Book Title: Vilasvaikaha
Author(s): Sadharan, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 292
________________ सुतइड विय-६.२८.२ (सु+तत ) -विस्तृत, फेलायेल, सारी रीते ताणेलु सुत्ति-१०.२.१० (स्रोत ) प्रवाह सुप्प-३.२.५ ( शूर्प) मुडु सुरवारुगी- २.१३.११ (सुरवारुण)-इन्द्र वारुणी ना ५ळ, इन्द्रवाणां सुवण्णाहिदिठयअ-- १ १.१ ( सुवर्णधिष्ठित) -- १. सु+वर्ण-साग वर्ण वाळ (काव्य साथे) २. सुवर्ण-सोनु मढेलु (हार साथे सुवाण-८.२९.४ ( सोपान )- पगलियु सुसर-८.२६.११ १.सुरवर सारा अवाज- कलबलाटवाळु (घर साथे)२ सुशर-सारा घास वालु (डांगर साथे) ३. सुस्वर-सारा रागवाळु (गीत साथे) ४. सुसर-सासरावाळो (वर साथे) ५. सुशर-सारा बाण- वाळु (धनुष्य साथे) सुसुत्त-९ २२ ३ (सुश्रुत)-सार! ज्ञानालु सूयार-८.२.११ (सूपकार )-रसोइयो सेणाभडी-८.३.३ (सेनामटी)-सैन्यमां रहेली स्त्री सोंडोरवाय-११.१४.३ (शौण्डीरवाद) शूर होवानो वाद हक्क- आह्वान करवू हक्कंन-२.११.७ वर्त० कृ० हकर -१.२१ १२ (हाकार )- होकारा, कालाहल *हक्कारिअ-५.३.५ बोलाव्यु अकारित पा०स० म०) *हक्कोहक्क-८.११.४-कोलाहल *हड्ड-६.२६.७-(अस्थि)-हाडकां (दे० ना० ८. ५९) * हम्मिय-८.२६.२ (हर्म्य)-हवेली ( हम्मिों -गृहम्, दे० ना० ८.६२) हयासि- १.१५.७ (हताश)-- हताश *हलबोल-३.१७.३ धमाल, घोंघाट (दे० ना० ८.६४) हलुयत्तण-२.३.८ (लघुकत्व)-हलकापणं *हल..प्फल अ-८ २८.८-हडफडाट, हांफ ळापणुं आकुळता (दे० ना० ८.५९; प्रा० व्या० २. १७४) हल्ल --हलवु (हल्लिअं-चलितम्, देना० ८.६२) हल्लावंतउ-३.११.८ प्रे० वर्त० कु. ___ हल्लाविउ-३.१.१० प्रे० भू० कृ० हव-८.१९.३ ( हव )-हवन हिययय - ३. १२. १२ (हृदय + क ) __- हैडु, हैयु, हृदय हुंकारअ-८.२.१५ (हुकारक)-होकारो हुट्ठ-११.३८.६(अर्धचतुर्थ) ऊंटु, साडा त्रण *हुत्त-१.१५.३-अभिमुख, सामे (दे. ना. ८.७०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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