Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 65
________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [म-कार + र-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए औ०१९ रा०२० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ॥ ५९॥ XXBREYSISTANESER दीप क्रमांक के लिए देखीए मायापिइबंधुहि २७-१७६ मिच्छत्तं परिजाणामि बंधूहि २७-१४७७ | मिच्छादसणरत्ता मायापिईहिं सहवहिरहिं २७-१८१० | मिच्छादसणसल्लं माया मित्ति पिया मे २७-१४७६ | मित्तसुययंधवाइसु माया मिसि पिया मे २-१७५ | मित्ते नंदे तह सुटिए , माऽऽया हु व चिंतिजा २७-२६८ | मिल्हियविसयकसाया मारणंतियसमुग्धातो सट्टाणे २२-३३८सू० | मिठो किलिट्टकम्मो मासपषिणमुग्गपणी. . २५-५१ | मोग्गल्लायण संसायणे मासाणं परिणामा .२५-११९ मुग्गिल्लगिरिमि मासे मासे उजा अज्जा २७-८४३ मुणिचंदेण विदिण्णस्स माहिदे साहियाई सत्त दस २७-११०४ मुणिणं नाणाभिग्गह मा हु य सरीरसंता०२७-२६४१ |मुहिय अंबाबली मा होइ वासगणया २७-६३७ | मुयरुख हिंगुरुक्खे मिगसिर भद्दा पुस्सो | मुहचाससुरहिगंधं मिगसिरमहा य मूलो २७-८५८ | मूलगुण उत्तरगुणा २७-८५८ मिगसीसावलिरुहिरबिंदु : २५-३०९ -मूलगुणे उत्सरगुणे मिछत्ततमंधेणं २७-५१ . २७-१५२ | मूलगुणेहि बिमुझं २७-२०३ | मूलं तह संजमो वा २७-२३३१ मूलंमि जोअणसयं २७-१६४२ , तिषिण सोले मूलुक्खयपडियक्खा २७-३७ |मूलुत्तरगुणभट्ट २७-३५३ | मेढी आलंबणं खंभ २५-१०४ | मेदो वसा य रखिया | मेरुव पब्बयाणं २७-१७२३ | मेरुस्स मज्झयारे २७-७८३ | मेहंकरा मेहबई २२-३३ | रहारइतरलजीहाजुएण २२-४० | रक्खाहिबंभचेरे २७-५६७ - रति च पयह विहसिय २७-१४५२ रत्तुक्कडा य इत्थी | रमणिजहरयतरुवर २७-२१ । रमणीभदसणाओ २७-७९६स्प ० २७-५९८N २५-४४ 10 २५-४५ २७-२६ प्रकी०२७ २७-७२० २७-७१७ २७-५४९ २७-६१६ २५-८४ २५-७१ 'सवृत्तिक आगम २७-३८२ २७-१६५४ २७-४६२ २७-१६९० २७-३९४ सुत्ताणि ~65~

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