Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 60
________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ २१० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ५४ ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ प-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) पुढ विकाश्या आहारकम्म० २२ २१०सू० पुढविकाइयाणं० अनंतर० २२-१४०सू० आहारट्ठी २२-३०६० 39 33 33 "" केवइया २२-१८०सू० केवइया २२- २०६० केवश्यं २२ - ९६० २७-७८४ २७-१७६९ २४-२८ पुढ विदगअगणिमारुभ० पुढविदगाणं च सं हमा 31 32 37 पुढवीकाइए णं भंते० पुढवी य सकरा बालुवा पुणव्वणा पुलेण पुण्णाई खलु आइसो पुण्णा य इकवीसा पुण्णेहिं हायमाजेहिं पुष्णोवि जंबुद्दीव पुत्तं जीवयऽरिडे पुत्ता चयंति मित्ता """ मित्ताय पिया पुनामधिजसउणेसु पुप्फा जलया धलया पुप्फाणं वीआणं तय० पुरओ बहंति सीहा २५-८८ पुर ( कुरु) मंदरमावासा २१-९ पुरिसवरपुंडरीओ २१- ९५० २२- २६१स्० २१-५८० २२-१० पुरिसस्स णं भंते० का० अंत० २१-५६० २७-८७० पुरिसस्स गंभंते! कालं ठिती २१-५४सू० २७-१४ पुरिसे णं भंते! पुरिसेति २१-५५० २७-११०६ | पुन्दभवियबेरेणं " पुरिसवेदस्स णं भंते! क० केवतियं० बंध० ~ 60~ २७- ४९६ पुव्यमकारियजोगा २७-९८४ पुबमकारियजोगो २२--१६ २७-५७९ २७-१८१७ पुञ्वविरा हियवंतर● २७-९०२ पुगे सिद्धमणोरमे २२-८६ २७-७९० पुर्ववावरदाहिण० २७-१०२१ २१- ३३॥ २७-५९० वि० अनियाणो ईहिऊण पुवि कयपरिकम्मो कारियजोगो 23 35 २७-१४०० २७-२१९ २७-१५११ २७- १२९२ " पुत्रेण होइ विजयं पुस्सऽस्सिणिमिगसिर रेवई पुरसायणे अ अस्सायणे २७-१७६४ | पुस्तो हत्थो अमि २७-१६९७ २४-१९ २५-९३ २७-१७६७ २७-२२१ २७-११५ २७-१५१२ २७-२२० कारिय० ताहे मलि० २७-१५१३ २७-१११३ २७-८५७ २५-१०५ २७-८७४ सूर्य०/२३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ५४ ॥

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