Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya

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Page 241
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी. मातेतिबद्धमानबुद्ध्याभक्तः मार्टभक्तचाप्यभूदिति कल्लाकलं तिप्रात:२ गंधवट्टएणं तगंधचूर्णेनजिमियभुतत्तरागयाएत्तिजेमितायांकृत ___ रियाएसट्विंउपिपासायफुट्टयत्तीसउपगिज्जश्त्ताजावविहरइतएणतीसेवेसमणेरायाअणया का ___ लधम्मु०णीहरण जावरायाजाएपूसणं दी तएण से सण दिराया सिरीएदेवौएमायाभत्तेयाविहो त्थाकल्लाकल्लिजेणेवसिरीदेवी तेणेवउ०३ पायपडण करेइश्त्तासयपागसहस्सपागेहितेल्लेहिंअम्भि गावेद अट्टिसुहाएमससुहाए तयासुहाएरोमसुहाए चउविहाए संवाहणाइसंवाहावेर सुरभिणा भाषा * नाटकपड़तेथकेयावत्सुखभोगवतोयको विचरेतिवारपछीतेवेसमणराजा एकदाप्रस्तावेकालप्राप्तहुयोराजानोनीहरणकोधोयावत् * पसनंदीराजबैठोराजाथयोतिवारपछोतेपूसनंदीराजासिरीदेवीमातातेमातानोभक्तडवोदिनदिनप्रते जहांसिरीदेवौतिहांबावेमा * वीनेपगेपड़वोकरेकरी नेपछेसतपाकसहस्सपाकतेलतेणेकरीचोपड़ावेहाड़नेसुखकारीमांसनेसुख० चांवडीनेसुखकारीरोमने सुखका रीएचिहंप्रकारे मर्दनकारावेतेमर्दनकरावेकराबीनेसुरभिसुगंधउगटणेपीठीतथागंधचूर्णेकरीउगटावेउगटावीने त्रिणपणीनेकरी 業業競業業業兼職業聚器器 燥器素养聯辦業業業業兼器兼漲漲漲漲器器 KEKENERH For Private and Personal Use Only

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