Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya

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Page 213
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 樂器器需鬆樂器樂器樂器器需辦業 तंइच्छामिणं तुम्भेहिं अभणुनाया इत्यादिकाउवाइयति उपयाचितंवाच्य दोहदोपिगंगदत्तायाववाच्यति एगडियाहिंति नौभिः महंमेदारएसोरियस्म उवातियाणडए तमाण होउअह्म दारए सोरियदत्तणामेण तएणसेसोरि यदत्त दारए पंचधाइ जावउमुक्कबालभावेविणाय परिणयमित्त जोबणेहोत्था तएणसेसमुदत्त अमया०कालधम्म णासंजुत्त तएणसेसोरियदत्त दारए बहहिमित्तरोयमाणे समुदत्तस्मणौहर शंकर अया० सयमेवमच्छ धमहत्तरंगत्तं उवसंपज्जित्ताणविहरडू तएणंसेसोरियदत्तेदारए दत्तयक्षनीपूरी यावजिवारेअम्हारेएबालक सोरीयदत्तयक्षनीपूजाकरौने पुत्रमाग्योतेपुत्वलाधो तेमाटेङज्योअम्हारेवालकसोरिय दत्तनामा तिवारपछीसोरियदत्त बालक पंचधायेग्रह्योथको यावत्वधवालागोबालभावथकीमुकाणोविज्ञाननी प्राप्ति भरयोवन थयो तिवारपछोते समुद्रदत्तमछांधएकदाप्रस्तावे कालधर्म कालप्राप्तहबो तिवारपछीते सोरियदत्त पुत्रघणामित्रसंघाते रोतोथको समुद्रदत्तनो नौहरणकरकरीनेसत्य कार्य एकदाप्रस्तावे पोतेआपणपेमहत्तरमाछीनो अधिकारपणो अंगीकारकरीने विचरवा 器器兼職兼職業兼兼擺攤漲漲漲漲漲漲職兼職計 For Private and Personal Use Only

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