Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 379
________________ 292 Vasudevahimdi : Majjhima-khanda 6022 सगलस तसिद (2,-सिदादपस्तो सगल(? मुल्ल)सत-(सिद)सिदादपत्तो 60.24 मम सगास (?) । मम सगास पित्तो] । 611 दे उअसमीय (?) दे, उअ('व)समीय(?मेहि) 6118 सुणंतु से ये केयि णियमा वा- सुगंतु, से ये केयि णियमा बा(? धा)रेह, (घा)रेह 61 19 जयवीहिदि (?) यवी हदि(?दं) 61.23 विरुज्झनाणगे अधिगया(? ए) विज्झमाणगे। ग) अविणया(?यं) 61.4 पच्छायावगे। पच्छा-यावगा(?बाहओ) 628 अवणीयस्स अ[5]व(वि)णीयस्स 62.9 कह.........आयाइस्सति(?) This seems to be a blend of active and pasive construction. आयाइस्सति=Sk. स्वीकरिष्यन्ति. 62.15 पिव [लोग], लोगहिदि व पित्र लोगठिहिं (व तत्थ) पेच्छामि तस्थ पवर. तत्थ पेच्छामि तन्थ पवर० 636 पावति(१) पावति ? बाधति) 63.19 णसूशओ(?) णसू (?पूरिदाओ 64.10 पोलयामि ओल्लवामि =Sk. उल्लपामि 64.11 परितूसुरेहितो(?) परितूसुरेहितो(? पि रिबुसु राहिता) 61.13-14 कीस ससिपादय(!)-पुरिसे। कीस(स) सि पादय(? यद)-पुरिसे। 64.23 अच्छले(?) ण अच्छलेण(?अच्छेण) 65.11 तुज्झ तुम?न्मे) 6522 धरिसिओ घरिसि(?स)ओ 65 23 तात तात (१३) 66.2-3 एण्हि...पणासेमि ।। एहि वि ताव पेच्छह, मुचह य मम ...||१ लग्गतु मएस (?ममेस) विज्जाहरा (म) अविज्जा. धरस्स जुधेणं । जा से (स)परिवारस्स वि खणण त(? द)प्पंपणासेमि ॥२ 67.9 महदियणस्था महदि य(अ)जस्था 67 16 रयवगिरि रयब? द)गिरि67 18 भाव -मे। (ग) 68.8 -विक्वविक्खत(?) -विकखविकखत(विकस्सर) 68 16 कंचण-पसेय = कचनप्रसेक, Sprinking of Gold(?) 69.1 अहे। स्थ अहे। [रस्थ 69.8 तिप्पमुस्त Reading faqga is better. 69.24 सरोदर-घर -सरोदर-घर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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