Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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Vasudevahimdi : Majjhima-khanda
6022 सगलस तसिद (2,-सिदादपस्तो सगल(? मुल्ल)सत-(सिद)सिदादपत्तो 60.24 मम सगास (?) ।
मम सगास पित्तो] । 611 दे उअसमीय (?)
दे, उअ('व)समीय(?मेहि) 6118 सुणंतु से ये केयि णियमा वा- सुगंतु, से ये केयि णियमा बा(? धा)रेह,
(घा)रेह 61 19 जयवीहिदि (?)
यवी हदि(?दं) 61.23 विरुज्झनाणगे अधिगया(? ए) विज्झमाणगे। ग) अविणया(?यं) 61.4 पच्छायावगे।
पच्छा-यावगा(?बाहओ) 628 अवणीयस्स
अ[5]व(वि)णीयस्स 62.9 कह.........आयाइस्सति(?) This seems to be a blend of
active and pasive construction.
आयाइस्सति=Sk. स्वीकरिष्यन्ति. 62.15 पिव [लोग], लोगहिदि व पित्र लोगठिहिं (व तत्थ) पेच्छामि तस्थ पवर.
तत्थ पेच्छामि तन्थ पवर० 636 पावति(१)
पावति ? बाधति) 63.19 णसूशओ(?)
णसू (?पूरिदाओ 64.10 पोलयामि
ओल्लवामि =Sk. उल्लपामि 64.11 परितूसुरेहितो(?)
परितूसुरेहितो(? पि रिबुसु राहिता) 61.13-14 कीस ससिपादय(!)-पुरिसे। कीस(स) सि पादय(? यद)-पुरिसे। 64.23 अच्छले(?) ण
अच्छलेण(?अच्छेण) 65.11 तुज्झ
तुम?न्मे) 6522 धरिसिओ
घरिसि(?स)ओ 65 23 तात
तात (१३) 66.2-3 एण्हि...पणासेमि ।। एहि वि ताव पेच्छह, मुचह य मम ...||१
लग्गतु मएस (?ममेस) विज्जाहरा (म) अविज्जा. धरस्स जुधेणं । जा से (स)परिवारस्स वि खणण
त(? द)प्पंपणासेमि ॥२ 67.9 महदियणस्था
महदि य(अ)जस्था 67 16 रयवगिरि
रयब? द)गिरि67 18 भाव
-मे। (ग) 68.8 -विक्वविक्खत(?)
-विकखविकखत(विकस्सर) 68 16 कंचण-पसेय
= कचनप्रसेक, Sprinking of Gold(?) 69.1 अहे। स्थ
अहे। [रस्थ 69.8 तिप्पमुस्त
Reading faqga is better. 69.24 सरोदर-घर
-सरोदर-घर
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