Book Title: Vasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Author(s): Dharmdas Gani, H C Bhayani, R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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Vasudevahindi : Majjhina-khanda
9.5
मए
7.20-8.1 णि उणेण बच्छराहि वे(१)सुज्जला णिउम-वच्छ-गहि (?) वेमुज्जला[Possibly
राहि is corrupt for गहा-शोभा] 84 -गुणित
गुणि (१लि त[गुलिय, Sk.. गुलिफा ]. शुक appears twice in the same com
pound as सुय and सुक. अवणमितिदु(?)हित- .. अवणमितिदु(?) [परि]हित910 पवरवात ?) लच्छी
पवर-वात(१पस)लन्छी 9.14 दिणगा(?णा)भ
=दिणणाह, [Sk. दिननाथ]] 9.6 परिभात
परिभात(?न) [-Sk. परिधान] 10.9 पितकतरूवधर(१)कुसुम
पितक-तरु-व(घ)र-कुसुम 1222 तादेध (?)
ता(१छा)देध 12.25 -कक्कस
कक्कसं(?यं) 138 भाणी
भाणी[य] 13 16 गधवदत्ता
गंधश्वदत्ता[ए भणित]154. अभि (?)
अंदोभि (? अम्हे हिं) . 15.5
मए(म) 1517 ततो वि य विति मे ततो वि(ती)य वि तिदिठ मे 16.2 तत्तो म तीसु यर जतुमादाय(?) ततो मतीसु य जतुमादाय(१) विवि(वय)विवित्थवितो (?)
स्थवितो 16 12 सविसेसतर-विदीधित(?) सविसेसतर वि दीधि (पित 175 बितिज्जिता
=Sk. द्वितीया, सहायिका 17.6 पलो (१ला)ए तो
पलोए (लाइव 176-7 एसा य मए(?) पुच्छिता- एसा य मए (?मे) पुच्छिता(१पुच्छति)17.14 सामलीए ? ति । एव तो तेण सामलीए ! त्ति । एवं तोतेण(? भणतेण) 1722 सावक्कयो(? 4) होति । सावक्कयो होति ! 17 24-25 एव गान, वन(?)ती एव णाम, वच्च ती(?त्ति) 19.23 अह माणव वुत्त (?)...रादीए । अह माणध(१)-युत्त(? बुद)तेपुर-वर-गतो परिबुद्धो......
अभिरमितु । समदिपिछताए रई-विमुहा(?)
रादीए परियुद्धो...... 19.24 -भाउग(पा उग्ग)-पडह -[पा]भाउग-पडह19.25 --पेवक
--(पावक20.5 सावस्मय
सावस्सय(? सास्थरय)211 -विगार-कुंडला
-विगार-कुंडला(? उजाला) 21.11 सभारुधिर
- सभा(?स)-रुधिर-- 21.12 -कुमुयवरा
-कु(म)यवरा
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