Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 311
________________ २२४ वसुदेवहिंडो-मज्झिमखंडे साणं वर-पउमराग-मणि-तरल-मंडिद-चतुसहि-लदाकुल-पवर-हार-भरिदारसाणं सरि. सालंकार-वय-वस्थ-ला यण्णाणं छत्तय(!)-प्पयोग-गुणण वावडाणं कुसु(!सुकु)मालाणं चेडीणं वंदं पेच्छामि । तदो पविट्ठो हं छटुं कच्छंतरं । तं च णव-सरद-समय-समुदिद-बाल-दिवागरकरावलिद-वर-कमलामल-माला-संछण्णं पिव सरं णियच्छामि । चिंतितं च मेकिं गु खलु एस पउममरो एत्थ रोविदो ? ठिदं च मे हिदए जघा एदं तं पउमकोट्टिम णाम । तत्थ य णाणाविधेसु णाणा-मणि-कणग-रयण-परिमंडिद-मिम्मयसंख-सिप्पिमयेसु दारुमये भायणेसु जधारिहेसु पत्त-पुडगेसु य विण्णत्थामो हिममंत-मलय-दद्दर-सुरभि-समुब्भव-अणुलेवणग-सुह--वार(स)-धूवविधि-विधाण-पवि-- भत्ताओ जुत्तीओ सग्जिज्जाते, धूविज्जति, वेधिज्जति, रूविजंति (2), वासिज्जति य। जध:क्कमेणं अवतदाओ तत्थेव य पवर-पेल-मंजुस-करणवर-तालियंट-रदणकरंडय-पाति-सुप्पतिद्रिय-सोस्थिय-भद्दासण-रइद-भंडय-विहाणामओ'अंडय-पोडय-चवकवालय चम्मय-किम(मि)यमादियाओ विविध-वण्णाओ वत्थ-विधाभो चिट्ठति । तत्थेव य णील-वत्थ-सम[व] थुदाहि मंचिगाहिं विण्णत्थाओ उदधि-प्पसूद-रयणमुत्ताफलगाणां विदुमय-हारद्धहार-कडग-केयूर-म उडेगावलि-मुत्तावलि-रदणालि-भुसणादियाणं विविधाणं णा-णारि-भूसणणं सज्जण-संयोग(य)ण-कम्मत-संपयुत्त णं छेय-जण-प्तारक्खिदाणं अणेगाओ रासीओ चिट्ठति । तत्थेव य वीयण-उक्खेवयतालियंट-वर-वालवीयणि-चमर-जुवलादमावपडक(?)-विविध-कणग-मणि-रयण भायणजूया संघाडह(ग)दयपवरावरेय(१) कटतलक-(!)-वर-कणर्ग-(!)खंभ-मणिमुत्ता-जालय-ललंत-सुविभत्त-कंत-अदण(१)-विदाण सयणासण-विकप्पवेत्ताधारय-विष्णस्थाणि य रायोवकरणाई चिट्ठति । मधु-सीधु-सुरासवाणि य सुरभि-वासाई एगंतमणाबाधे अणुरूव-भायण-गदाई तत्येव चिटुंति । तत्थेव य सित-संखपत्त. गोरीणं किमिराग-पट्ट-णिवसणाणं वर-कणग-णेउरालकिद-चलण-कमलाण सरिसमणि-मेहल-रसण-संगहिद-विपुल-जहणाणं पीवर-पयोधराणं वीणा-विवंचिय-सिप्पितुब-तिसरिया-गुणण-वावडाणं चेडोणं वंदं पेच्छामि । __ तदो पविट्ठो भि सत्तमं कच्छतं । तं च सुविभत्तं संख-विर इद-पउमावलि-छिण्ण-कंत-कक्केदण-रयण-मणि-मुत्ता-विभत्त-विरइद-विभाग-चदुरस्स-करणिमणि १ अडयपोण्य ख० मो०विना ॥ २. संघाडहदपवरा० मो० ॥ ३. कटंतक्क मो० ॥ ४, कणग-तुक्कणग-खंभ खं० ॥ ५. गोराणं मो० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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