Book Title: Vilasvaikaha
Author(s): Sadharan, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 275
________________ * अथाह २. २ १० (अस्ताघ)-अथाग (दे० ना० १. ५४) अदिवसइ (१) २. २०. ८ (?) अदिधण(?) ७. २९. २ (अर्द्धन्धन)-अधुं बळतण, बळतण जेवू, अथवा-(दग्धेन्धन) बळेलु, बाळवा लायक इंधण (१) अन्नह ५. १९. १४-(अर्णस)-पाणी अनिवुइ २. १४. ८-(अनिवृत्ति)-अस्व स्थता, दुःख अनु-भव ६. ३. ९-(अनु+भव)-पछीनो ___ भव, बीजो जन्म अन्नारिस ३. २२. ३-अन्यादृश)-बीजानी _जेवु, मिथ्या अपच्छिम १. १४.२-(अपश्चिम)-अन्तिम, जेनी पछी कई नथी तेवु, छेल्लु. अपरिप्फुड १. १७. ८-(अपरिस्फुट)-अस्पष्ट अपाविय ३. १६. २ -(अप्राप्त)-अप्राप्त अप्पणअ १. ५. ९-(आत्मनः)-आपणु, पोतानु अप्पणी २. १६. २ -(आत्मीया)-आपणी, पोतानी अप्पत्त-मुल्ल १. २३. १० (अप्राप्त-मूल्य) -अमूल्य, जेनुं मूल्य मळतुं नथी तेवू /अपरियाण-(अ+परि+ज्ञा)-न जाणवु अप्परियाणंत-६ १६. ११ वर्त० कृ० अप्पतक्किय ६.३०.१-(अप्रतर्कित)-अस- भावित अपमालिअ ३.१.९ -(आस्फालित)-अफा- ळ्यु, हाथथी ठोक्यु *अभिट्टय ५. २०. ४-सामसामे टकरायेल (प्रा० व्या० .. १६४) अलिक्कअ-४. ५. ८ (अलीक ? )-खोटुं अलेक्वअ-३. २. ६ (अलेख्य )-लखाय नहीं एवं, अलेखे ? अबउल-१०. ६. ५ (अवचूल) मोतीनु तोरण अवविखअ-३. २. १ ( अवेक्षित ) जोयेल (प्रा० व्या ४. १८१) अवज्जा -७. २३. ८ ( अवज्ञा ) अनादर Vअवट्ट- ( अप+वृत् )-फेरवद्, घुमाववु अवट्ट-५. २०. १ आज्ञा द्वि० ब०व० अवदार-९. ७. ९ (अपद्वार)-खोटो रस्तो. कुमार्ग Vअवमुत्त (अपमूत्र) -मूतरवू अवमुत्तिवि-८. ७. २ सं० भू० कृ० Vअवयास-(अवपाश) आलिंगन करवं अवयासियअ-१०.१०.११ भू०० अवरोप्पर-८.२२. ११ (परस्पर)-परस्पर (प्रा० व्या० ४.४०९) अवसरि-९. १५. ८ (अपस्मृति)-चिंता अवहत्थिअ ६.२७. १३ (अपहस्तित)-हा__ थथी धक्को मारेल, परित्यक्त अवाय-६. ३२. ७ (अम्लान)-तार्नु, कर मायेल नहीं तेवु (प्रा० व्या० ४. १८) अवियपिपअ-१. १३. १९ ( अविकल्पित ) निःसंशय, निःशंक अविसज्जिया-१. १८.६ ( अविसर्जिता) _ विदाय नहीं करेली एवी अविहाविय -५. २७. ११ ( अविभावित) __ अनालोचित /अवे-( अप+इ)- दूर थर्बु अवेइ-६. २४. ८ वर्त० तृ० ए० व० असउण-२.१४.५ ( अशकुन ) अपशुकन असमंजस-२. १३. २ (असमञ्जस) गरबड असमाणिअ-६. ३१. १४ ( असमाप्त) पूरूं नहीं करेल ( प्रा० व्या० ४. १४२) असवार-९. २१. ९ (अश्ववार) अस वार, घोडेसवार असासअ-११. ७. ३ ( अशाश्वत ) नाशवंत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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