Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 412
________________ Corrections 325 37.5 37.6 379 37.21 387 3811 3821 3927 40.1 40.25 41.6 41.21 42.19 45.5 45.10 48.27 सपुन्न मरवि-दपत्तलपडिपुग्छण-- दुप्पसायणिज्जा स झासरि •भूतए ओसोयणिज्जे -पईणा(?ण्णा) निबधइय करेति भतेउराई दिणभ(?)व -- कामादरा देस कालो पिय च संपुन्न मरविंद-पत्तलपरिपुग्छण(१)-- दु पसापणिज्ना संझासिरि भूताए ओसोयणिज्जे(?जा) -पाणा(?) निबद्धइयकरेहि । अंतेउराई दिण्णअ(१ए)व कामादुरा देस-कालो. पिय च(?). -परिपालणकत-पदिण्णाए गीया चिंतेमि 49 15 50.1 50.18 5019 50.22 50.24 51.4 51.18 53.3 53.5 53.19 55 15 57 19 5721 57.26 58.28 कत-पदिणाए णाया चितेमि एवं समावतिता -मुहालद्ध -पहणा समरे(१)भूत जाणह -सषीणो समोवतिता -मुहालिद्ध -पइण्णा समरे(?णु)भूत जाणहि - सामीणो मम मण्णु'......हिययाई । त -सतित । चेरीहि मम मण्णु.........हिययाई त -सतित चेाहिं भोद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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