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________________ 286 Vasudevahindi : Majjhina-khanda 9.5 मए 7.20-8.1 णि उणेण बच्छराहि वे(१)सुज्जला णिउम-वच्छ-गहि (?) वेमुज्जला[Possibly राहि is corrupt for गहा-शोभा] 84 -गुणित गुणि (१लि त[गुलिय, Sk.. गुलिफा ]. शुक appears twice in the same com pound as सुय and सुक. अवणमितिदु(?)हित- .. अवणमितिदु(?) [परि]हित910 पवरवात ?) लच्छी पवर-वात(१पस)लन्छी 9.14 दिणगा(?णा)भ =दिणणाह, [Sk. दिननाथ]] 9.6 परिभात परिभात(?न) [-Sk. परिधान] 10.9 पितकतरूवधर(१)कुसुम पितक-तरु-व(घ)र-कुसुम 1222 तादेध (?) ता(१छा)देध 12.25 -कक्कस कक्कसं(?यं) 138 भाणी भाणी[य] 13 16 गधवदत्ता गंधश्वदत्ता[ए भणित]154. अभि (?) अंदोभि (? अम्हे हिं) . 15.5 मए(म) 1517 ततो वि य विति मे ततो वि(ती)य वि तिदिठ मे 16.2 तत्तो म तीसु यर जतुमादाय(?) ततो मतीसु य जतुमादाय(१) विवि(वय)विवित्थवितो (?) स्थवितो 16 12 सविसेसतर-विदीधित(?) सविसेसतर वि दीधि (पित 175 बितिज्जिता =Sk. द्वितीया, सहायिका 17.6 पलो (१ला)ए तो पलोए (लाइव 176-7 एसा य मए(?) पुच्छिता- एसा य मए (?मे) पुच्छिता(१पुच्छति)17.14 सामलीए ? ति । एव तो तेण सामलीए ! त्ति । एवं तोतेण(? भणतेण) 1722 सावक्कयो(? 4) होति । सावक्कयो होति ! 17 24-25 एव गान, वन(?)ती एव णाम, वच्च ती(?त्ति) 19.23 अह माणव वुत्त (?)...रादीए । अह माणध(१)-युत्त(? बुद)तेपुर-वर-गतो परिबुद्धो...... अभिरमितु । समदिपिछताए रई-विमुहा(?) रादीए परियुद्धो...... 19.24 -भाउग(पा उग्ग)-पडह -[पा]भाउग-पडह19.25 --पेवक --(पावक20.5 सावस्मय सावस्सय(? सास्थरय)211 -विगार-कुंडला -विगार-कुंडला(? उजाला) 21.11 सभारुधिर - सभा(?स)-रुधिर-- 21.12 -कुमुयवरा -कु(म)यवरा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002648
Book TitleVasudevahimdi Madhyama Khanda Part 1
Original Sutra AuthorDharmdas Gani
AuthorH C Bhayani, R M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages422
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size22 MB
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