Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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Vasudevahindi : Majjhima-khanda
88.21
81.11 भिक्खुता (१)
मि(! होक्खुता 81.14 या (? आ)ति
या(? तासिं 83.16 -ककटा(? कट)क
--(क)कटा(?ट)क86.7-8 मियसिरं......पसत्थाई । We have here a Gatha :
मियसिर अहा पुस्सा, तिणि य पुन्वाइं मूलमस्सेसा ।
हस्था चित्ता य तहा, दस विज्जाणं पसत्थाई ॥ 88.5 -पलंतचुनचुगा(?)-रसितं -पला? इं)त-चुजचुगा(थुगथुगेग,रसितं 88.11 -बहुर(?)-मासलिओ (१) य -बहुर(?लामासलिओ य धराक, ति
ति-गाउदुस्सेध-विग्गहं 89.2 अविरि (2)
अविरि(? वरिं) 89.8-9 बह-मज्झ-देसासन्न...... Emend as बहुमज्झ-देसासन्न-सुणिविठवायवीमाण
सक्कसतिय-रतणपसाद-चतुक्क, पंच-जोयण
सदसित-अग्गेय-णेरित-वायवीसाण' 91.19 -संघस-पणवत(र)-सूर-वधूण ___ संघसएण वतरसूरवधूण जूगणंजूगण (?)
(? जुगच्छण) 92.2 -दयिदा-कर-कमलाकदिउयय- Emend as-दयिद-कर-कमलाकडिउउयकुसुम-भरातासि (१)
कुसुम-भरोनामि[य] 92.18 -लव गोलूय (?)
-लव गोलू(? गेल)य93.2 संगहिय-मुद्धयाए पडिमोवया संगहिय-मुद्रया पडिमेवया(? मा) 93.3 जवयंती...... संपत्तीउ जवय ती । अवसरितो य मि ततो एगत सपत्तीओ ।
भणइ य मम... 93.17 समतिच्छियाए भणियाउ समतिपिछयाए [सझाए] भणियाओ 93.22 धानु (१)-रक्खस-पिसायाउधाल- धानु(दणु)-रक्खस-पिसायाउपाल(?पिसाय ..? ण)
-जाउधाम)93.24 -निम्बुडतिणासे (?) निम्बुडतिणासो (? निम्बुड्ढत-णास) 94.5 तओ देहि
तओ [मया भणिय-] देहि 94.17 समीवे
Reading and is preferable. 94.17-18 सलिस आसे दूण ......अव- Meaning is not elear.
सरिऊणं, . 95.14-16 से (? स) सति व ... This is a Gathaघणग्छणभूया
से(? स) सति (व) हसति (व) विष्फुरति व, सज्जीवा इव उवेदि हिदयस्स ।
कामस (?स्स) रागभूमी रदि व्व जयणच्छणभूया ॥ 95.19 उम्मेज्जामि
From उद् + भिद् meauiug bese, perated'.
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