Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya
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वि.सू.
२२५
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रहंदेवौसयाणं एगुणगाणपंचमाईसयाईसौहरणो आलोबियाईसमणाई रोयमाणा३ अत्ता णा असरणाई कालधम्मुणासंजुत्ताईतएणसेसोहसेणेराया एयकम्मे४ सुबहुजावसमज्जिणित्ता चउत्तीसंवाससयाइपरमाउपाल इत्ता कालमासे० छट्टोएपुढवौए उक्कोसेणंबावीसंसागरोवमाई द्वितौउववस सेणंताबोअणंतरंउव्यट्टित्ता इहेवरोहीडएणयरेदत्तस्मसत्थवाहस्स कराहसिरौएभारि
याएकुच्छिंसिदारियताएउववस तेणंसाकण्हसिरीणवरहमासाणंजावदारियंपयाया सुकुमालजा 1 जणीपांचसेधायमाता सीहसनराजाये अग्निलगाखेड ते रोतांआकंदकरता दुखहरतारहित सुखकरतारहितकालप्राप्तयति
बारपछीतेसोहसेनराजा एहवेकर्मकरवेकरी अतिहीषणोपापउपारजीने चउत्रीसमेवरसनोपरमउत्कृष्टो पाउखोपालौनेकालने समेकालकरीनेछट्ठीनरके उत्कृष्टो बावीससागरोपमनोस्थिति अपनोतेतिहांथी आंतरारहितनीसरीने एहजरोहीड़नगरनेविषे दत्तनामासार्थवाहनी कन्ह सिरीभार्यानी कूखेपुवीपणेऊपनी तिवारपछे तेकन्ह श्रीनवमेमासे यावत्दारियंपुवीजनमो सुकुमाल
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भाषा
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