Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 415
________________ 328 Vasudevahimdi : Majjhima-kharnda चितित -परिणयहोहि ति । विसहया -विलुब(?पण सुठ चिंतित -परिणय होहिति । बिसहिया -विलुब(?)णं पयत्ता, बितिय 97.6 979 98.19 9915 99.26 100.22 101.6 101.10 101.17 102.4 102.23 102.26 103.20 103.21-22 1044 104.15 पयत्ता । बितिया भाउणा भाउणो. -राय पुण्ण(तं) सव्वा मे विसण्णा चिराद्विती समग्गा वि य. सा ण य मे णिच्चकाल कारसितहि मो पिया य काणि (१) । -रायपुण्णं(?) सव्वा मे ।.. विसण्णा । चिसाधिति समग्गाविय से ण य'भे पिच्चकाल करिसिताहिं मे पिया । यकाणि(?) ॥ a अहा ता सि किंचि जाएण अधा-सण्णि-हिदेहि 104.20 104.22 104.23 105.11 106.23 107.6 108.12 109.1 109.1 1109 111.3 111.4 111.5 112.8 112.22 115.20 116.21 जह तालि कचि जोएणं अघोसणिहिदेहिं बधुतर तुम तभो क्सी य ताव उझेहि भम्ह मग्गतेण वायुरघो तुमसभो सखीय सावउहि, भम्हमग्गतेज वायु-रधो -5 (१)स-परिवारो । स-परिवारो सम्ये Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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