Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सुदर'
! णेमित्तिणि
गदा
कल-कलाविद
[स] भुगदा
अम्ह
- दाण [? वाण ] अजार के ०
अट्ठा
पयच्छ मे । भुजदु
णिक्ल' त
दुरायारि
•
तुम्मे स्थ
पभोत्तण
पडिसीरिद
परियरिति
कहि
सुहोविदो य । जाणिज्जाघ
सुस्सूसु
इह लोइय पार०
भे
तस्थ एएको
चितितं
पुत्ते
घेत्तणं
बुद्धाए
कदिा
पुणा
डो
विकता
(१) ति
भे
Corrections
बिणमोण
घरणेण
सुदठुदर णेमित्तिणि !
गदो
कलकला विद
[अ] भुगदा
अम्हे
- दाणव (१ दाणवाण' )
अजाए य के०
अठो
पयच्छध । मे भुंजदु
णिक्खत
बुयारं
छाडा
तुमेस्थ
मोसून
पडिसारिद
परियरिति
कह
सुहोविदो य जाणिज्जाव ।
सुस्सू सुसु
इहलोइय-पार•
मे
तत्थ य एको
चितितं
पुवेण
घेणं
बुद्धीए
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पुणो
बद्धो
अवकता
सि
मे
विमी
धरणेण
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