Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 375
________________ 288 - Vasudevahindi: Majjhima-khanda 266 -कतारूव (?) कता(?)स्व267 कप्पकाम-पयत्त कप्पका(? दु)म-पयत्त(?त्तय)26 13 -कलि -कलि(? डि)26 17. सरासुवे। (१) सरासुवा(? वासवा) 26.25 साहति । साहति [त्ति । 28 19 त्ति ति (?) 2824 भणित स्थ मदणवेगाउ . भाणता? तेत्थ मदणवेगाउ(१९) 295 पहणत्ति(?) ति । पहणत्ति(ति) ति?त्ति)। 29.10 -गंभीरासन्न -गंभीरा(? र)-[प]मन्न29 13 -सेवाणवह The reading सोवाणवध is preferable. 30.1 -सुसिर(?) -सुसिर(१सिसुमार)304 -सुभगाहिं य संचरिउ इव सरा, सुभगाहिय-सचरिउह(?)-व ११)सरे। 30.20 आढत्ता तम्मि... The verb for 'coming' seems to be missing after 2916TIL. 32.5 तेलोक्क......... लक्ख' तेलेोक्क-वीसरत-तीय[य] वि रतिलक्ख 32.10 -साह(?)नगुलीएम -साहन (?)गुलीएसु 32.14 संगण संगेण =Sk. स्वाङगेन 33.1 पुच्छियातो Possibly to be emended as पुच्छियाइतो (i. e. पुच्छियाइओ), which is past active participle occurring in Haribhadra's 271937*-fe and a few other texts. 33.11 देवीए पुत्! देवीए [दा] पुरा. 33 12 भरद्दायस्स [.........] The text is defective. We require here something like भरद्दायस्स सत्ता कन्नगाओ । हेमजसे वायुपधेण विनाहर राइणा 33.16 मतिदुक्कर परि० म िदुकर ति] परि० 34.1 दिन्नासु व ? दिन्नासु [न] व? 34.1 अरडिंभ. अ(१ )रडिंभल 34 18 वलिं एगंगयाई(१) .. वलिं-cf. बले [PV. 2.185] एगंगयाई = Sk एकत्रगतानि 35.2 अप्पिएण अप्पिएण (१) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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