणोक्षुधाये व्यापीथकीमांसरहित कलेशकारीयावचन दीनदयामणा NE वचनविरूयापाड्यावचन विलापकरके इमनिश्चहेगौतमअंजू देवीपूर्वलाकर्मभोगवतीविचरेछे अंजूनामाहेभदंतदेवीकालनेसमेका
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