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उववाइय सुत्त
८. 'रिश्वतखोर......' इस सूत्रांश से उपद्रवकारियों का अभाव सूचित किया गया है। राज्य का सुप्रबन्ध और जनता में बुरे संस्कारों के अभाव के साथ ही आत्म-रक्षण, आत्म-गौरव एवं सम्पन्नता युक्त तुष्टि का भी सूचन होता है।
सुभिक्खा वीसत्थ-सुहावासा अणेग-कोडि-कुडुंबया-इण्ण-णिब्बुय-सुहा, णडणट्टग-जल्ल-मल्ल-मुट्ठिय-वेलंबय-कहग-पवग-लासग-आइक्खग-लंख-मंखतूणइल्ल-तुंब-वीणिय-अणेग-तालायराणुचरिया, आरामुज्जाण-अगड-तलागदीहिय-वप्पिणि-गुणो-ववेया णंदणवण-सण्णिभ-प्पगासा।
___ भावार्थ - वहाँ भिक्षुओं के योग्य उचित भिक्षा मिलती थी, क्योंकि विभिन्न मतावलम्बी विश्वस्त निर्भय मनुष्यों का वहाँ सुखपूर्वक निवास था और अनेक कुटुम्बियों से घनी बस्ती होने पर भी आपस में अशान्ति-जनक व्यवहार का अभाव होने से-संतोष होने से सभी सुख से रहते थे। वह नगरी नट-नाटक करने वाले, नर्तक-नाचने वाले, नृत्यकला-विशारद, जल्ल-रस्सी पर चढ़ कर, कला दिखलाने वाले, राजा की प्रशंसा के गीत स्तोत्र पढ़ने वाले, मल्ल-कुश्ती करने वाले, मौष्टिक-मुष्टिप्रहार की कला में दक्ष, विडम्बक-विदूषक, कथक-कथावाचक, प्लवक-उछलने वाले अथवा नदी आदि को तिरने वाले लासक वीर रसोत्पादक गाथाएँ-रासक-गाने वाले, आख्यायक-शुभ-अशुभ का कथन करने वाले, लंख बांस के अग्र भाग पर खेलने वाले, मंख-चित्रपट दिखाकर आजीविका करने वाले, तूणइल्ल 'तूण' नामक वाद्य को बजाने वाले, तुम्बवीणिक-वीणावादक और तालाचर-ताल बजाकर झांकी दिखलाने वाले इन व्यक्तियों के द्वारा पुनः पुनः सेवित थी। वहाँ कई गृहवाटिकाएंआराम, जिसके लताकुञ्जों में दम्पती आदि क्रीडा करते हों, ऐसे बगीचे सार्वजनिक बगीचे-उद्यान, उत्सव आदि में बहजन भोग्य विपल फलों वाले वक्ष आदि से घिरे हए भमिखण्ड, कएँ, तालाब, लम्बी बावडियाँ दीर्घिका और साधारण बावडियाँ और जल क्रीडा रूप जलक्यारियाँ नंदन वन के समान सुशोभित थी। ___उव्विद्ध-विउल-गंभीर-खाय-फलिहा चक्क-गय-मुसंढि-ओरोह-सयग्धि-जमलकवाड-घण-दुप्पवेसा धणु-कुडिल-वंक-पागार-परिक्खित्ता कविसीसय-वट्ट-रइयसंठिय-विरायमाणा।
अट्टालय-चरिय-दार-गोपुर-तोरण-उण्णय-सुविभत्त-रायमग्गा छेयायरिय-रइयदढ-फलिह-इंदकीला।
भावार्थ - वह नगरी ऊँची, विस्तीर्ण गहरी और ऊपर से चौड़ी खाई से युक्त थी। जिसमें चक्र, गदा, मुसुण्डि-बंदुक जैसा शस्त्र विशेष, अवरोध-अन्तर प्राकार या नगरी द्वार के सामने शत्रु-सेना के हाथियों आदि को रोकने के लिए बने हुए मजबूत साधन, शतघ्नी ऐसी महायष्टि या महाशिला अथवा
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