Book Title: Vilasvaikaha
Author(s): Sadharan, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 274
________________ शब्द-कोष [अहीं महत्त्वपूर्ण शब्दो अकारादि क्रमे मूळ शब्द, कौंसमां संस्कृत पर्याय अने पछी गुजराती अर्थ-ए क्रमे आप्या छे. अंको क्रमशः संधि, कडवक अने पंक्तिनो निर्देश करे छे. क्रियापदोनी पहेला V आq चिह्न मूक्युं छे अने पेटामां ते ते क्रियाओना रूपो आप्यां छे. देश्य शब्दो * चिह्नथी दर्शाव्या छे अने हेमचंद्राचार्यनी देशीनाममालामां जो ते शब्द होय तो उल्लेख करेल छे. संशयात्मक शब्दो अने अर्थो प्रश्नार्थथी सूचव्या छे. संकेत -- अ. चि.=अभिधान-चिन्तामणि, आ. आज्ञार्थ; ए. एक वचन; क.=कर्मणि; कृ. कृदन्त; गु.-गुजराती; तुल.=तुलनीय; तृ.-तृतीय पुरुष; दे. ना. हेमचन्द्राचार्यकृत देशीनाममाला; द्वि. द्विवचन, द्वितीय पुरुष; पउम.-पउमचरिउ; पुहइ.=पुहइचंदचरियं; पा.स. पाइअसद्द-महण्णवो; प्र. प्रथम पुरुष; प्रा.व्या. प्राकृत व्याकरण (सिद्धहेम-अष्टम अध्याय); प्रे.-प्रेरक; ब. बहु वचन; भ. भविष्यकाळ; भू.-भूतकाळ; म.-मराठी; व. वर्तमान काळ; वि.विध्यर्थ; सं.-संस्कृत; सं.भू.कृ.=संबंधक भूत कृदन्त; सम.-समराइच्चकहा; स्त्री.-स्त्री-लिंग; हिं. हिंदी; हे.=हेत्वर्थ; है. धा. हैम धातुपाठ] अंध-गड-७. १०. ११ (अन्ध-गडु)-आं- अणझाइय- ९. ३१. ७ (अ+ध्यात)-अणधळु गुमडुं चिंतव्यु अधारिअ-२. २२. ७, ७. १८. ६ अणहिअ ५. ९. ११ (अ+हृदय)-हृदय(अन्धकारित)-अंधायु (आकाश) हीन, निष्ठुर अंबिल-८. ३६. ११ (अम्ल)-खाटुं अणहोंत-४. १५. ११ (अ+भवत्) अक्खडिय-११. ३४. ८ (खड्=भेदQ ____ अविद्यमान परथी)-आखडी, वेर अणारिअ-११.६.३ (अनार्य)-अनार्य अक्खण-११.३ १४ (आख्यान) उपदेश अणिवारिय-१०. २६. १४ (अनिवारित)अगालवाहिया-५. ११. ७ (अकाल-वाहिका) __ अनवरत, वणरोक्यु -(गमे त्यारे वहन करनारी) होडी अणुचिट्ठिअ २. ४. १२ -(अनुष्ठित)-आ(जुओ गालवाहिया-सम० पृ० ४२६) ___ चर्यु, कयु अग्गल-२. १६. ६ (अग्र+ल)-अधिक अणुजेटूिठया-९. ९. १० (अनुज्येष्ठिका)अग्गाहुइ-८. २. ६ (अग्न्याहुति)-अग्निर्मा ___ मोटीथी पछीनी, बीजा नंबरे मोटी आहुति अणुवाअ-५. २१. १ (अनुपाय)-निरूपाय अग्गि-सक्कार ८. २४. ११ (अग्नि-संस्कार)- अणुसठि ११.३५.९ (अनुशिष्टि)शीखामण मृतकनो अमिसंस्कार, अमि-दाह Vअणुहुंज-(अनु+भुज्ज)-भोगववू अचुक्क -२. ११. ७(अ+च्युत+क)-अचूक अणुहुंजिवि ४.१५.१० सं० भू०० Vअच्छ (आस् )-बेसवु अणुहुंजेवि ६.१३.५ सं०५०० अच्छहि-१. १०.१० वर्त० द्वि० ए० अणेय-४.५.२ (अज्ञेय)-जाणी न शकाय तेवु अच्छिअ १. ९ ६ भू० कृ० अणोरपार-२. ४. २ (अनवरपार)-प्रचुर, अच्छेवंउ-५. २३. ६ वि० कृ० अनन्त-अपार अणज्ज ४, ६, २ (अनार्य)-दुष्ट अमियअ-५. ५. ११ (अस्तमित+क) आथम्युं, अस्त थयु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310