Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 309
________________ २२२ वसुदेवहिंडो-मज्झिमखंडे च मे-गुणं धणद-पसाद-पभावेणं एस जणो ममं ण पेच्छदि चेव, तपकि: संकिदो सइरं परिकमामि । अवि य, अविदिद-पढम-समागम-णिमित्त-गुण-विणय-भंसणा-भीदो । अणियद-मदी विलग्गे। वियार-दालं पिव मणूसो ॥ पण यस्य य स.लस्स य माणस्स य विवर-संकड-तडत्था । हत्थि व्व सेल-तड-संकडेसु अत्तेण गच्छामि ॥ पेच्छामि य रायते उर-भूमोओ विभव-सहिदेहिं उस्तवाणद-बद्ध-चिंधेहिं पच्चइत-पुरिसेपु कंचुगोसु य कम्म-करण-वावड-परिजणेसु आरमाणोओ। बहुसो य दोसति-सिढिल-वैल-विलंबमाण-देह-छविणो कणग-पट्ठ-वेत्तलदा-बावडग्गहत्था पतरिद-परिसक्कणा-[जणणे)द-वेग-खलिद-गमणा, सिद-वस्थ-बद्ध-परियरा पयदिपयडंड-सरिस-वयणा कंचुगि-पुरिसा ।। तदो हं तं देव-प्पभाव-देसिद-पधो इव पविसमाणो अदि-गदा हं राय-मंदिरस्स पढमं कच्छतरं । तत्थ य दिट्ठ' मया तेलछ-कोट्रिम आदस-मंडलादिरेयं पयदि-पसणं जधा-परिहिद-वत्थाभरण-णयण-वदणंग-पच्चंग-तिलगादि-फुड-पडिददिद-पडिपिंव-रसादल-पडण-भय-कारंग अणुइद-पवेसाणं विलासिणि-जण-वदण-णिहितछाया-विभूसिदं । तत्थ य बाल-भावाणुरूप-लहुदर-विभूसणाणं जोव्वणादिसय-वावोणं पिव णवुप्पदण-वारि-चक्कवाग जुवल-सरिस-थण-जुवल-सोभिदोरत्थलाणं कमलपत्तसरिस-राग-वसण-परिहिदाणं पयति-साम-वण्णाणं एग-वय-एग-रूवाणं एगावलि-सुत्तगग(?सम)वस्थिदाणं भरध-णाडय-गुणण-वावडाणं चेडीणं वंदं पेच्छामि ।। तदा पविठ्ठो हं बिदिय-कच्छंतरं । तत्थ य दिटुं मया पवरं द[धि]कोट्टिमं जं तं वर-हार-दधि-दग-रयद-सरिस-भासं पच्चग्गं पिव घर-रेहाविभाग-पविभत्तं कद-सोभं गव्वं दधि(:)। तम्मि य विविध-खमेसु पदिद्विद-वैलद्विदसालभंजिया-कलिदे पेच्छामि सुकदाई देवतायदणाई चंदणाणुलेवण मल्लदामालंकिद-चामर-भरंधयाराई पयदि-विणोद-सुइ-पयद-वेस-परियणाधिद्विदाई। सजल-जलघरसरिस-वण्णाण य गुंजद्ध-राग-सरिस-दुगुल्लय-परिहिदाण य ससि-किरणामलविमल-मुत्ता-गुण-पवर-सारेस-भूसण-सरिस-वत्थ-परिहिदाणं चेडोणं णट्ट-सुत्त-गुणणवक्खिताणं वंदं पेच्छामि । १. लोसणा खं• मो• विना ।। २. वणे वि० ख० विना ॥ ३. पुड खं० मो. विना ।। ४. विसालिगी मो० विना ।। ५. पवरदधिगदरयद ख० मो• विना ॥ ६. वलहिद खं० विना ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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