Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya
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त्तिष्ठडिलेष मत्स्यपु जान् कुर्वत्ति वम्मणेहियत्ति वमनंस्वतःसंभतं छद्दोहियत्ति छह नंद्रवादिद्रव्यप्रयोगकृतं उवीलणेहियत्तिअवपी डनंनि:पीड़नंकवलग्राह: गलकंटकापनोदाय स्थ लकवलग्राहणं मुखविमर्दनार्थवादंष्ट्रादधःकाष्ठखंडदानं शल्योद्धरणं यन्त्रप्रयोगकंट
गलाश्रोणिहरित्तए तस्मणंसोरियविपुलं अत्थसंपयाणंदलयद् तोएंकोड बियपुरिसे जावउग्यो ___ सइतोबहवेविज्जायमंएयारूवं उग्घोसणंउग्धोसेज्जंतंणिसामेइश्जेणेवसोरियगिहे जेणेवसोरि
यमच्छधे तेणेवउ०३ बहुहिंउम्पत्तियाहियष्ठ इच्छतिसोरियमच्छधे मच्छकंटगंगलाोणीह लेलागोछे जेको वांछे वैद्यवैद्यनापुत्र सोरियदत्तमाछीने मच्छनोकांटोगलायकी काढ तेवैद्यनेसोरियदत्तमाछीषणीअर्थसंपदाल मोदीये तिवारपछीतेकोट वीपुरुषे यावत्तिमजनि!षपाद्यो तिवारपछीतेषणेवैद्य एतादृशरूपएहवोरूप एहवोनि!षपाड़ताथ काउदघोसमाभल्योसांभलीने जिहांसोरीयदत्तमाछौनोघर जिहांसोरीयदत्तमाछी तिहांआवेधावीने घणीउत्पातकीवविजेअणदी ठीअणसांभली अणबेदौआपणीमतिकरीनेविसवअर्थवांछ सोरीयमाछीने मच्छनोकाटोगलाथकीकाढवाने औषधनेपायवेकरीस
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