Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 420
________________ Corrections 333 तघेदाणि कीरिदु पुलिंदिया चितितं सम्बा -पुत्तल्लिया -भरो णतपिगिघिदूणं सिहासण. पुच्छ-मुत्तोणं णलो 238.5 238.10 238.15 238.16 242.16 243.7 243.11 251.22 255.11 256.3 256.7 256.15.24 257.4 257.8 257.9 257.10 258.21 259.20 261.14 261.22 263.5 263.20 264.9 266.19 268.19 269.18 271.14 272.10 272.13 274.10 275.13 275.16 इधं तष दाणि करिदु पुलिंदया चिंतित सच्चा -पुत्तलिया -भरोणतपिणंघिदूर्ण सिंहासण. पुत्र-मुहुत्तेणं एलो चइदूण महाविदेह-वास विधिणा इहदो चुतस्स वारेज्ज पूहओ आसि पयाहिण मोक्खो उदहि-पूरवोत्तण -सहिओ अवयासिओ महाविदे वास विधि इ चुतस्स व रेज्ज असि पय हिण मोक्खो उदहि-पुरवोत्तण -साहिओ अवगासिओ कीए काए सम्वे सव्व -सामण्ण हे पव्वओ। तेण य य संपत्ताए -सामण्ण-हे. पवओ, ते। य संपत्तीए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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