Book Title: Uttaradhyayan Sutram Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya Publisher: Fergussion College View full book textPage 8
________________ परीसहज्झयणम् -२.११ भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया, जे भिक्खू सोच्चा नच्चा जिच्चा आभिभूय भिक्खायरियाए परिवयन्तो पुट्टो नो निण्हवेज्जा। तं जहा ॥ दिगिछापरीसहे १पिवासापरीसहे २ सीयपरीसहे ३ उसिणपरीसहे ४ दंसमसयपरीसहे ५ अचेलपरीसहे ६ अरइपरीसहे ७ इत्थीपरीसहे ८ चरियापरीसहे९निसीहियापरीसहे १०सेज्जापसिहे ११ अक्कोसपरीसहे१२ वहपसिहे १३ जायणापरीसहे १४ अलाभपरीसहे १५ रोगपरीसहे १६ तणफासपरीसहे १७ जल्लपरीसहे १८ सक्कारपुरकारपरीसहे १९ पन्नापरीसहे २० अन्नाणपरीसहे २१ दसणपरीसह २२ ॥ परीसहाणं पविभत्ती कासवेणं पवेइया। तं भे उदाहरिस्सामि आणुपुस्विं सुणेह मे ॥१॥ १ दिगिंछापरिगए देहे तवस्सी भिक्खु थामवं । न छिन्देन छिन्दावए न पए न पयावए॥२॥ कालीपव्वंगसंकासे किसे धमणिसंतए। मायने असणपाणस्स अदीणमणसो चरे॥३॥ . तओ पुटो पिवासाए दोगुंछी लज्जसंजए। सीओदगं न सेविज्जा वियडस्सेसणं चरे॥४॥ छिन्नावाएसु पन्थेसु आउरे सुपिवासिए। परिसुक्खमुहादीणे तं तितिक्खे परीसहं ॥५॥ ३ चरन्तं विरयं लूहं सीयं फुसइ एगया। नाइवेलं मुणी गच्छे सोचाणं जिणसासणं ॥ ६॥ न मे निवारणं अत्थि छवित्ताणं न विज्जई । अहे तु अग्गि सेवामि इइ भिक्खू न चिन्तए ॥७॥ ४ उसिणंपरियावेणं परिदाहेण तज्जिए। चिंसु वा परियावेणं सायं नो परिदेवए ॥८॥ उण्हाहितत्ते मेहावी सिणाणं नो वि पत्थए । गायं नो परिसिंचेज्जा न वीएज्जा य अप्पयं ॥९॥ ५ पुटो य दसमतपहिं समरेव महामुणी। नागो संगामसीसे वा सूरो आभिहणे परं ॥ १०॥ न संतसे न वारेज्जा मणं पिन पओसए । उवेहे न हणे पाणे भुंजन्ते मंससोणियं ॥११॥Page Navigation
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