Book Title: Vilasvaikaha
Author(s): Sadharan, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 302
________________ पप्पड - ८.३५.१२ पापड (तिविह पप्पड - त्रण प्रकारना पापड ) पासुंगरो - ८.३६.५ (१) पिट्ठय ८३६.९ पीठु पूरण - ८.३६.१० प्रण पोटफल - १.२६.१५ ( पूगफल ) - फोफळ, सोपारी फीणी - ८.३७.६ फेणी फोग्ग - ८. ३६.७ फोग, एक जातनुं शाक बेरवडी - ८. ३६.६ बोर-वडां मंडअ - १.२५.११ - ( मण्डक) मांडां, एक मिष्टान्न मिरिअ - ८.३७.१२ मरि, तीखा मिरिया - ८.२.९ मरवां मिरियवड - ८.३६.९ - मरचा - वडां मुग्ग - ८.३७.२ मग मुग्गह दाली - ८.३५.११ मगनी दाळ मुरुक्क - वडिया ८.३७.८ - मुरकी मोतीया - ८.३७.९ - मोतीया लाडु राइय - ८. ३६.४ राई रिंगग - ८.३६.२ रीगणा लड्डु - ८.३७.९ (लड्डुक) - लाडु लप्पसिया - ८.३७.८ (लापनश्री) - लापसी लत्रण - ८.३६.११ ( लवण ) - लवण, मीठु लावणा- ८.३७.९ एक प्रकारना लाडु लोणरुक्ख - ८.३५.९ (१) लोणओ- १ - ८.३५.४ लोण अग्गेयत्थ - ८.२०११ ( आग्नेयास्त्र ) जेमांथी अग्नि नीक्ळे एवं अत्र असि - ८ ४.४ ( असि ) तरवार कंड - १ ७.८ ( काण्ड + क ) - बाण कत्तिय - ६.२६.८ ( कर्तिका) छरी, काती करवत्त - ६.१९.७ ( करपत्र ) - करवत करवाल - ७.१६.११ ( करवाल ) तरवार कुंटि - ८.४.९ ( कुन्ति ) - शस्त्र - विशेष कुडअ - ७.१०.५ ( कुठार + क ) - कुहाडी Jain Education International वंग - ८.३६.८ (दे०) वृताक, वेंगण (दे० ना० ७. २९) वंस - आमलय ८ ३५.१० - ( वंश आमलक ) वांसनं अथाणुं ? वडिया - ८.३६.६ वडी वत्थुलो - ८.३६.४ बथवानी भाजी व रेसोल - ८.३५.६ (दे० वर्षोलक) वाइंगण - ८. ३५.१०,८.३६.२ वेंगण, रींगणां संगरो - ८.३६.५ (?) संधाणय - ८.३५.१० अथाणां सन्न - ८.३७.७ (१) समोसिय-८. ३६.१० समोसानु ? सरिसवी - ८.६६.४ सरसवनी भाजी ? सालग - ८.३५.७ ( सारणक) - कढी जेवुं कोइ पेय सालि - ८. ३५.११ ( शालि ) - चोखा सिंधुलत्रण - ८.३५.७ - (सिन्धु - लवण) सैंधव, सिंघालूण २९ सिहरिगी - ८.३७.११ (शिखरिणो) शीखंड सीह के सरा - ८.३७.९ - (सिंइ - केसरा ) -एलची अने मरी नाखेला लाडु (अ० चि०) सुंठे - ८.३७.१२ ( झुण्ठि) - सुंठ सुंहालियां-८ ३७.७ सुवाळी सूरण - ८.३६.१० सूरण सेव - ८.३७.१० सेव ६. शस्त्रास्त्र सोहं जग - ८.३६.७ (शोभाञ्जन) - सरगवो हरडइ - ८.३६.६ ( हरडे) - हरडे हिंगु - ८.३५.१९ (हिङ्गु) - हिंग कोयंड - १.२३.७ ( कोदण्ड ) - धनुष्य खट्टग - ११.१९४ ( खट्वाङ्ग ) शिवजीनुं एक आयुध खुरुप्प - ८.१८.११,८.१२.११ ( क्षुरप्र ) - खुरपी, अहीं एक प्रकारना बाण तरीके उल्लेख लागे छे. खेडय-९.११.९ ( खेटक ) - ढाल, खेडुं गया- ७.२९.३,८.४.८ ( गदा ) - गदा गरुडत्थ - ८ २१.१ ( गरुडास ) - गरुडास For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310