Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ २.१२-] उत्तराध्ययनसूत्रम् ६ परिजुण्णेहि वत्थेहिं होक्खामि त्ति अचेलए। अदुवा सचेले होक्खामि इह भिक्खू न चिन्तए ॥ १२ ॥ एगयाऽचेलए होइ सचेले आवि एगया। एयं धम्माहियं नच्चा नाणी नो परिदेवए ॥१३॥ ७ गामाणुगामं रीयन्तं अणगारं अकिंचणं। अरई अणुप्पवेसेज्जा तं तितिक्खे परीसहं ॥१४॥ अरई पिट्टओ किच्चा विरए आयरक्खिए। धम्मारामे निरारम्भ उवसन्ते मुणी चरे ॥१५॥ ८ संगो एस मणूसाणं जाओ लोगंमि इथिओ। जस्स एया परिन्नाया सुकडं तस्स सामण्णं ॥१३॥ एयमादाय मेहावी पंकभूया उ इथिओ। नो ताहिं विणिहम्मेज्जा चरेज्जत्तगवेसए ॥१७॥ ९ एग एव चरे लाढे अभिभूय परीसहे। गामे वा नगरे वापि निगमे वा रायहाणिए ॥१८॥ असमाणे चरे भिक्खू नेव कुज्जा परिग्गहं। असंसत्ते गिहत्थेहिं अणिएओ परिन्वए ॥१९॥ १० सुसाणे सुनगारे वा रुक्खमले व एगओ। अकुक्कुओ निसीएज्जा न य वित्तासए परं ॥२०॥ तत्थ से चिट्रमाणस्स उवसग्गाभिधारए। संकाभीओ न गच्छेज्जा उट्टित्ता अन्नमासणं ॥२१॥ ११ उच्चावयाहिं सेज्जाहिं तवस्सी भिक्खु थामवं । नाइवेलं विहम्मेज्जा पावदिट्ठी विहम्मई ॥ २२ ॥ पइरिकुवस्सयं लद्धं कल्लाणमदुव पावयं। किमेगराइं करिस्सह एवं तत्थs हियासए ॥ २३ ॥ १२ अक्कोसेज्जा परे भिक्खं न तेसि पडिसंजले । सरिसो होइ बालाणं तम्हा भिक्खू न संजले ॥ २४॥ सोच्चाणं फरुसा भासा दारुणा गामकण्टगा। तुसिणीओ उवेहेज्जा न ताओ मणसीकरे ॥ २५॥ १३ हओ न संजले भिक्खू मणं पिन पओसए। तितिक्खं परमं नच्चा भिक्खू धम्मं समायरे ॥२६॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 132