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८. छंदोरचना
विलासवई - कहा अगियार संधिमा विभक्त छे. अगियारे संधिना नाम तथा कडवकोनी संख्या नीचे मुजब छे --
संधि
नाम
१ सणकुमार - विलासवई -समागमो नाम ... संघी
२ विणयंधर - संधी...
२७
२३
२३
२३
३१
३३
२९
३८
३४
१० जणय समागमो नाम... संधी...
२७
११ सणकुमार - विलासवई - निव्वाणगमणो नाम.... संधी...
३९
विलासवई - कहा नी बन्ने प्रतोमां प्रथम अने अन्तिम संधिना नाम नथी. पं० बेचरदासजी दोशी ते बे संधिना जे नाम सूचवेला ते अत्र आप्या छे.'
अगियार संधिना मळी कुल ३२७ कडवक थाय छे. नानामां नानुं क्डवक ८ पंक्ति एटले के १६ पादनुं (संधि - ४, कडवक - ९ तथा संधि - ६, कडक - २५ ) छे अने मेटामां मोटुं कडक ५२ पंक्ति एटलेके १०४ पाद के चरणनुं ( संधि - ११, कडवक - ३२) छे. पण मोटा भागना कडवको १० थी ९२ पंक्तिना छे. दरेक संधिना प्रारम्भे एक श्लोक - ध्रुवक छे. ते पछी प्रथम कडवक शरू थाय छे. दशम संधिना प्रथम चार कडवकमां पण प्रारम्भे जुदा छंदमां एक एक गाथा मळे छे. सिवाय समग्र कृतिमां कोई कवकमां आद्य गाथा नथी. दरेक कवकना अन्ते घत्ता रहेल छे.
३ भिन्न वहण संधी...
४ विज्जाहरी - संधी...
५ विवाह - विओय - संधी ....
६ विज्जा - सिद्धि- संधी ...
७ दुम्मुह - वहो नाम... संधी...
८ अनंगरइविजय- रज्जाहिसेय- संधी ...
९ विणयंधर- संयोगो नाम.... ... संधी...
कडवक-संख्या
दरेक संधिना अंतिम घत्तामां कविए श्लेषपूर्वक पोतानुं नाम 'साहारण' युक्तिथी गुंथी लीघेलुं जोवा मळे छे.
संधिना आद्यश्लोक - ध्रुवक - अने ते ते संधिना कडवकोना अंतिम श्लोक - घत्ता-ना छंद एक ज छे, ज्यारे कडवकना छंदो अने घताना छंदो अपभ्रंश संधिबंध काव्योमा सामान्य रीते होय छे तेम जुदा ज छे.
नीचे पहेला कडकना अने पछी ध्रुवक ने घत्ताना छंदोनु विश्लेषण कर्तुं छे. कडवकना छंदो:--
१) पद्धडिया (सं० पद्धति के पद्घटिका )
कवकोना छंदोमां साधारण कविने पद्धडिया प्रिय छंद लागे छे. ३२७ कडवकोमांथी २३८ कवकोमां ते वपरायेल छे.
लक्षण:- चार चतुष्कल गण ४ x ४ = १६ मात्रा अने अंतिम अनुप्रास.
१. भारतीय विद्या पत्रिका, वर्ष-५, अंक - ४-५- ६. पृ० २२,
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