Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 376
________________ 35.2 वीसज्जाविया 35.11 अहि नव्ह लायणा 35.13 वितिरिछालीसु 35.14-15 चक्खुपहातो 35.15 उप्पयणक 35.23 सदि-पास ० 35 24 36 1 36 6 36 8 36 11 36 20 37.17 37.24 38 18 38 20 38.24 39.19 40.2 40 2 40 18 40.22 41.5 41.9 41.14 Jain Education International मतं उद ेति - अवरुयगा हातासाई (2) (१) ती साहित्याय (?) मत्थि -afifafan (?) [दिट्ठा] महागम (?) पि सुयं (१) तदाणि सग्ग ( ?व्व ) - जग - विसरद - णिसेय पज्जालिते य (?) पज्जालिते [सु] य (?) विप्प (? पे) सु, सुता (?) लंकितो० विप्प १ प्पे )सु, सुता ( ? सत्था ) लंकितो ० नीगइत [=SK नीराजित, 'lustrated') निराइत मत (म) म पाण नीउभण पणितसतिगतो (2) नय मे सिग्ध जणवतो जणवतो ते पिया पियगु० 41 15 भणती 41.21-22 दूरुप्पतिगा (!) या Appendix - II For वीसज्ज् see PSM under वीसज्जिय. अहि ? वि) तह- लोयणा May be emended as fafafalg [[तिछि=तिर्यक् ] A word or two meaning 'disappeared' should be supplied after this. The sentence ends here. ०क seems to be redundant. The reading af is preferable to सदि. तदा णिसग्ग-जग - विस(र) द = Sk. निशेषः [हि]ति । -अ [र]रुयगा तण्हाइता सा(?) ई सु (१/सू) ययती साहिप्पा (? सहिभाव)मस्थि - परिमिसि (मलि)त--- [पेच्छामि ] महाग ( 2 जोर) म पि [अ] सुय = Sk. मत्प्राण ओम (१ ज ) * नय मे सिग्ध, ज ( ? ( ? चेतेति ) पिया पियौं गु० भणती ( ? भणति ) दूरुपतिगा (१ ता) य 289 For Private & Personal Use Only पणितमतिगतो (ता) ) ण ( वत्तोजण) वतोते www.jainelibrary.org

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