Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya
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बिष्टी.
२३८
सूत्र
भाषा
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रुष्टःकोपेनविमोहितः इहान्यदपि पदचतुष्क दृश्य तद्यथारुद्वेत्ति उदितः रोषः कुविएत्तिप्रवृद्धकोपोदय: चंडिकिएन्ति प्रकटितरौद्र रौदेवीतेणेव ०२ सिरिदेवीणिमाणं णिच्चे जोवविप्पजट पास हाहाहो कन्नमित्तिक दृ.रोयमाणौ३ जेणेवपूसणंदौराया तेणेव १२ पूसणं दौरायाएवंव० एवं खलुसामी सिरीदेवीदेव दत्तादेवीए अकालेचेवनीबियाओविवरोविया तरणंसेपूसणंदीराया तासिंदासचेडीणं अंतिए एयमट्ठ'सोच्चाणिसम्ममन्हया माइसोएणं अफण समाणेफर सुणियत्त विवपं चगपायवेधसधरणौ dedicated उखासादिकप्राणरहित जीवचेष्टा कंपनादिरहित जीवरहितदीठीदेखीने हाहाकारकीधो अहोचाचर्यमोटोआ कार्य ओमकहीने रोती आकंदकरतीथको जिहां पूसनंदौराजातिहांआवे आबीने पूसनंदौराजाप्रते इमक हेइमनिश्च हेसांमीश्री देवौदेवदत्तादेवौने अप्रस्तावे जीवतव्यथकी रहितकीधी तिवारपछीते पूसनंदीराजाये तेदासीने समीपे अर्थवार्त्ता सांभलीहीये धरीनेषणोमातानेसोगेकरी व्यापोड तो फरसी करीने काप्योजिमचांपानो वृक्ष किम हेठोपडेतेहनीपरे धरतीतलानेविषे तिमज
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