Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 413
________________ 326 Vasudevahindi : Majjhima-kharda पहणा कस्सह -पय डेण, -महा-लदो उपदिया -बाल-वीयणीयो दस्स पवेदिता सालिणि -णिसुटु. वेगवति -कउषधणे जहाऽहिखुत्ता तुझे पढम-प्पाय-पयत्ता पाणो कस्सह । -पय डेण । -महानदी उप्पदिया(?) -बालवीयणीमो ५दस्स पवेविता सालिणि -णिस० वेगवती -कउवधाणे जहा हिखुत्ता तुम्भे पदमुप्पाय-पयत्तो 59.12 59 17 5924 607 60.21 6023 61.4 61.15 62.14 62 19 6516 70.1 70.5 71.18 72.23 72.27 73.17 73.22 74.6 7421 74.22 75.1 75.5 75.6 75.21 76.1 76.17 77.6 77.8 77.12 78.13 -पति -पयाति-प्पदरहं विश्नाह हिति । तासि पावित सुभाणिणि. किवि है। विज्माहोहिति । तासि साविउ सुभाणणि किंपि. पभापण कोमा-पणे पभावेण कोमुह-विणेसु 'जहाणबेहि इहागयामो कारणे इहा-गयाभो कणे अलच्छीए? पिय-सहिनहिमुस्जिदा कारणा . 81.2 81.4 81.20 भलपछीए ! लियसहि ! सहिजुझिदा . कारणो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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