Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 374
________________ Appendix-11 287 21.12 मिकस्सभ(?)-णि(? णी)ला मि[अ]कस्स अणि(?णी)ला 21 17 18 सम्म-परिणता, गु [?]णा सम्म-परिणता(?त)-गुणा, 21 22 कणखइतंतु (?)-कम्म-तणु- कणखड(? कणह-वर)-तंतु-कम्म-तणु , 22.1 -सुरभिल(?)-वण्णा , -सुरभि-ला? लावण्णा, 22 10 एतासु या पहेयं । एतासु सिं) या(१य) पहेयं(?णं) 22.11 अणवतिवे(घेरिक-बाल- अणवदिठत-वेधेरि(?चेडिय)-[चकवाल-- वरिसघर-मुहतरक(?) वरिसघर-मुहत(?महत्त)रक22.12 -सज्जासु (?) । ततो -सजा सुततो(१) 22.14 -सागर-मुद्दा सागर-[स]मुदा(? स्था) 23.1-2 रिसि सिद्धा... Second line is metrically defective. 233 य ज मणुयाण वि ण तं य, जं मणुयाण वि [? कहंति] ण तं 23.9 महति (१ महंता) The emendation is not necessary. महति is महा + अति. 23 14 कल[?] खण कल[को चिय] खणेण 2316 से से काले (? सकाले) वि. The reading सेसकाले is preferable. 2317 -परिहास लीलयाए । परिहासली(?सी)लयाए 23 18-19 ताओ । वयंसा में मे ततो ताओ, वयता य मे । ततो 2321 -वलसमिवादभिव पयस (१)। बल-समिान्नि वादमिव पयतां । 2325 कागजतु?) कोवगजतुं(कोठग-जत्तं) 24.5-6 कन्नह(१ हुल्लत वियय- कन्न(? कत) हल्लत-वियय-वर (१ र) - वरं चेवय(?,-पंतिमाला. चेवय(चिंघय)पति-मालो. 248 -रसत -रस(१)त-- 24.9 --वियसंत-कन्न -वियसंत(१ ता)कन्न2413 गम्ममाणो [भ]]गम्ममाणो 24.19 “यपु(१ पु) -ब ? चंपु)24.19 विविधभूतलित विविध-भू-त(१क)लित 24.28 -गंभीराइघातवन्नगणि -गंभीराइघात(?)-वन्न(?वनंत राणि 25.1 सुपरीमिरी-उल्लसंत ...... सुपरी(१उपरि)-मिरी उल्लसंत-कत-जाला तापदिप्पमाणी घण-विवर-विणिग्गता सादामणी-सेय-ता (?) पदिप्पमाणी 25.3 ममुति(१) ममुति(? झड त्ति) 25.24 -विजित-कन्न -विजि(१चि)त्त-क(?व)न्न 26.2 -रिति-मयाए -रिति(१६ठ)मयाए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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