Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 75
________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ।। ६९ ।। उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ स कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) सुमे० सुमेति कालतो सूई जहा ससुता सूणारंभपवसं सूरमंडलस्स गं० सूर० सूरमंडले गं० केवइयं सूरस्स णं० कर अग्ग सूरस्स य सूरस्स य 55 35 २५-१३१स्० २१-२०५सू० २७-१०८३ २१--७१ २४-८४ २४-८५ २७-१०८४ २१-८० 23 23 सूरिया केवइयं कालं ठिती २०-४६३० सूरियाभस्स० सूरियाभाति ! समणे २०-८२० २०-१८० २०-३०सू० २०-४०सू० 53 33 सूरतरिया चंदा 21 "1 35 २२-२३६० २७-३६१ २७-८२१ २५-१३०सु० सूरिया मे० असयं चक्क० सूरिया मे० देवेणं सा दिव्वा से इसे गामागर जाव सेओ राया धारिणी देवी से किं तं अम्मभूमग० अजीवपन्नबणा अजीवाभिगमे 33 31 3125 33 33 33 55 3155 35 11 35 15 33 33 33 33 33 55 35 33 55 15 33 15 33 23 31 33 " 25 33 33 25 11 23 33 11 37 अनंतर सिद्ध० अभिंतर तवे अरुविअजीव १९४१ सू० से किं तं ओराला तसा पाणा २१-२८० खरवारपुढवि० २२- १५० २२-३६० २१-४१सू० २१- ३८० २१-१०८० 33 चरिदियसंसार० २२ २९ सू० चरिंदिया०अंधिया२१-३१स्० जलयरपंचिंदिय० २२- ३३० जलयरा २१- ३६० २१- ३९० २२-५० २१-६सू० २१-२० २२- ७० १९ - २०सू० २२- ३० धम्मस्थि० २१-४० 53 असंसार समा २२-६० असंसार समावणं० २९-७० अंतरदीवगा आउक्काश्या ~75~ २०-४० २१ - ११४सू० २२-२० २१-३० २१-१०९० २१-१६सू० इत्थीओ उवमिप , दुविहा० पं० २२- १६० २१-४६० २५-१९सू० एगें दियसंसार० २२- १०स् 4 35 31 31 33 35 37 59 13 " """" 33 35 23 """" 11 19 " 35 2 35 35 35 35 33 33 31 33 35 39 33 13 21 35 39 39 355 35 33 33 35 35 3 खयरपं० ति० जयरा गग्भवतिय० जीवपणा जीवाभिगमे जीवाजीचाभिगमे पुंसका तसा तिरिक्ख० २१-५२० २१-२३० २१- ९७० सूर्य० | २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ | प्रकी०२७ ।। ६९ ।।

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