Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
संबंधी
साहित्य
प्रत
सूत्रांक
यहां
देखीए
दीप
क्रमांक
के लिए
देखीए
रावृत्तिक
आगम
सुत्ताणि'
औ० १९ रा० २०
जी० २१ प्रज्ञा०२२
॥ ४ ॥
उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि
[ अकार ]
मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य)
अब्भुज्जयं बिहार
अभिहस्स चंदजोगो
अमिस्स नव मुहुत्ता अभिई छच मुहुत्ते अभिई छच मुद्दते अभिई सो घट्टा अभिजाइ सत्तविकम अभिनंदिए पट्टे अ अभिनंद मे हिअयं अभिनंदे सुपट्टिय अमरनरवंदिए अमरवरेसु अणोम० अमरिंदनारदमुदि० aforeseed विसओ अमुर्गम इड काले अणिअमणपरिकम्मो अम्मापय भाया
२७-२५९ २५-१११ २४-७ २५- ११५ २७- १०३३
अलग्गाम कुटुंबिय अरईय जाइसूकरो अरहंत सिद्धचेश्य अरहंता मंगलं मज्झ अरिहंतनमुकारो अरिहंतसरणमलसुद्ध अरिहंत सिद्ध केवलि अरिहंतसिद्ध वेश्य०
२५-९० २७-१२३८ २५-९१
२७-६२२ अरिहंतसिद्ध साहु० २४-२३ अरिहन्तं अरिहंतेसु २७-५२९ अरुणसिहं द २७-५८२ अलंबुसा मिस्सेकेसी २७-९ अलि सपि भणि २७-९८६ अलोए पहिया सिद्धा० २७-१३३० अलोए पहिया सिद्धा २७-३९९ अलोगस्स० अचरमस्सा० कयरे० २७-१८८०
अवर पण सेवाले
२७-१६८४ अलोगे पहिया सिद्धा २७-१७२५ २७-१२५४ २७-२४८ अवसेसा अणगारा २७-३५२ अबसेसा णक्खत्ता
अवलंबिऊण सत्तं
२७-२३ अवसेसा णक्खत्ता
२७-४३४ अवसेसा नक्खत्ता २७-३४५ अवसेसा० वारस चैव अविउत्तमल्लदामा अविकलसीलायारा अवियद्धोऽयं जीवो
२७-११
२७-५६
२७-१७४३
२५-७५ अविरहिया जस्स मई
अविसुद्ध लेस्से णं भंते!
२७-३७६ २७-१२०९ २२- १६०
असण्णी खलु पढमं असद्दहवेयणाए
असमतओवि मुणी असरीरा जीवघणा उ
~10~
२२- १५६०
१९-१०
२२-४७
२७-४३८
२७-१७०६
२५-११४
२५-११८
२७-१०३२
२७-१०३६
२७-११७५
२७-१२७६
२७ १९२
२७ १३८६ २११०४०
૮
२७१५६६
२७ १४०४
२७ १२१७
सूर्य० २६ जं० २५ नि० २३ प्रकी०२७
॥ ४ ॥

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