Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री उपांगप्रकीर्णकसूत्रादयकारादि: नमो नमो निम्मलदसणस्स य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि: [आगम-संबंधी-साहित्य] [आद्य संपादक: - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा.] (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता - मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.. श्रुतमहर्षि) 28/07/2017, शुक्रवार, २०७३ श्रावण शुक्ल ५ jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) श्रीआगमोद्धारसंग्रहे भागः२ णमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स उपांग-प्रकीर्णक सूत्राद्यकारादि क्रम: श्रीऔपपतिक-राजनीय-जीवाजीवाभिगम-प्रज्ञापना-चंद्रसूर्यप्रज्ञप्तियुग्म-जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति-उपांगपंचकमयनिरयावलिका-चतुःशरणादिप्रकीर्णकदशकानां सूत्रसूत्रगाथानामकारादिक्रमः लघुर्वहंश्च विषयानुक्रमः Soon प्रकाशका-सूर्यपुरीया श्रीजैनपुस्तकप्रचारकसंस्था इदं पुस्तकं सूर्यपुरे श्रीजैनविजयानन्दमुद्रणालये फकीरचन्द मगनलाल बदामीद्वारा मुद्रयित्वा प्रकाशितम् प्रतयः २५०३ विक्रमसंवत् २००५, वीरसंवत् २४७५, ०स० १९४८ - [वेतनम् रु. ४-८- 0 ENERISRUCCESSORS ~2~ Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि' उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादि [ अकार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) अंगाकाराद्यनुक्रमादीनामुपोद्घातः । prefe विदितचरमेतद्विदुषां यदुत श्रीमत्या आगमोदयसमित्या ऋते छेदग्रन्थान् परिणामिकवाचंयमयोग्यान् प्रत्रज्यापर्यायप्राप्यानां श्रीआचारांगादीनां तदितरेषां च श्रीभावश्यकादीनां पारगतगदितानामागमानां वर्त्तमानयुगातिरूढं स्पृहणीयं चोन्मुद्रणमादृतं, तत्र चैकादशांग्या अपि समारचितमुन्मुद्रणं, यद्यपि पाठक श्रावकसाधूनामेतावन्मुद्रणमात्रमेवेापयुक्ततरं, परमन्वेषकाणां मुनिपुङ्गवानां प्रमोदाय तत्सूत्राद्यकागदीनामुन्मुद्रणाय विहितोऽयमुद्यमः, तस्या एकादशांग्या मुद्रणावसरे नारम्भे सूत्राद्यकारादिचिकीर्षेति न तत्र गाथानामेकत्रिता संख्या, सूत्रसंख्यानेऽपि विहारादिना त्रुटिरभूद्, ततः सूत्रादिसंख्यादि निश्चित्य तदनुसारेण अकारादिक्रमो विषयानुक्रमश्च विहितौ स्तः, ततोऽवश्यमपेक्षणीया प्रेक्षाचक्षुष्कैः साऽऽदौ, विहितेऽपि प्रयत्ने नासंभावनाऽशुद्धीनामिति क्षाम्यन्तु क्षमाधनाः क्षन्तव्यं, विलोकयन्तु चेदमखिलमखिलकल्मषकापंकषकाः कारुण्यनिधयो मुनयो यथायथं तत्त्वावगमायेत्यर्थयन्ते । आनन्दसागराः २४६३ माघशुक्ला पूर्णिमा, जामनगर ( नवानगर ) ~3~ Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [अ - कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए प्रस्ताव श्रीऔपपातिकादीनां द्वादशानामुपांगानां चतुःशरणादिकानां दशानां प्रकीर्णकानां च गाथायनुक्रमः भो। परमपुरुषपरमेश्वरप्रणीताब्यावाधाविरुद्ध हितोपदेशमात्रप्रवचनप्रवणागमामृतपानपुष्टान्तःकरणाः कृतिनः ! सफलधन्येतस्य शास्त्रस्य साचरणश्रद्धानवृद्धिक्रियाद्वारा ग्रहणेन मे परिथमलेशं, प्राक्तावत् १ नन्दी २ अनुयोगद्वार ३ आवश्यक४ ओघनियुक्ति ५ दशवकालिक ६ पिण्डनियुक्ति ७ उत्तराध्ययनसूत्राणां गाथाकारादिक्रमविषयानुक्रमयुगलान्युन्मुद्राप्य निर्णयसागरमुद्रणालये श्रीमत्याऽऽगमोदयसमित्या प्रतीनां सार्धद्वादशशती प्रचारिता, पण्यं च रूप्यकद्वयं स्थापितं पश्चात्तु श्रीमालवदेशान्तर्गतश्रीऋषभदेवजीकेशरीमलेत्यभिधया श्वेतांबरसंस्थया ८ आचारांग ९ सूत्रकृतांग १० स्थानांग ११ समवायांग १२ श्रीभगवत्यपराभिधव्याख्याप्रज्ञप्ति १३ ज्ञातधर्मकथा १४ उपासक १५ अन्तकृद्दशा १६ अनुत्तरोपपातिकदशा १७ बिपाकश्रुत १८ प्रश्नव्याकरणांगसूत्राणां गाथाकारादिविषयानकमयगलानि श्रीइंद्रपुरीयधीजैनबंधमुद्रणालयधीभावनगरीयमहोदयमद्रणालयद्वारा मुद्रापयित्वा पंचशती पुस्तकानां प्रचारिता, पण्यं च चतुष्टयं रुप्यकाणां धृतं, ततः शेषाणां गाथाकारादिविषयानुक्रमयुगलानामुन्मुद्रणायायमुपक्रमः श्रीसुरत,गीयजनपुस्तकप्रचाराख्यसंस्थया क्रियते । प्रत्यश्चात्र सार्धद्विशतीमात्राः पण्यं च साध रुप्यकचतुष्टयं ध्रियते । एतच्च वर्तमानयुगस्थितिक्षिणां सुशानामवभासिष्यतेऽल्पतममेव । अत्र च १९ श्रीओपपातिक२० श्रीराजप्रश्नीय २१ जीवाजीवाभिगम २२ प्रशापना २३-२४ सूर्यचंद्रप्राप्तियुग्म २५ जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति २६ उपांगपंचकमयनिरयावलिका २७ चतुणादिप्रकीर्णकदशकानां गाथाकारानुक्रमो लघुर्वृहन् विषयानुक्रमश्च समुन्मुद्रिताः, तत एतत्प्रयोगं यथार्ह कृत्वा सफलयन्तु सजना मे झानाभ्याससहायमनोरथमित्याशासे। २००५ कार्तिकशुक्ला पूर्णिमा, सुरत. श्रीश्रमणसंघसेवक आनन्दसागर: देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि मूल संपादकेन दत्त उपांग-आगम-क्रमांक-संकेत १९.औपपातिक, २०.राजप्रश्नीय, २१.जीवाजीवाभिगम, २२.प्रज्ञापना, २३-२४.सूर्यप्रज्ञप्ति-चन्द्रप्रज्ञप्तियुग्म, २५.जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति २६,निरयावलिका-उपांगपंचक, २७.चतुःशरणादि-प्रकीर्णकदशक, Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपांग-प्रकीर्णक अकारादि-वर्णानुक्रम पृष्ठांक: | क्रमांक: क्रमाकः वर्ण: वर्ण: पृष्ठांक: ०१ अ-कार ools । । ०५० १५ १६ ०५० | ०५२ क-कार ख-कार ग-कार घ-कार च-कार ०२२ । ०२८ | । ०२९ । ०३० । १७ | १८ । १९ २० । २१ ०५३ ०५६ ०६१ ०६१ ०३२ ०३३ ०४० ----- ૨૨ थ-कार द-कार ध-कार न-कार प-कार फ़-कार ब-कार भ-कार म-कार र-कार ल-कार व-कार स-कार ह-कार ०६२ ०६३ | छ-कार ज-कार झ-कार ट-कार ठ-कार इ-कार ण-कार त-कार । ०६५ οεε ०४० २३ २४ २५ २६ २७ २८ । ०६७ १२ १३ १४ | । । ०४० ०४० । ०४० । ०६९ । مواه ~5~ Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [श्री उपांग-प्रकीर्णक सूत्राद्यकारादिः] इस प्रकाशन की विकास-गाथा * यह प्रत "श्री उपांगप्रकीर्णकसूत्राद्यकारादि" के नामसे सन १९४८ (विक्रम संवत २००५) में 'श्री ऋषभदेव केशरिमल श्वेताम्बर संस्था' द्वारा प्रकाशित हुई, इस के संपादक-महोदय थे पूज्यपाद आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसूरीश्वरजी (सागरानंदसूरिजी) महाराज साहेब | * पूज्यपाद् आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागरसूरीश्वरजी महाराजसाहेबने 'औपपातिक' आदि १२ उपांगसूत्रो तथा 'चतुःशरण' आदि १० प्रकीर्णकसूत्रो के मूलसूत्र एवं उस पर पूर्वाचार्य रचित वृत्ति आदि का संपादन किया था | उन प्रतोमे जो मूलसूत्र, गाथा आदि थे उन सभी सूत्रआदि के 'अकारादि' क्रमांकन किये थे | वे 'उपांगसूत्र तथा प्रकीर्णकसूत्र के अकारादि को इस प्रतमे प्रकाशित करवाया है। अर्थात् १२ उपांगसूत्रो एवं १० प्रकीर्णकसूत्रो के सूत्रादि-अकारादि के रचयिता, संपादक और प्रकाशक श्री आगमोद्धारक आनन्दसागरसूरीश्वरजी महाराजसाहेब ही है। पूज्यपाद आगमोद्धारक आचार्यदेवश्रीने इसी तरह अंगसूत्रो और नन्दी आदि अन्य आगमसूत्रो के सूत्रादि-अकारादि की भी रचना, संपादन और प्रकाशन किया है। हमारा ये प्रयास क्यों? आगम की सेवा करने के हमें तो बहोत अवसर मिले, अब तक मेरे प्रकाशित किये हुए पुस्तको के १,००,००० से ज्यादा पृष्ठ हो चुके है, किन्तु लोगो की पूज्यश्री सागरानंदसूरीश्वरजी के प्रति श्रद्धा तथा प्रत स्वरुप प्राचीन प्रथा का आदर देखकर हमने इसी प्रत को स्केन करवाई, उसके बाद एक स्पेशियल फोरमेट बनवाया, जिसके बीचमे पूज्यश्री संपादित प्रत ज्यों की त्यों रख दी. ऊपर शीर्षस्थानमे प्रत संबंधी उपयोगी माहिती लिख दी है, ताकि पढ़नेवाले को प्रत्येक पेज पर कौनसे वर्ण का क्रम चल रहा है उसका सरलतासे ज्ञान हो शके | पूज्यपाद आगमोद्धारकरी ने आगम संबंधी ५२ विषयो को वर्गीकृत किया था, आज भी उनमे से ऐसी कई प्रते मिलती है, जिसमे ये विभाजन-क्रमांक देखने को मिलते है, उनमे से थोडे विषयो का काम हुआ भी है, जो मुद्रित स्थितिमे भी प्राप्त है। * अभी तो ये jain_e_library.org का 'इंटरनेट पब्लिकेशन' है, क्योंकि विश्वभरमें अनेक लोगो तक पहुँचने का यहीं सरल, सस्ता और आधुनिक रास्ता है, आगे जाकर ईसिको मुद्रण करवाने की हमारी मनीषा है। ..... मुनि दीपरत्नसागर. Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ अ - कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक णमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स श्रीआगमोद्धारसंग्रहे भागः २ 10 यहां देखीए जं.२६ प्रज्ञा०२२ प्रकी०२७ औपपातिकाद्युपांगानां चतुःशरणादिप्रकीर्णकदशकस्य च सूत्रगाथाउकारादिः दीप क्रमांक के लिए सूत्राद्यादि XXAMREKREENA आगमांकः सूत्राधा देखीए | अगंतूर्ण समुग्धातं अगीअत्थस्स बयणेणं अग्गिम्मिय उदयम्मियः २७-८०१ | अग्गिस्स दाहिणे पासे २७-११३४ | अश्वम्भुयगुणवंते २५-१ | अच्छिनिमीलियमेतं २१-९३ | अछि पब्बं बलिमोडओ २७-११६ | अच्छिमलो कन्नमलो १९-८ | अच्छे असुरियावत्ते २९-४१३ | अच्छेरयं च लोए अइदुल्लहमेसर्ज अउणाण उइ सहस्सा अउणासीह सहस्सा अकसाइणो सब्वत्थोवा | अकंडेऽचिरभावित्र S अकित्ताणं समुग्घायं अगणिअ जो मुफ्खसुहं २२-२३०] अजयणाए पकुब्बति २७-८२९ २७-७५५ | अजीवपरिणामेणं० कतिविधे २२-१८४सू० २७-२५२१ | अजीवपज्जवाणं भंते!काबिहा २२-११८सू० २६-२ अजोरुह वोडाणे २२-४१ २७-२१ अज्झयणमिणं चित्तं २२-५ २१-२१ | अझबसाणविसुद्धी २७-२४२१ २२-२३ | अदुट्टियचित्ता २७-५६८ | अट्ठमयठाणजड्ढो २७-६२८ २५-६७ | अट्ठविहकम्ममूलक २७-७०२ २७-१५८२ | अट्ट सए आसीए २७-२०१२ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि जहा १९ लिखा है वहा 'औपपातिक' आगम समझना, इसी तरह जहा २६ लिखा है वहा 'निरयावलिका-पञ्चक' आगम समझना. अ-कारादि अनुक्रममे जो सूत्रायंक दिये है वे सब सूत्र या गाथा इत्यादि को आगमोद्धारश्री संपादित प्रतमे दिये गये क्रमांक अनुसार समझना Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुल्तान औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ २ ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ अकार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) अट्ठ सय उगुणवीसा अट्टसहस्सा तिम्नि उ अट्ठावीस कालोद हिम्म अट्ठावीस कालोदहिनि अट्ठावीस कालोदामि अट्ठासी बताई अट्ठासी बताई अट्ठासी च गहा अट्ठासीति च गहा अट्ठासीति च गहा अट्ठासीयं च गहा अट्टिय कढिणे सिरहारु अनुत्तरं चतीसं अट्ठव जोयणाई अब सतसहस्सा अट्ठेव सतसहस्सा अब सतसहस्सा अट्ठेब सय सहस्ता अब सयसहस्सा अब सय सहस्सा अडयाल सयसहस्सा अडयाल सयसहस्सा २४-४३ अडयाल सयसहस्सा २४-५५ २७-१०५४ २१-८१ अडयालीसं भाए २१-८४ २४-८६ २४ - १०सू० २७-४५३ २१- ३९ २७-१०४५ अडयालीसं भागा अडयालीसं लक्खा अडसी सयसहस्सा २७-१५१७ २७-२२५ २७-१३६२ २२-२२४ २१- ३५ अणसणपाडचगमणं २७- १०९९ अणसणपाओगमं २७-१०४२ अणसणमूणोयरिया २१-४१ अणंतरगयाहारे २१-४८ अनंतरागया नेर० अंत० २२ - २५८० २४-५२ अणिआहिवाण पञ्चस्थि० २५- १२४ २७- १०१५ २७-१०५१ २१-५१ २५-४८ अणुत्तरेसु नरपसु २७-१०८५ अणगार० भावि० मारणं० २२-१९६० २७-५५८ अणगार लोगं० फुलित्ता २२-३४७० २२- १३५ अणगारे० भावि अप्पा १९-४२सू० २७-९६५ अणभिगहियकुविट्ठी २२- १३० २४-३६ अणभिग्गहिया भासा २२- १९७ २४-४८ अणवट्टतिगं पारतिगं २७- १३२४ २४-३९ अणवग्निय पणवन्निय २२- १५२ ~8~ २७-२५६ २७-१२९९ २७-८७६ २७-६६० अणुसुयह सुयंतीप २७-४६६ अणुसोभर अण्णजणं २७-१८२४ अण्णउत्थिया० दो किरि० २१-१०५सू० अतिसीतं अतिउन्हें अणुबद्धरोसबुग्गह अणुराहा रेवई बेव अणुलोमपूजणाए २१-२३ १९-३० अतुलसुहसागरगया अस्थमणे संझागय २७-८६२ अस्थि गं० देवाणं सुकपोग्गला २२-३२७० सूर्य० २३ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ २ ॥ Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [अ - कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए २७-१३१५/ सूर्य०२३ २७-२१४ाज० २५ २७-१७४४नि०२६ २१-२३० प्रकी०२७ २१-५७ २१-२३८ २७-१०२४ दीप क्रमांक के लिए देखीए औ०१९/ अस्थि णं चंदिम० हिट्टिपि अद्दा अस्लेस जिट्ठा २७-८७८ | अप्पविहिणा (उ) जाहे. रा० २० तारा० २ १-१९४सू० अदाय असी य मणी २२-२०३ | अप्पसत्येसु लग्गेसु जी०२१ अस्थि ० चंदिम० हिद्दिपि अदाय पेहमाणे० पेहति ३? २२-१९७सू० प्रज्ञा०२२ तारा० २५-१६४सू० अद्धकविट्ठगसंठाण २७-२०१० अप्पाबहुयं सव्वत्थोचा ॥३॥ अस्थि शं०-तीसे स० भरहे। अद्धजोगणिया उगाहा २७-२०१७ अप्पाबटुयाणि जहेवित्थीणं गेहाइ वा २? २५-२५सू० अट्टमेहिं राइंदिपहि अप्पा० सव्य वायरतस० अस्थि पं० पाणातिवायवेरमणे अद्धतिवन्नसहस्सा २२-२३६ अप्पिह ढियाओ तारा ला कजति? २२-२८६सू० अनियाणोदारमणो २७-३०५ अप्पंपि भावसहं हा अस्थि पं० विमाणाई सोत्यीयाणि अन्नाणीवि अगोवा २७-३५६ वा २१-१००सू० अन्नेसु अ जीवेमुं २७-५३ | अप्पं सुकं बहु अउयं सअस्थि ग. रयण० अहे घणोदधीति । अन्न रयंति अन्नं रमंति अफेया अदमुत्सग 1 वा ४ २१-७२सू० अन्नं इमं सरीरं २७-१६०३ अभितरवाहिरए का अस्थि कलवणबेलंधराति०२१-१६९सू. अन्नं इमं सरीरं अभिंतरवाहिरयं अस्थिय तेंदूकविढे २२-१८ अन्नं इमं सरीरं २७-१८२५ अधिभतरं च तह 'अत्येगे गोयमा ! पाणी २७-७११ अन्नं इमं सरीरं २७-१६३७ अभंतरंसि कुणिम अत्थं धम्म काम २७-१८३८ | अपरकम्मस्स काले २७-२८६ । अभुजय विहारं अत्यं धम्म कामं २७-१८५२ / अप्परिस्सावी सम्म २७-७३१ | अध्भुजयं बिहार XNXXDANN AXA २७-१५६१ २७-४६९ २२-३२ २७-४०६ २७-१३९४ २७-२४४७ २७-५३० २७-१५४२ २७-१२४३ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~9~ Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ४ ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ अकार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) अब्भुज्जयं बिहार अभिहस्स चंदजोगो अमिस्स नव मुहुत्ता अभिई छच मुहुत्ते अभिई छच मुद्दते अभिई सो घट्टा अभिजाइ सत्तविकम अभिनंदिए पट्टे अ अभिनंद मे हिअयं अभिनंदे सुपट्टिय अमरनरवंदिए अमरवरेसु अणोम० अमरिंदनारदमुदि० aforeseed विसओ अमुर्गम इड काले अणिअमणपरिकम्मो अम्मापय भाया २७-२५९ २५-१११ २४-७ २५- ११५ २७- १०३३ अलग्गाम कुटुंबिय अरईय जाइसूकरो अरहंत सिद्धचेश्य अरहंता मंगलं मज्झ अरिहंतनमुकारो अरिहंतसरणमलसुद्ध अरिहंत सिद्ध केवलि अरिहंतसिद्ध वेश्य० २५-९० २७-१२३८ २५-९१ २७-६२२ अरिहंतसिद्ध साहु० २४-२३ अरिहन्तं अरिहंतेसु २७-५२९ अरुणसिहं द २७-५८२ अलंबुसा मिस्सेकेसी २७-९ अलि सपि भणि २७-९८६ अलोए पहिया सिद्धा० २७-१३३० अलोए पहिया सिद्धा २७-३९९ अलोगस्स० अचरमस्सा० कयरे० २७-१८८० अवर पण सेवाले २७-१६८४ अलोगे पहिया सिद्धा २७-१७२५ २७-१२५४ २७-२४८ अवसेसा अणगारा २७-३५२ अबसेसा णक्खत्ता अवलंबिऊण सत्तं २७-२३ अवसेसा णक्खत्ता २७-४३४ अवसेसा नक्खत्ता २७-३४५ अवसेसा० वारस चैव अविउत्तमल्लदामा अविकलसीलायारा अवियद्धोऽयं जीवो २७-११ २७-५६ २७-१७४३ २५-७५ अविरहिया जस्स मई अविसुद्ध लेस्से णं भंते! २७-३७६ २७-१२०९ २२- १६० असण्णी खलु पढमं असद्दहवेयणाए असमतओवि मुणी असरीरा जीवघणा उ ~10~ २२- १५६० १९-१० २२-४७ २७-४३८ २७-१७०६ २५-११४ २५-११८ २७-१०३२ २७-१०३६ २७-११७५ २७-१२७६ २७ १९२ २७ १३८६ २११०४० ૮ २७१५६६ २७ १४०४ २७ १२१७ सूर्य० २६ जं० २५ नि० २३ प्रकी०२७ ॥ ४ ॥ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [अ- कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक औ०१९ असरीरा जीवघणा सूर्य०२३ देखीए रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ प्रकी०२७ दीप १९-१९ असुराणं नागाणं २७-९७६ | अह भंते ! सब्बजीवप्पबहुँ २२-९३ २२-१६९ | असुरा नागसुबण्णा २२-१३८ | अह मणिमंदिरसुंदर २७-४४३ असिमसिसारिच्छीर्ण असुरेसु हुंति रत्ता २२-१४८ | अह महुरं फुडबियर्ड २७-१५९० २७-५६९ असोय वरपायपुढवि २०-३सू० अह मिच्छत्तससल्ला २७-१५९५ असुइ सरीरं रोगा २७-१८८३ | अस्सन्नी खलु पढमं २२-१८३ | | अहमंसि पढमराया २५-२६ असुई अमिज्झपुन्न २७ ५४२ | अस्साओ उववण्णो अयं बहुगुणदाणं असुभा बिउवणा खलु | अस्संजमत्तोगसणं २७-२४४ | अह रागदोसगभं असुरकुमाराण० अणंतर २२--१३९सू० | अस्संजममण्णाणं अहबा अट्ठबिहा रइया २१-२६९सू० आहा० २२-३०५सू० | अस्संजममण्णाणं २७-९३ | अहवा उ पुच्छयाला २७-५९१ असुरकुमाराण० कतो हितो २२-१३०सू० अस्संजममन्नाणं अहवा चउब्विहा० इस्थि० २१-२५९सू० असुरकुमाराणं केवइया ओरा- अस्संजमवोसिरणं अहवा चडबिहा० चक्खुदंसणी लियसरीरा २२-१७९० | अहणं पसवणकालसम० २७-१२सू० २१-२६०सू० असुरकुमाराण० केवइया पजचा अह तस्स महव्वय० २७-३२६ अहवा चउडिवहा संजया०२१-२६१सू० २२-१०५सू० अह भेते! असंजय०२२-२६६सू० अहवा चिलाइपुत्तो २७-३६३ असुरकुमाराण० सने समाहारा अह भंते! गाओ मिया०२२-२६२ अहवा छविहा० ओरालि० २१-२६५सू० २२-२०९सू० | अह भंते ! मणुस्ले महिसे० २२-२६४सू० अहवा णव विधा० पढमस०२१-२७१सू० असुरकुमारे f० असुर० २२-२६०सू० | अह भंते ! मंदकुमारए वा २२-२६३सू० । अहवा तिबिहा तसाह २१-२५७सू० ." क्रमांक के लिए देखीए आहा५ UNUN SVVVVVVU 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~11~ Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ अ-कार + आ-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक जं० २० देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए औ०१९ अहवा तिबिहा० पजत्तगा०२१-२५३सू० | अहवा सब्वं चित्र । २७-१८ अंतो मणुस्सखेते २७-१०७५ य०२६ रा० २० अहवा तिविहा० परित्ता० २१-२५२सू० | अहवा सुवण्णमासा २७-५१२ अंतोमुत्तका जी०२१|श्रा अहवा तिविहा भवसिद्धिया अह सो आलोअणदोसजिनं २७-२९७ अंधियपत्तियमच्छिय २२-१९१नि० २६ प्रज्ञा०२२ अह सो जिणभत्ति २७-१२ | अंबटा य कार्लदा य २२-११९मकी०२७ अहवा तिविहा. सण्णी० २१-२५५मूग | अह सो दुकडगरिहा | आइयतेअतविआ अहवा तिविहा० सुहुमा २१-२५४सू० अह सो निराणुकंपो २७-६७० २४-२९ अहया दसविधा०पढमसम २१-२७३२० | अह सोधि चत्तदेहो २७-६५८ आइच्यतेयतविया अहवा दुविहा० चरिमा चेव २१-२५०० अह सो सामाइअधरो २७-३०९ | आउनेयसमती २७-१२४८ अहवा दुविहासभासगा य २१-२४२सू० अहाज देसविरओ। आउसो! एवं जायस्स २७-१३सू० अहवा दुविहा सव्वजीवा०२१-२४८सू० | अंजणगुणसुविसुद्ध आउसो! जंपिइमं सरीरं २७-१३सू०(ब) अहवा विहा सव्वजीवा २१-२४६स० अंतरं बायरस्स० आउसो! तओ नवमे मासे २७-११सू० अहवा पंचविहारइया०२१-२६३सू० अत्तं (न्तं)परजोगेहि य २७-१३४१ आउसो! से जहानामए २७-२७सू० अहवा सत्तविहा० कण्हलेस्सा अंतो चउरंसा खलु २७-९६१ आकंपणं अणुमाणर्ण २७-२३५८ २१-२६७सू० अंतो णं भंते ! मणुस्स० , २१-१८०मूक आगममयप्पभाविय २७-२४०३ अहवा समाहिहेडं २७-६७६ | अंतो गं० माणुसुत्तरस्स० २५-१५१सू० । आगरसमुट्ठिय तह २७-१५८७ | अंतो मणुस्सखेत्ते २१-७२ आणयपाणयकप्पे अहया समाहिहेउं सागारं २७-३२१ | " KANENE 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~12~ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ || 6 || ॥ ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ आ-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) आणयपाणयकप्पे " 29 27 आतपतिट्ठियखेतं आभरणवत्थगंधे 31 33 33 " आमंतणि आणमणि आयरिअ उवज्झाए 33 37 33 आयरिया मंगलं मज्झ आया पचक्खाणे आया में जं नाणे आयारखं च उवधारवं आयासकिलेसाणं आया हु महं नाणे आयंके उवसग्गे २७-११०१ २७-१९३० २७-११६३ २२- २०१ २१-३३ २२- २०५ २२-१९६ २७-३२३ २७-६१० २७-१५७० २७-२५० २७-१४५१ २७-१४४ २७-१३२१ २७-१८३९ २७-८७ २७-१२७४ आरंभेसु पसत्ता आराहओ तहवि सो आराहणपच आराहणलाभाओ आराहणार खेमं आराहणापडागागहने आराहणापुरस्स आराहणोवउत्तो 35 आराहेऊण उक्कोसेण य आराहेऊण विऊ " 33 35 आराहेऊण बिऊ जहन्न आराहेऊण० सत्त भव० आरुग्गमविग्धं खेमियं 33 आरुहअमहं सुपुरिस ! 33 ~ 13 ~ २७-८१३ आरुहियचरितभरो २७-१३५७ आलोइयनिस्सल्लो २७-३१९ आलोयणाइदोसे २७-३२७ २७-३११ आलोयणार संलेहणाइ २७-३५५ आवलिआइ बिमाणाण २७-३५१ आवलियमुडुत्तग्गे 55 37 22 २७-१२४ २७-२६४ आचलियाइ विमाणा २७-१५५४ आसपुरा सीहपुरा २७-२७१ आसरिया य मणोहर० २७-१५५३ आसवदारेहिं सया २७-२७२ संवरनिज्जर २७-१५५५ आसीअ पोक्षणपुरे २७-८५२ आसी कुलाणनयरे आसी गयसुकुमालो २७-२९३ | आसी चिलाइ पुत्तो 33 २७-५९२ 13 २७-१५८५ २७-७० २७-१३५४ २७-१३५९ २७-१३१६ २७-११३६ २४-७ २४-१२ २७-११३७ २५-१२ २७-१६८९ २७-१८५४ २७-६०९ २७-६४२ २७-६६७ २७-६७३ २७-६७२ सूर्य०२३ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ || 6 || Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ८ ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ आ-कार + इ-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) आसी तं बत्तीसं आसी य खलु आउसो ! आसी य समणाउसो ! आसीयं बत्तीसं आसी सुकोसलरिसी आसुकारे मरणे आसेहिय हत्यीहि य आहारण ० पुच्छा आहारगसरीरे णं० कतिविधे आहारनिमित्तणं अह मच्छा० 33 23 53 23 27 33 आहारभविय सण्णी० आहार समसरीरा आहारे उवओगे आहारो उस्सासो 15 59 २१-६ २७- १५० २७-१६सू० २२-१३४ २७-६४९ २७-६९ २७-१८१४ २२- २४६सू० २२-२७४० २२-१८६ २७-११४ २७-१४८३ २७-१८७ २२-२२० २२- २०९ २२ ९ २२-५८४ आहारो ऊसासो आहारो परिणामो आहिंडिऊण वसुहं इअ उबएसामय० इअ कलिऊण सहरिसं इअ खामिआइआरो इअ जीवपमायमहारि० इअ जोइसर जिणवीर इअ तस्स बहुगुणदे० इअ तह विहारिणो २७-२९२ २७-६९३ २७-६३ २७-४४६ २५-१६ २७-६९५ इअ वंदणखामणगरिहणाहि २७-३२५ इअ सिद्धार्ण सुक्ख इकस्स उ जं गहणं इक अप्पाणं जाणिऊण इकं० खिप्यं सो मरणाणं इच सय सहस्स इकं पंडियमरणं २७-११६० कं पंडियमरणं २७- (४६७) प्र० २७-६६३ इक्कंमिवि जमि पप २७- ४२९ 23 V ~14~ २७-१२२५ २२- १०० २७–१२६३ २७-१५१५ २७-१०३८ २७-२२३ 33 33 35 वि० [ तस्स सो तेण० 33 इकाई अग्गिजालाह 31 33 इकार जलुम्मीए इकाइ वायुगुंजा० कार बिज्जुयार इक्कारस य सहस्सा इक्किकम्मि य जुयले 31 55 35 इको उप्पजए जीवो इको करे कम्म 53 29 २७-१४८० २७-२८२ २७-२३८ २७-१५३० २७–१५२९ २७-२३७ २७-२३६ २७-९९० २७-९८५ २७-९८७ २७-९८९ २७-१०५३ २७-१००२ २७-९५५ २७-१४७ २७-१७७ २७-१८२० सूर्य० | २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ८ ॥ Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [इ-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए औ०१२ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥९ ॥ सूर्य०२३ चं०/२४ जं. २५ नि० २६ प्रकी०२७ दीप क्रमांक के लिए देखीए इक्को जायइ मरद | इको मे सासओ अप्पा इका यहोइ रयणी | इको है नस्थि मे कोई इक्खू य इक्बुवाडी इच्छामि० उत्तमढे पनि इच्छामि भंते! उत्तमट्ठ इच्छामुत्ति भणित्ता इच्छामो अणुसहि इच्छिजइ जत्थ सया इट्ठजणविप्पओगो इटाणिद्वेसु सया इणमो सुगइगइपहो इम्हि व मुहुत्तेणं इहि सयं बिसिस्स उ इति एस पाहुडत्था इति एस पाहुडत्था BEPORNKTUESARJEEEXEX २७-९४७८ | इत्थ किर विमाणाणं २७-९०९ | इमा णं भंते ! रयण कतिविधा २७-१४९ | इत्थ० चत्तारि महासुके २७-२१०० २१-७०सू० | इत्थ पुण भावणाओ २७-१२९४ | इमाणं भंते! रयणप्पभा० केवतियं | इत्थि विसेसो भण्णइ २७-१३१४ | बाहल्लेणं० २१-६९सू० | इस्थिवेदस्स णं भंते! कम्म० २१-५२सू० | इमी० रयण नेरया २१-८४सू० इत्थीए णाभिहिट्ठा २७-४५६ | इमीसे f० णरगा किंमया २१-८६० २७-१सू० इत्थीणं भंते ! इस्थित्ति का०२१-४९सू० इमीसे ण णेरइयाण० किं संघयणी ? २७-२९५ | इत्यी गं भंते ! ठिती० २१-६४सू० २१-८८० २७-४३० . २१-४७सू० इमीसे गं० रतिया० कहिं गच्छति ? इत्थी णं भंते! अंतरं० २१-५०सू० २१-१२सू० २७-१८४४ इमाओ अट्ठ सुयाओ २७-१८९८ | इमीसे पं० रतियाण केरिसया २७-१४९९ | इमा णंभंते !रयणकिं सासया पोग्गला २१-८९सू० २७-१८६४ ....२१-७९सू० | इमीसे रतियाणं केवतिय २७-२६१३ |इमा णं भंते ! रयण किंसंठिता! | | कालं ठिती २१-९१सू० २७-१६१० २१-७५सू० | इमीसे गं० तीसाए नरया० २४-९८ इमाणं भंते ! रयण दोच्चं पुढवि० २१-१४सू० २४-२०७०। • २१-८१सू० । , मेरइया कतो० २१-८९सू० پایانی 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~15 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ इ-कार + ई-कार + उ-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक औ०१९ देखीए रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२ मकी०२७ दीप क्रमांक के लिए देखीए इमीसे रतिया केरिसय २१-२०१० | इय अवि मोहपउत्ता २७-२३१३ | इंगालए वियालए २४-८८ २१-९३सू० , बालपंडियं होइ २७-७३ | इंदग्गी धूमकेतू . २१-९६१० सव्वकालतित्ता १९-२७ | ईद मुद्धाभिसित्ते य " भंते! रयण० असी २१-७४सू० २५-९४ " रयण उवरि०२१-८०सू० २७-१२२७ | इंदविलयाहि तिलयरयणकिए २७-९३२ , केव० २१-७२सू० , सिद्धाणं सोक्खं १९-२५ | इंदिअविसयपसत्ता , घणोदधि० २२-१७५ | इंदियउवचयणिव्यत्तणा २२-२०७ २१-७७सू० इलादेवी मुरादेवी | इंदियसुहसाउलो २७-१४०१ णरका० इसिवालियस्स भई २७-१२३३ २७-२२६ २१-८३सू० इह इत्तो चउरंगे २७-१८०५ २७-१५१८ नरका केमहा० इह खलु जिण मयं जिणाणुमयं २१-१सू० | ईसाणकप्पवइणो २१-८५सू० इहभविअमनमविलं २७-५० ईसाविसायमयकोह , , रयण खरकंडे २१-७३सू० | इहलोह अवायं दंसह २७-२५९१ | ईसीप-भाराए सीआप २७-१२०७ , रयण पु०अचरम०२२-२५६सू० , आयासं | उअरमलसोहणट्ठा २७-३१५ " , सव्वजीवा २१-७८सू० , परलोए २७-१५७६ | उक्किन्नंतरफलिहा इमे णामा अणुगंतब्बा २१-१६७सू० " .. २७-१५८९ | उक्कोसकालट्ठितिय पं० २२-२९९सू० इमो खलु जीवो २७-२सू० | इंगालए विआलए २५-१२८ । उक्कोसचरित्तोऽबिय २७-१३८७ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~16~ Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [उ-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सुत्राक औ०१९ रा० २० सूर्य०२३ ARSEENERE जी०२१ देखीए २७-१३०० २७-७४० २७-१७३९ २७-२४१३ २७-१५६२ २७-१२४२ २७-८८३ चं०/२४ जं० २५ |नि० २६ प्रकी०२७ प्रज्ञा०२२ ॥११॥ दीप क्रमांक के लिए देखीए उकोसेण गिहत्थो उगुणटुं पोट्टवया उग्गम० मियविरस , उप्पायणएसणा उच्चारे पासवणे खेले उच्छ्ड सरीरघरा उजम सवथामेसु उजुअमालोइत्ता | उजेणि हस्थिमित्तो उजेगीनयरीए उज्झसुनिआणसल्लं उज्झाया मंगलं मझ उज्झिअजरमरणाणं उझिअनिआणसल्लो उज्झियवहरविरोहो उडमहे तिरियम्मि २७-४४५ | उद्दमहे तिरियम्मि २४-(२२२टी०) , वि २७-१४१२ | उहंमि सिलावट्टे २७-२३९६ | उत्तत्तकणगवन्ना २७-४६७ | उत्तमकुलसंपात २७-६२९ | उत्तमा य सुणक्खत्ता २७-७१८ २७-१३५२ | उदगस्स नालिआए २७-१७२० | उदगं खलु नायव २७-६५१ | उदयम्मि अट्ठ भणिया २७-३३१ | उद्धियनयणं खगमुह २७ २५१ | उप्पन्नभत्तपाणो २७-२२ | उप्पन्नाणुप्पन्ना २७-४१५ उप्पन्ना २७-३५ | उप्पन्ने उबसम्गे २७-१४७५ उम्मग्गठिए सम्मग्ग० २७-२७४ ।, ठिो इकोऽवि TETSAMETERRBHATT २७-२००१ उम्मग्गदेसणा नाण. २७-१०९ | , मग्गसंप० २७-१७१३ । ,, संपयार्य २२-१४७ | उल्लीणोल्लीगेहिय २७--३५० उवएसहेउकारण २५-२१ २५-९५ | उवकरणभंडमाईणं २७-५१३ | उबलद्धपरमयंभा २७-५१४ | उबलद्धो सिद्धिपहो . -२४-११ | उवलंबयरज्जूश्रो २७-५६० | उववारण व सायं २७-८६० | उबबाओ पुरिसाणं २७-१५४ | , संकप्पो २७-१४५८ उवधायपरीमाणं २७-१७६५ | उवसग्गे तिविहेवि २७-७३८ उवसमद किण्हसप्पो २७-७३९ | उवहीनियडिपइट्ठो २७-१६०६ २७-११४१ २१-१९ २१-१३ २५-४२ 'सवृत्तिक आगम २१-११ DATABASE وایه وای सुत्ताणि २७-३५८ २७--१३५३ ॥११॥ ~17~ Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ उ-कार + ए-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक चं०:४ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ देखीए HETANARRATEEK ॥ १२॥ दीप क्रमांक के लिए देखीए उवहींइ व नियडीह २७-१३५० | एअस्स पभावेणं पएसि० जी० पोग्गलाणं २२-८१सू०सूय१९३ उवही सरीरगं चेव २७-२४२ | एआई सोहइत्ता २४-(२२२टी०) " भवसिद्धि०२२-७८सू० २७-१४२ एवारिसे शरीरे भासगाणं २२-७३सू० जं० २५ उवागच्छित्ता तते गं २५-५९सू० एए उ अहासूरा २७-२७४० जीवाणं आमि० २२-६८सू० नि० २६ उब्बत्तण परिवत्तण २७-२५६५ एए, अहोरत्ता चक्खुदंसणीणं-२२-६९सू० प्रकी०२७ उब्बेयणयं जम्मण २७-१७८ | एए, समासेणं " सम्मदिट्ठीण २२-६७सू० २७-१८१ | एए चेव उ भावे २२-१२३ , सयोगीणं २२-६३सू० २७-१७९ | एएते निजवया २७-१५६८ , सलेसाणं २२-६६० २७-१८० | एए णव णिहिरयणा , सवेयगाणं २२-६४सू० २७-११० एए बारसदा २७-२०९४ , सन्नीण २२-७७सू० उब्वेवणयं २७-१४७९ | एए विकसियनयणे २७-९४८ " सागारोवउत्तार्ण उसमे णं अरहा कोसलिए २५-३२० एपसि पं० कण्हलेसाणं २२-२२१सू० २२-७१० २५-३४० जी० आउयस्स २२-९०सू० " सुदुमाणं २२-७६सू० , , पंचउत्तरा० २५-३३सू० ___ , आहारगाणं २२-७२सू० , संयताणं २२-७०सू० उसिणे तगरऽरह २७-१७२४ " , चरिमाणं २२-८०सू० ... देवाण कण्ह० २२-२२०सू० उस्सप्पिणि२ अढाइ २१-९० पजत्ताणं २२--७५सू , धम्मस्थिकाय० २२७९सू० उस्सासा निस्सासा , परित्ताणं २२-७४सू० । , नेरदयार्ण २२-२१७सू० ॥ १२॥ 20YEESEASESEX 'सवृत्तिक आगम RAZZERS सुत्ताणि ~18~ Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ए-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सुत्राक औ०१९ सूर्य०/२३ यहां रा० २० जी० २१ देखीए जं० २५ नि० २६ प्रज्ञा०२२ ॥१३॥ दीप क्रमांक के लिए देखीए एएसि० परमाणुपोग्गलाणं २२-१२सू०एएसु य अद्धाणं पत्थाणं २७-८५९ | पगमेगस्स f० नेरम्वेद० २२-३३४सू० बादरार्ण० कयरे२ २२-६९सू० विमाणेसु २७-२२२४ ___ , नेर०नेरइयत्ते २२-३३६सू० चं०/२४ एएसि भंते! पार्गदि० २१-२२६सू० " बिहिबिहण्णू २७-१३२७ संबच्छरस्स २५-१५३सू० , , चंदिम० २१-२०१सू० एहिं सरीरेहिं २२-(१०७)प्र० एगपयेऽणेगाई २२-१२६ ,,मेरइयाण २२-५७० | एकाणउई सतराई २४-४० एगवीस जोयणसया २७-१९९७प्रकी०२७ एपसि र्ण सइंदियाणं २२-५८सू० | एक्का य होइ रयणी एगस्स दोण्ह तिण्ह व २२-१०३ ,, सकसाईणं २२-६५सू० पकारस य सहस्सा २१-५० पगं च सतसहस्सं २१-२९ ,, सकाइयाणं २२-५९सू० " , सयसहस्सं २५-८३ , सुहुमाण २२-६०सू०एक्कारसुत्त हेडिमेसु २४-३२ "... बायराणं० २२-६२सू० हेट्ठिमए २७-१९१० " " " " २७-५१६ पएसि तु दुहाण २७-१८८८एको करेइ कम्म २७-१४८ पगतगुणे रहिया २७-२५६३ २७-९७९ एगअहोरत्तेणवि २७-२८७२ | एगंतमणावाए २७-६५५ , ओहि एगट्ठिभाय काऊण २७-२०१३ | एग पंडियमरणं २७-१२५७ , पल्लाणं २५-८ एगदुगतिगचउपण २७-१२७० २७-१२५९ एएसु चेव ठाणेसु २७-१५८६ | एगनेरइयस्स नेर० २२-३३७सू० | एगमिवि जम्मि पए २७-१२२ , भत्तिजुत्ता २७-१२५५ | एगमेगस्स f. चंदिस्स २५-१६५सू० एगाइ गिराऽणेगे २७-१९ , मुहुत्तजोएसु २७-९०० | , चंदिम० २१-१९५सू० | एगा जोयणकोडी २१-४० ॥१३॥ TeesrESCOVERESAKAL "देवाणं 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि CARRAIMER ~19~ Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ए-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए औ०१९ रा०२० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ॥१४॥ जीवाणे दीप क्रमांक के लिए देखीए TULASARRIAGE एगा जोयणकोडी २७-१२०४ | पतेसि . अभिई २५-१६०० पतेसि० देवाणं कायपरि० २२-३२९सू० एगा य होइ रयणी २२-१६५ २५-१५८सू० ,, नेर वेदणा० २२ ३४ासू० एगांवि सा समत्था , कयरे २५-१५७सू० , पं० सं० पढौ २४-६८सू० पगाहेण तवस्सी २७-१३६८ ओरालिय० २२-२७९सू० " भंते! इत्थीण २१-६३सू० एगिदियसरीरादी २२-२१९ २२-२७८सू० २१-९८सू० पादियाण जीवा णाणी २२-२९६सू० चंदिम० २५-१७०सू० " " औरइय० २१-६१० पगूरुयपरिक्खेवो २१-२५ २५-२६९सू० र० २१-२२४० एगे जंबुद्दीवे २७-१०७८ २१-२०७० ,, तिरिक्ख०२१-५१सू० | एगो एगिथिए २७-८०२ २१-२००० एत्थ किर अतिवयंती २१-१४ एगो मे सासओ अप्पा २७-८९ २५-१७५० एत्थ पं० पच्छाणुताबिए २०-७६सू० पगोरुयदीवस्स णं २१-११२सू० २४-९५सू० एत्थ य भिन्नमुहुत्तो २१-२४ एगो वह जीवो २७-८८ , छप्पण्णाए २४-६२सू० एयमवहाररासि २५-(५०७टी०) एगो बिमाणवासी २७-१७५७ , जी० कोहसमु. २५-३४३सू० एयस्स बंदजोगो २७-१०२९ एगो सयंकडाई २७-१४५३ " , वेदणा० २२-३४०सू० एवं खु जरामरणं २७-५२९ एतासि भंते! तिरि० २१-५१सू० " सच्चभासगा०२२-१७५सू० , पञ्चक्लार्ण २७-१३२ पतेसि ० अट्ठावीसाए २५-१५९सू० , , सलेस्साणं २२-२१६सू० २७-२४५ ", अभिई० २५-१६१सू० । तिरिक्खजोणियाणे २२-२१८सू० । २७-२७५ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ॥१४॥ ~ 20~ Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ए-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक औ०१९ पयं पञ्चक्खाणं रा० २० देखीए जी०२० मज्ञा०२२ .. पंडियमरणं पाओवगर्म प्रकी०२७ दीप क्रमांक के लिए देखीए पुणव्वसुस्स य मरणविभात्ति सगडसरीरं सयं कयं मे सरागसंलेहण " सखुवएसं , सोउं सरीरस्स एयंसि निमित्तमी एयाइ विमाणाई एयाउ पंच वजिय एयाए भावणाए एयाणि य अण्णाणि य २७-१५३५ एरंडे कुरुर्विदे २२--३८ एवं च गयो पक्खो २७-१६५६ २७-२५५७ | एरिसगुणजुत्ताणं ,, जंबुद्दीवे २७-१२५९ एरिसयदोसपणे , तिदंडविरओ २७-२०९ २७-१७७२ परिसयाण सगासे २७-१५६९ २७-१५०० २७-१७८० एलतयनागकेसर २७-३१६ , तु कसायग्गिं २५-(५०८टी०) पवइयं तारग्गं , निस्सारे माणुसत्तणे २७-५२६ २७-१८९६ २७-२०५६ , पम्हे बिजए अस्स० २५-१०३सू० एवतियं, , परिहायमाणे २७-५०१ २७-१५४० एव परज्झा असई २७-१५८० ., पवयणसुयसार० २७-१२४९ २७-१४२२ एवमणुचिंतयंता २७-१८०३ .. पंचासीई नट्ठा २७-५२५ , चितयतो २७-२६१४ बहुप्पयार २७-१५९८ एवमणुद्धियदोसो २७-१२८५ , बुदिमइगओ २७-४६८ एवं अप्पाबहुगं,सव्वत्थोवा २१-२३४सू० , भावियचित्तो २७-१८०४ २७-११०२ , उबट्टियस्सवि २७-१३५६ , मए अमिथुआ २७-७०९ , कयसलेह २७-१४४२ , मणुस्साणवि २२-२१९सू० २७-१३०२ , करंतु सोहि २७-१३९७ , मरिऊण धीरा २७-१८८४ | कहिय समाही २७-१४४३ | , बड्डा चदी AAHANNAANAK 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~21~ Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञ(०२२ ॥१६॥ XAN NAMNA AI मुनि दीपरत्नसागरेण एवं वह चंदो **44 4.4. वहृति समणे० अंबसाल० सरीरसंलेहणाविहि एस करेमि पणामं 33 53 " 25 32 किराराहणया समासो भणिओ एसा कप्पवईर्ण गहितावि संती णं गंधविही भवणवईणं बंतरियाणं एसो बालविही तारापिंडो 23 उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ ए-कार + ओ कार + क-कार ] संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) पुनः २७-१०७४ एसो तारापिंडो वि ठिइविसेसो सविधारकओ ओगाहणसंठाणा ओगाहणा अवाए ओगाहणार सिद्धा २४-७५ २०-७० २७-१४२० २७-७४ २७-१३४ २७-१४४५ २५-७० २७-५८८ ओगाहणाऍ सिद्धा २७- १७२९ ओ ( उ ) ग्गाहर केवइयं २७-११०७ ओमजायणमंडब्बा० २५-१०६ २४-९९ ओरालियसरीरस्स० कतिदि० २२-२७७० २७-११३२ केमहा० २२ २७०सू० २७-९९४ ओरालियसरीरे० किंसं० २७-१००८ ओसनोवि विहारे २७-९२८ ओसप्पिणीश्मीसे २१-५२ ओसरणमवसरिता २४-५६ | ओहिनाणे विसओ " २७-१०५५ क ० चंदमंडला २७-९५९ २७-१५५८ २२-८ २२-२०८ २२-१६६ २७-१२१५ १९-१६ ~ 22~ " 33 21 33 35 15 75 33 35 17 39 11 1 " " "1 33 २५- १४३० छाउमत्थियसमु० २२-३४४० णक्खत्तमंडला २५-१५०सू० भंते! अणुवेलंधर० २१-१६१सू० गंधा २१ – ९९सू० पुढवीओ २१-८२० माअंगा २७७ सू० सन्नाओ २२ - १४७० संठाणा २२ - १५९० 23 " 31 21 " 23 लेसाओ 11 लेस्साओ दुष्भि० " 33 २२- २६९ सू० २७७४३ 33 35 सूरमंडला २५-२५ मंडलाई बधाई २७-१८ २७-११६८ 33 33 23 33 कइया णु तं सुमरणं २२-२१४स्० २२-२२५० २२-२३१स्० २२-२२८सू० २५- १२८सू० २४-१ २४-३० २७–१८३ सूर्य० / २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥१६॥ Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ क-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक औ०१९ देखीए प्रज्ञा०२२ जोजी दीप क्रमांक के लिए देखीए कइया णु तं सुमरणं २७-२४८१ | कण्हलेसे गं० जी कइसु २२-२२४सू० कति गं० कुला २५-१६२सू० सूय०१२३ काविहा णं ओही २२-३१८सू० | मेरइए०२२-२२३सू० ", णक्खत्ता २५-१५६सू च ०/२४ जोणी २२-२५३सू० | कण्हे अ करकंडे य ", भंते ! पुढवीओ २२-१५४सू० ज० २५ २२-२५२सू० | कण्हे कंदे बजे २२-५३ ""भासजाया २२-१६७०नि० २६ मंते! पजवा २२-१०३सू० | कति पं० इंदिया २२-२९१सू० २२-१७४० प्रकी०२७ वेदणा २२-३३०सू० करणा २५-१५४सू० , वेलंधरा २१-१६०सू० कइबिहे णं. आउयबंबे २२-१४५सू० ,, कम्पपगडीओ २२-३०१सू० , समुद्दा __,, उवओगे २२-३१३सू० २२-३०२सू० सरीरा २२-१७६० " गइप्पवाए २२-२०५० २२-३०३सू० २२-२३२सू० कच्छुभार दिप्पलिया २२-२२ २२-२८९सू० समुग्धाया २२-३३३स० कणगत्तयरत्तामा २२-२९४सू० २२-२६८सू० कणगमणिरयणथूमि २२-३००सू० , संवच्छरा २५-१५२सू० कणगंकरययफालिय० २१-३१ " " कसायसमुग्धाया २२-३४२सू० कति पगडी कह बंधति २२-२१७ कणगावलिमुत्तावलि २७-१६८८ ___ कसाया २२-१८६सू० कतिपतिटिए कोहे २२-१८७सू० कण्ह लेस्सा णं० कतिविद २२-२२९सूत्र २२-२८०सू० कतिविधा णं भंते ! पुढवी २१-२०२० केरिसिया २२-२२७मू० " " २२-२८५सू० कतिविधेणं इंदियअवाए २२.२००सू० ,, ,बन्ने] २२-२२६सू० ,, किरियाओ २ २-२८४सू० । ,, कोधे २२ १८८० SELEASE "" सरीरया 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि १७॥ ~23~ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ क-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत IAS स्य ० सूत्रांक यहां देखीए 0/ औ०१९ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥१८॥ दीप क्रमांक के लिए देखीए SANEKANA कतिविधे णं कोधे २२--१८९२० | कतिसमतिए णं केवलि० २२-३५०० | कयपावोऽपि मणुस्सो २७-१६३19 , परिणामे २२-१८१५० | कत्थइ अइदुप्पिक्खो २७-१७९५ कयपावोऽवि मणसो २७-१४६५ कतिविहा, इंदिया० २२-२०१सू० | जं० २५ , दुविहिपहि २७-१३३७ , जोणी० २२-१४९सू० , सुहं सुरसम नि० २६ २७-२८७५ २२-१५१सू० कत्थ य मुद्धमिगत्ते | कयरे ते बत्तीसं देविंदा २७-९३६ २७२१७९४ प्रकी०२७ , परियारणा०२२-३२५सू० कप्पतरुसंभवेसु करकरिए रायग्गल २७-१४८६ " पासणया " कलहं अभक्खाणं २२-३१४सू० २७-२०२ ,णिोया २१-२३९सू० २७-१४९४ कप्पम्ति सहस्सारे २७-११०५ " संसारसमा० २१-१०१सू० कप्पाओ कप्पम्मि उ २७-२३६७ कल्लं कल्लंपि वरं २७-११२५ , वेदणा. २२-३३१सू० कप्पाकप्पविहिन्नू २७-३४३ | कल्लाणपरंपरयं २७-१५६७ २२-३३२सू० कप्पे सर्णकमारे . २७-११२० कल्लाणफलविवागा कतिविहे ० असपिण. २२-२६७सू० कमलामेलाहरणे २७-५९४ २७-१६६८ | कल्लाणं अब्भुदओ " , इंदियउव० २२-१९९सू० कहं चंदमसो बुढी कम्मटुक्खयसिद्धा . २७-२४ , पओगे २२-२०२० कम्मरस आसवं कहं ० जीवे अट्ट कम्म० २२-२९०सू० २२-१८०८ ,.,, भंते ! इंदिय २१-१९२सू० कहि पं० अणवत्रियाणं २२-४९सू० | कम्मासवदाराई २७-१८५४ वयगे २२-१७३सू० | कम्हा केवली समु० २२-३४८सू० ... ईसाणाणं २२-५३सू० | कतिसमतिए पं० २२-३४९० | भंते! लवण २१-१५७सू | " " 1 २५-८९सू० ॥१८॥ اثاثة 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~24~ Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ १९ ॥ KARA PEPEX 51 कहि गं० उत्तरकुराए जंबूपेढे २५-९१ सू० पील० २५९०स्० 53 जंबु० उत्तरभरहे २५-१७० २५-१६सू० २५- ७३० 11 31 75 11 " 31 33 37 "1 11 33 55 "1 23 " उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ क-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) 33 33 33 33 53 35 " " 11 "" 35 15 " "" 33 " 35 35 53 23 " " 27 " 11 31 22 39 उत्तरहु चुल्लहिम० सिहे णीलवंते० दीवे दाहिण भरहे० 33 11 २५-१२० 31 भारहे० वेअद्ध २५-१३५० महा० कच्छे० २५-९४० चित्तकूडे, २५-९५० मंदरे० २५-१०४स्० बिज्जु० २५-१०२० महाविदेहे २५-८६० महा० सीआए २५ ९७० 11 २५-८४० २५-१११सू० २५-११० २५-१०० " 53 कहि ० ० सुकच्छे २५-९६० कहि णं भंते ! उत्तरकुराए २१-१५०सू० सोमणसे २५-९८५० 22 33 11 31 २१-१२०सू० 33 उतरिल्लाणं कालोयगाणं २१-१६६सू० महाहिमवंते २५-८०सू० २५-११२० २१-१६३० २५-३० २१-१३०सू० २१-१४५सू० २१-१२३० दाहिलाणं २१-११०सू० दाहि० हयक० २१-११३० २१-१२४सू० दीवसमुदा देवदीवगाणं २१-१६८० धायतिसंडदी० २१-१६५० नागकुमाराणं २१-१२१ सू० 11 31 33 35 " 37 17 " 33 15 11 31 "" 25 33 35 " 35 " " 15 27 35 " " 15 33 15 21 " 15 35 " 31 रम्पए० विजए णार्म २५-८० हेमवर २५- ७७सू० 21 हरिवासेव्यासे २५-८३० जोइ सियाणं २२-५०सू० देवकुराए चित्त० २५-९९० देव० कूड सामलि० २५-१०१० देव० सिट हे० २५-१००सू० पिसायाणं० २२-४८० भंते! अभिंतर लावणगाणं २१-१६४० · असुरकुमारा० २१ - ११८सू० ” उत्तरकुराए २१-१४९० २१-१५२० 13 35 ~ 25~ ! " 35 33 31 11 33 33 31 " 11 33 15 11 15 37 33 37 35 33 " 33 35 35 " 15 35 33 35 35 21 19 जंबुद्दीव० 37 जंबुद्दीवे जंबु० बिजये 35 35 31 11 37 33 35 31 37 15 35 जंबु० बेज़० जोइसि० मेरयाणं पज० २२-४२० पंचिदिय० २२-४४० बादरपुढवी० २२ २९ सू० सूर्य० / २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ।। १९ ।। Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ क-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए औ०१९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥२०॥ जं० २५ ای دایا दीप क्रमांक के लिए देखीए कहि णं भंते ! बादरवाउ० २२-४०० | कहि णं अडे पण्णते २५-१४सू० गत्त २५-१४सू० कंदा य कंदमूला य २२-१०८सू ये। २३ ,,,बेइंदियाणं २२-४१सू० ,, सूरियामे णामं० २०-२७सू० | कंपलसाडे णं आवेढिय० २२-१९८० चं ०२४ ,,, भवणवासि० २९-११७सू० ,, हेमवए २५-७८सू० कंबूयं कन्नुकड २२-४२ ,, रयण मेरह० २२-४३सू० , भवणवासीणं २२-४६मू० काइयवाइयमाणसिय नि० २६ वाण देवाणं २२-४७सू० , बेमाणियाणं २२-५२० । काईदीनयरीए २७-६६२ प्रकी०१७ , वाणमंतराणं २१-१२२सू० , सोहम्मगदेवाणं २२-५२सू० काऊण तिहिं घिउणं - २७-८८९ ,,,, विजयस्स २१-१३६सू० कहि पडिया लेसा २४-२ काऊण नमुक्कार ,,वेमाणियाणं २१-२०८लू० , सिद्धा कागसुणगाण भक्खे सिद्धार्ण ठाणा २२-५४सू० . " " . " २२-१५९ | का देवदुगई सुट्टियस्स २१-१६२सू० २७-१२०८ कामभुअंगेण दट्ठा २७-३८५ "मणुस्साणं पज्जत्ता० २२-४५सू० कंगू या कंडुइया २२-३१ कामविडंबणचुका ., महाविदेहे० २५-८७सू० | कंचणपुरम्मि सिट्ठी २७-१६५८ कामासत्तो न भुणइ २७-३८८ , , उत्तर० , २५-८८सू० २७-१६८ कारणमकारणेणं २७-८०८ ., मालवंते हरिस्सह २५-९३सू० २७-१४७० का रंति व का लेणा २४-९३८ ,,, मंदरए पव्वए सो०२५-१०६सू० | कंदप्प कोकुयाइय २७-१२९६ | कारनामयनीसंद० २७-२९४ , मंदरपचए पं० २५-१०७० |, देवकिब्बिस २७-१०२ | कालत्तएविन मयं २७-४५ ...मंदरे पव्वए पं० २५-१०५सू० ।, २७-१२९५ | काला असुरकुमारा २२-१४६ ॥ २० 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~26~ Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ क-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए औ०१९/ काले अपहुप्पते रा० २० , कालण्णाणं जी० २१० केरिसहि. प्रज्ञा०२२/ काले भंते ! कुमारे ॥२१॥ य महाकाले " सुरुवपुणे कालो परमनिरुजो कालोय णं समुई किच्छाहि पावियम्मियि किच्छाहिं पाबिउं जे किण्हं राहुबिमाणं २७-३३३ | किण्हा नीला लोहिअ २७-१९७९ | किं तं पंडियमरणं २७-१५१६ नसूय०१२३ २५-३४ | कित्तिअमित्तं वण्णे २७-५३७ .. तु महिलाण तासि २७-३९५० /२४ २६-९सू० कित्तिया य बिसाहा य २७-८८२ , पुण अणगार० २७-१७८६० २० २६-१९सू० कित्तियाहिं विसाहाहि २७-८७१ २७-२१५ नि० २६ २२-१५० कित्तीगुणगम्भहरं २७-१२३९ " पुण , २७-१५०७1 प्रकी०२७ २७-९९७ | किन्नर किंपुरिसे खलु २२-१५१, ,पुण अणगारसहायगेहिं २७-६९८ २७-२००५ २७-९९८ , पुण तरुणो अबहुस्सुओ २७-७७४ २७-५०४ | किमाइआ पं० संवच्छरा २५-१५५सू० |, पुण सपञ्चवाए २७-४९३ २१-१७७सू० किमिकुलसयसंकिण्णे , २७-५३८. , पुत्तेहिं पियाहि व २७-५७८ २७-१३०६ | किमिरासिभद्दमुच्छा २२-५२ | कीर बीअपएणं २७-७९५ २७-१८३९ किसिपारासरढंढो २७-१७३२ कुग्गहपरूढमूलं २७-३२८ २१-६८ किर ताव घरकुडीरी २७-५३५ कुरुदत्तोवि कुमारो २७-६७१ -२५-७२ | किं इत्तो लट्टयर २७-१३७९, कुरु मंदर आवासा २२-२२६ २७-२०७१ किं च तं.नोवभुत्तं २७-३१४ कुलगामनगररजं .२७-७३३ २७-२०४ , चित्तं जइ नाणी २७-१७४१ - कुल्लइरम्भि य दत्तो '२७-१७२६ २७-२२१९ , जायं जइ मरणं २७-१७८८ - कुलुउरमि पुरवरे २७-६५७ २७-१४९५ ,तं पंडियमरणं २७-२२५ | कुंभारकडे नगरे २७-२७३ ॥२१॥ XERMERSALAR HERSXXSA 'सवृत्तिक आगम किण्हा नीला काऊ सुत्ताणि ~27~ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ क-कार + ख-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक देखीए सूर्य०१२३ ०४ जं. २५ नि० २६ प्रकी०२७ दीप क्रमांक के लिए देखीए ऑ०१९ कृणदिकोणलग्गेसु २७-२११ कोई पुण पावकारी रा० २०ा केइत्थ सिय विमाणा २७-१९७१ को केण समं जाया जी०२१ केइ य हरियविमाणा २७-११७२ | कोडी वाणउती खलु प्रज्ञा०२२/ केणं वद्दा चंदो? २७-२०७० " बातालीसा ॥ २२॥ वति चंदो २१-६७ " वायालीसा २४-७१ | को दुक्खं पाविजा केवइयाण० ओरालिय० २२-१७७सू० | कोरिटधाउबणिय , भंते ! जंबू० २१-१८७ | को सडणपडणवि किरिणः केवइया व विमाणा २७-९३७ कोसंबीनयरीए कि केवतियाण कण्ह २२-३०सू० |कोसायारं जोणी भंते ! दीव० २१-१९०सू० | कोहमयमाय केवलणाणुबउत्ता | कोहस्स व माणस्स व " नाणुवउत्ता २२-१७० | कोहं खमाइ माणं | कोहं माणं माय केवलिणो परमोही " " केवली पं० इमं रयण. २२-३१५सू० कोहाइकसाया खलु कोई पढभपाउसंमि २७-९३० | कोहाईण विवागं MARREARRESENSECRET २७-४७१ | कोहेण नंदमाई २७-१८२२ | कोहे माणे माया - २२-१९५ २४-४४ | खइपण व पीएण व २७ १९४ खगतुंडभिन्नदेहो २७ १७४४ खजूरिपत्तमुंजेण २७ ७८५ २७-१४३२ खमगत्तणनिम्मसो २२-१७५१ खरफरुसककसाए २७-७६३ खरघोडाइट्ठाणे २७-६६५ खलिअस्स य सेसि खंडसिलोगेहि जवो २७-३६२ २७-४९८ | खंडा जोअण वासा २५-८१ २७-१४२५ खंडिअसिणेहदामा २७-१४२४ खंते दंते गुत्ते मुत्ते २७-७६२ २७-२०१ खामेमि सव्वजीवे २७-१४० | खामेमि सव्वसंधं २७-६७७ २७-१६०८ | खित्तद्धयविच्छिन्ना २७-१२०५ २७-४२६ | खित्ताणु० सव्य० तसकाइ० २२-८९सू० 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ॥२२॥ ~28~ Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ २३ ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ ख-कार + ग कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) खिताणु स० पुगला २२-९१० पुढविका० २२-८८० पबिंदिया २२-८७० २७-१९६ 22 33 25 खीरदरसे खीरासब महुआसव० खीरोदण्णं समुई खीलगदामणि एगा खुला चिलाश्वामणि० खुट्टो बुढो तहा सेहो ताणुवारणं सम्व ताणु सव्व० विइंदिया 2 खेत्ता० सव्व एगिंदिया 31 नेरइया भवणवासी गहविष्भमा हिं गच्छ सविलासगई गच्छायारं सुणित्ताणं गच्छो महाणुभावो २७-३४ गण संग्रहणं कुजा 33 " 17 खेमा खेमपुरा व खेलपडिअमष्यार्ण खोदोदणं समुहं २१-१८३० २५-११० २५-९ २७-८१५ २२८२० २२-८६० २२-८५० २२-८३० २२-८४५० २५-५६ २७-७७८ २१-१८५० " 35 33 गणिअस्स य उप्पत्ती गणि गोअम जा उचियं गतिठि भये व भासा गतिपरिणामेनं० कति० गन्मघरयम्मि जीवो गयपुर कुरुदत्तसुओ गयगवयखग्गगंडय० गयवसहसीह अभिसेय गयसुकुमाल महेसी गरहित्ता अप्पाणं ~ 29~ २७-८३० २७-८२३ २७- ८४६ २७-७६० २७–८७३ २७-८८६ २७-९२२ २५-३० २७-८२१ गरुलोऽपि वेणुदेवो गहदिणा उ मुडुत्ता बालुयाए गंधव अग्निवेसे 31 15 गिरिजापडिएण व गीयत्थस्स उ वयणेणं गीयरथे जे सुसंविग्गे गुट्ठयपाओवगओ २२-१९९ गुट्टे पाओगओ २२- १८३० २७-४७४ २७- १७२७ २७- १७९२ २७-८ २७-१६६६ गुरुगुणगुरुणो गुरुणो २७-१५७२ | गुरुणा कजमकजे गुणधारणरुवेणं गुत्तीओ समिईओ गुत्तीसमिइउदेओ गुत्ती समिगुणडो गुम्बरपा ओवगओ २७-९८२ २७-९२६ २७-५७२ २४-१८ २५--९९ २७-१३४९ २७-७५३ २७-७५० २७-६६१ २७-४३७ २७-७ २७-२०८ २७-६१५ २७७०४ २७-१७१३ २७-३१० २७-७६५ सूर्य० / २३ चं० २४ जं० २५ नि० २३ प्रकी०२७ ।। २३ ।। Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ २४ ॥ उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादि [ ग कार + घकार + च कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) गुरुण छंद वित्ती गुरुसुक्क सोमदिवसे गूढसिरागं पतं विजाssवलिसरिसा गेविजेसु य देवा रयणीओ गेहेसु गिहत्थाणं गोमेज य रुपए गोयमाई समणे भगवं गोवहायण गच्छ० गोसीसागुरुकेयर गोसीसावलिकाहार घणदहिपणा घणगजियहयकुहि घणमालाओ व दूरुन० वित्तॄण समणदिक्खं घोरम्मि गन्भवासे घोरामिगहधारी २७-७६१ घोसोवि जंबुदीव २७-८९२ चरऊण कसाए २२-८५ चउतीसा चडयाला २७-१११६ चडतीसा चोयाला २७-११२४ चडत्थी उ बलानाम २७-८२४ चउदसदसनवपुब्बी २२- १२ चउदसव्वधराणं २०-४८० चउरंगो जिणधम्मो २५-१०७ चउरासी असीई २७-११३१ चउरासीद असीई २५-१०८ च विहकसाय महणो २७-१११७ चवीसंजोयण साई ससिरविणो २७-८०४ २७-४०० २७-१६७१ 35 २७-१६२० चउस िअसुराणं २७-१६९६ | उसी 55 35 11 22 ← ~30~ २७-१८८ चट्टी सट्टी खलु २७-१२८२ २२--१४१ २७-९६९ २७-४८२ २७-३३ 25 २७-१०४१ २२-१३९ २७-९५३ " 25 चउसरणगमणदुकड० चउसरणगमणसंचिअ० कटुपरडाणा 31 २७-१३८१ चकागं भजमराणस्स २७-६२ चकार्य २५-७६ चक्खुणी गं०पुच्छा २२- १५७ चत्तारि कलाए तिथि २७-६२५ २७-११८७ २१-३४ २४-३८ " 34 " """ 35 53 वे बंदा 39 " 35 25 37 53 य कोडीओ कोसिया " पंतीभो २२-१४३ २७-९७२ २५-७९ २७-१० २७-४९ २५-३८ २२-२५० २२-८४ २२- २४३० २७-१५४९ २७-२६७ २४-३४ २७-१०३९ २७-५१८ २७-५१९ २७-५०२ २७-५८ सूर्य० | २३ चं०.४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ।। २४ ।। Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ २५ ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ च-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) चत्तारि य पंतीओ 35 " 39 १७. 33 " " 23 55 रयणीओ 33 11 सहस्साई " " बत्तारं च सहस्सा चमरवइरोअणाणं चमरस्य णं० कति परि० चमरस्स सागरोषम० चमरे धरणे तह वेणुदेव० वेणुदेवे० 11 चयणोववाय उच्यते चरणाईयाराणं चरिमे णं पुच्छा २४-६२ चरियाए मरणम्मि उ २७-१०६१ चंदगविज्यं ल १९- १४ चंदण गेरुय हंसगन्भ चंदणपट्ठिएहि य देवानं० २२- १६४ २७- १२१३ चंदमंडलस्स गं० केव० २१-४३ चंदमंडले गं० केबइयं० २५-१४६० २४-४६ चंदविमाणे णं० कति देव० २५-१६८सू० २५-१२७ २५- १७३० २७-१०४७ २१- १९९० २७-९४९ २१- १९८० २१ २०६० २५-१७२० २१- २०३० २७-९१० 33 भंते! किं० .. देवा० २७-९५६ चंदस्स ० कइ अग्ग० २७-९६७ कति २१-११९ २२-१४४ २४-५ २७-६ २२- २४५० 33 35 चंदहोराविलग्गेसु चंदाड नी जुन्हा चंदाओ सूरस्स य चंदातो 35 31 33 ~ 31~ २७-१७३८ चंदातो सूरस्स य २७-७०८ चंदा सूरा तारागणा २२-१३ चंदुब्ब पिच्छ णिक्षो २७-९६४ चंदे सूरे सुक्के २५-१५५० चंदेहि उ सिग्धयरा चंपगजीर णीइया चंपासु णंदगं चिय चाउसि पनरसि चारित्तस्स विसोही चिरउसियबंभयारी चिंतामणी अडब्बो चिंते य खरकर ० चुल्लहिमवंते गं० वास० चुलसीई फिर लोए 15 23 33 २७-१३८० २७-१०८२ बोत्तल चंदसतं २१-७८ चोया चंदसर्य २४-८३ २७-१००९ २७-६१४ २६--२ २७-१०२२ २२-२८ २७-१७३५ २७-८५३ २७-२ २७-१३० २७-४४२ २७-१६५५ २५-७६० २७-१४७४ २७- १७३ २४-४५ २१-४२ सूर्य० | २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ २५ ॥ Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ २६ ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ च कार + छ कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) चोयाल चंदसर्य चोरिकनिवित्तीय चोरो पर लोगंमिऽवि चोरो रक्खसपहओ छक्काया पडिविरओ छच्वेव य अइरत्ता छबेव य आरभडा छजीवनिकाए रक्ख० मदसमदुवाल० "1 13 छाई च दत्थियाओ 35 हिडिम मज्झिम० छडी उ हायणी नाम० छीं हेममज्झिम छण्णउद सयसहस्सा "1 छण्णउति छत्तीसगुणसम २७-१०४६ २७-३८१ २७-३८० २७-१३०८ २७-६२७ छन्नउ सय सहस्सा २४-३० छनउई पुच्छवाला २७-८९५ उप्पण्णं खलु भाए २७-१२६९ भागा २७-१३६६ २७-१४१८ २२-१८४ 33 २७-१९६४ छपंच य सत्तेव य छत्तीसमट्टियाहि य छत्तीसाट्ठाणेसु य छनउ अंगुलाई ( एसा ( प ) दिवस० ) २७-८९८ २७- २०४८ २७-५१० 33 33 छप्पनं पंतीओ 23 35 पंतीणं २७-४८४ 33 23 २१-८८ छम्मासिया जहन्ना २१-४४ छलिभा अवयवंता २४-४७ छवीस जोयणसयाई २७-७२१ सु ठाणेसु इमेसु य 33 15 २७- १५४४ छाट्ठसहस्साई २७-१३१९ ~32~ २१-५९ २४-६३ 11 " 35 33 छाई छाय छापि० णक्खत्ताणं २५- १२३ छावा पिडगाई २७-२०१५ "" 35 31 31 33 51 35 33 33 २७-१०६२ छावडी० नक्खत्तार्ण २४-५सू० २४-८ २७-१४१७ २७-४२३ य मुडुत्ता 25 २७-१९८१ छान्तरं गहाणं २७-१२७२ "" पि० महागहाणं पिडयाई पिडयाणं पिडगा महगहाणं 35 २१-८२ २१-८५ २४-८७ २७-१०८६ २७ १०७२ २४-६० २४-५९ २४-६१ २७-१०५९ २७-१०५८ २१-५६ २७-१०६० २१-५५ २१-५७ २५- (५००टी०) २१-६० २४-६४ सूर्य० | २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ।। २६ ।। Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ 11:20 11 छावतरं गहाणं जर इच्छसि नित्थरिॐ जर इच्छसि नीसरिडं २७-१५५१ उप्पज्जइ दुक्ख 33 कवि असुहकम्मो २७-१११ २७-४३१ 31 " खलु तस्सेव आदिश्वस्स २४-११स्० ० उपसेवओ 31 35 33 13 31 27 37 "" 35 उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ छ कार + ज कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) 75 15 21 55 RRB :::: " 33 " 35 35 पुष्यिाणं णं भंते! उक्लेओ लवण० समणेणं समणेणं० 33 35 11 37 निरया २७-१०६३ २७-२६९ जता ते मुणिवरा सुपुरिसा 39 15 35 11 33 19 35 31 13 35 "1 12 55 33 13 २६-२५० जइया सवणिजगओ २६-३०सू० जवि न सक कार्ड परिचत्तसंग्गो २६-२९सू० २६-२७० स खंडिअ चंडो २६-२८० सयं धिरचित्तो 21 " सावयाकुल० 35 २६-२४स्० जर सागरोधमा 21 २६-२६० २१- १७४० २६-५० सोधि सव्वविरह० जगआहारो संघो जड्डाणं बुडाणं निश्वि० २६- २२० जणवयसंगतठवणा २६-२०सू० | जण्णामया य कूडा ~33~ २७-६९६ जति णं० समर्पणं २७-१५०५ २७-२१३ जन्तियमित्ते दिवसे २७-२१४ जत्तो वट्टविमाणं २७-१५०६ जत्थ अणुत्तरगंधा २७-१७८५ जयारमयारं २७-९८८१९ पित्तवि २७७४२ मुणीण कसार २७-४०३ य अजाकप्पं २७-३०० २७-७७५ २७-११५९ २७-३०७ २७-६८९ २७-५७७ २२-१९४ २५--३ 15 35 23 23 33 33 55 " अजाहिं समं उवस्सयाओ पगा खुड्डी एगा समणी एगो सिद्धो 35 35 11 39 ११. 35 33 22. 22 " 15 " 35 35 53 33 २६-२१स्० २६-२३० २७-४५० २७-११४३ २७-११५० २७-८१९ २७-१८३३ २७-८०६ २७- ७७० २७-८०० २७७७१ २७-८१७ २७-८१६ २७-८१८ १९-१७ २२-१६७ २७-१२१६ सूर्य० २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ २७ ॥ Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ २८ ॥ जत्थ य गच्छे गोअम ! गिहत्यमा साइ गोयम ! पंचण्ड० जिक मिट्टो थेरी तरुणी वाहिरपाणिस्स मुणिणो कय० वारडिआण 12 35 " 35 21 37 37 31 25 27 उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ ज-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) 22 .. 35 35 35 21 35 35 55 27 " मूल विभ समुद्देसकाले हिरण्णसुवर्ण हिरण्णसुव अस्थिरीकरफरिसं जस्थित बी० तं मिच्छय० जत्थुतरपडिउत्तर 59 सन्निहिउखड समणीणमसंख० २७-८३९. जम्मजरामरणजलो २७-८२० २७-८१० २७७६९ २७-८३२ २७-७८६ 25 33 २७-८१२ २७-७९८ जलमज्झे ओगाढा २७-७८१ जलमलपंकधारी जस्स कंदस्स काओ २७-८२६ २७-७८८ २७-८०५ २७-७९९ २७-७९७ २७-७९२ २७-७९४ २७-८३८ जम्मजरामरण भए जया णं एकमेके चंदे स सूरिए 15 21 33 " 53 33 33 २७- ४३९ २७-१८१३ २५-११३० २५-१४९० २५-२३४सू० सूरिए० किंसंठिया २५-१३६० केमहाल २५-१३५० 25 37 25 23 भग्गस्स " संघ काओ 35 जस्स संघस्स भग्गस्स जस्स खंधस्स 35 33 ~34~ २७-६६६ २७-६५३ २२-७७ २२-८१ २२-६७ २२-५७ २२-७८ २७-८२ २२-६८ २२-५८ जस्स न छुहा न तण्हा पत्तस्स भग्गस्स "" हीरो पवालस्स भ० पवालस्स 35 39 95. 15 35 35 35 " " 30 23 " पुप्फस्स भग्गस्स व्हीरो फलस्स भग्गस्स हीरो वीयस्स भग्गस्स बीयरस० हीरो मूलस्स कट्ठाओ मूलस्स 31 "" भग्गस्स जो विभो 33 ॐ" सालस्स भग्गस्स २७-१८८९ २२-६२ २२-७२ २२-७१ २२-६१ २२-६३ २२-७३ २२-६४ २२-७४ २२-६५ २२-७५ २२-७६ २२-८० २२-५६ २२-६६ २१-२६ २२-६० सूर्य० | २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ २८ ॥ Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ज-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक सूर्य०१२३ . औ०१९ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२ . देखीए जस्स सालस्स भग्गस्त जस्साउएण तुल्लार्ति जह अग्गिमि व पवले ,, अयगोलो धंतो ,, कागणीद हेट ,, कंटएण बिद्धो , खंदगसीसेहि ,, खुहियचक्वाले की०२७ दीप क्रमांक के लिए देखीए NEXANILIALISEX-26 २२-७० |जह णाम कोइ भिच्छो २२-२२९ ., तेण तत्थ मुण्णिा २७-१५२७ ,,, वितथमुणिणा २२-१०२ ,,, सो हुयासो २७-१३०७ |, ते न पिअं दुक्खं २७-१२८४ ", समंसचम्मे २७-१६७८ |, दमदंतमहेसी २७-२१३ |, नाम असी कोसा २७-१५०३ ,, कोई मिच्छो २७-२८७१ , नाम पट्टणगओ २७-१८६६ ,, यञ्चकूबो २७-१८९५, निवदुमुप्पनो - १९-४ जहन्नपएसिया णं भंते! - २७-२३३ | जहन्नोगाहगाणं २७-२५२६ | जहन्नोगाहणगाणं १९- जहन्नो० पंचिंदिय० १५-२४ |', पुढचिकाइया० २२-१७४ | जहन्नो बेइंदियाणं २७-१६७४ , मणुस्साणं २७-१६५९ | जह पच्छिमंमि काले २७-१६६७ २७-३६५ " पुबुद्धअगमणो २७-१६८३ " वालो जंपतो २७-१६७७ २७-१७६६ २७-२२२४ २७-१८७७ बीहंति अ जीवा २७-५५९ , मक्कडओ खणमवि २७-२८९० ,, य अणुद्धयसल्लो २२-१२१सू० , वा तिलपप्पडिया जहा वा तिलसकुलिया २२-२११सू० | वेयणाघसट्टा २२-११५सू० 1, सगलसरिसवाणं २२-११३सू० २२-११६सू० २७-२६० २७-१५४३ २७-१२७७ २७-२५ २७-१५५ २७-१३३६ २७-१४५९ २७-१७९० २७-३५९ २७-१५९३ २२-४६ २१-४ २७-१५९६ २१-३ २२-४५ 'सवृत्तिक आगम , जह बढप्पाण्णो , जह दोसोबरमो जिणवयणामय ., जीवा बझंति , उहह बाउसहिओ ,, वायसहिओ " णरगा गम्मति णाम कोइ मिच्छो सुत्ताणि ~35~ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ ज-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सुत्राक जह सव्वकामगुणियं चिं०/२४ देखीए औ०१९ रा० २० जी० २१| प्रज्ञा०२२ ॥३०॥ दीप क्रमांक के लिए देखीए ENTERBARPURTELEGRATE १९-२६ । जं अन्नाणी कम्म २२-१७६ , असियं बीभच्छं २७-१२२६ , किंचिबि दुश्चरियं २७-१२२७ . " " २७-२७१५ २७-१५९४, किंचि सुहमुआर २७-२५९७ , कुणइ भावसलं २७-१३३९ " " " २७-७२२ २७-२७१४ जंघट्ठियासु ऊरू २७-२०१४ जं च दिसाबेरमणं २७-९६६ जंतेण करकरण व २७-२००४ | देवाणं सोक्वं २७-४२७ ,न लहइ सम्मत्तं २७-२७९ नामए समुह २७-२३४ ,निजरेइ कम्म २७-७०१ , पुव्वं तं पुव्वं २७-१३७१ ज पेम्मरागरत्तो २७-५५१ सूर्य०/२३ २७-१६२२ ज बद्धमसंखिजाहिं २७-६९४ २७-८१ जंबुद्दीवसमा खलु. २७-२००३ जिं० २५ २७-२३६ | जंबुद्दीवस्स पं० कति दारा २१-१२९सू० नि० २६ .२७-१४४६ जंबु० दीवस्स दारस्स य २५-१सू०प्र की०२७ २७-३७० जंबुद्धीवस्स ० २१-१४६सू० २७-२६१ " " दीव० २५-सू० २७-१३४६ " " पपसा २१-१४७सू० ___ , पदेसा २५-१२५सू० २७-५५६ जंबुद्दीचं काऊण २७--६७ . लवणे २७-१७१६ जंबुहोवे० अट्ठावीसाए २५-१६७सू० | , f० का चंदा २५-१२७सू० २७-१४३९ |" , कति चंदा २७-९७५ , , किं पुढधि० २५-१७९सू० २७-१२८९ किं सासर २५ १७८सू० २७-१३४० । केवदर्भ २५ १७७सू० , सव्वकालतित्ता , सा बत्तीसघडा , सायरसे गिद्धा , सिद्धिमग्गदुग्गह ., सुकुसलोवि बिजो " सोऽवि सप्पएसी जहिं देवा जोइसिया " " भवणवई " , बंतरिया जं अतिक्खं दुक्वं , अज्ज सुई भविणो , अन्नाणी कम्म " " 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि FRI॥३० ~36~ Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ।। ३१ ।। जंबुद्दीवे० ० जहण्णपए २५-१७६सू० जंबूदीवे णं भंते! कयरे० भंते! मंदर० ताराए० अवाहा २५-१७१० २१- २०२० तारारूवस्स भरहे वासे०सु० २५ २०स० 55 " भरहप्पमाण० २५- १२६० भारहे० काले २५-१८० मंदरस्स व्वय० २५-१३२५० सूरिआ उदीण० २५-१५१० उग्गमण २५- १३७० २५-१३८० 35 सूरिआनं० कि० २५-१३७० सूरिआ खेत्तं २५-१४०सू० मंदरस्स० चंद०२५- १४०सू० लचणे २२- २०४ २१-३२ 3. सच्च० सूरमंडले २५-१३३० जंबूर णं सुदंसणाए २१-१५३० "1 35 33 35 35 33 23 53 35 35 31 15 23 39 " 21 27 उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ ज-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) 35 11 39 " 33 " 31 35 33 33 33 31 22 33 जं मणवयकार हिं रागदोसमह बित्थीओ पभासंति अं सग्गहम्मि कीरह संठाणं तु हं 35 35 " 33 23 93 33 35 35 " सासयसुहसाहण० 23 35 सीसंपूरउत्ति सुचिरेणव होहिर 33 जाई मोग्गर तह जूहिया जाउलगमी लपरली जा एस सप्तमी सा उ जाओ परव्यसेणं जाओवि अ हमाओ ~37 ~ २१-१९७० २१-१९६०० जा काइ पत्थणाओं 13 23 33 २७-५४ 33 तस्स खमा तश्या २७-६३६ पुव्वभाविया किर 27 २७-९१७ जाम जाम दिण पक्ख० २७-८६५ जायमाणस्स जं दुक्खं १९- ११ जायमित्तस्स जंतुस्स २२-१६२ जावईआई दुखाई २७-१२१० जावाआ किर दोसा २७-२८१ जावइयं किंचि दुहं २७-५४८ जावइयंमि पमाणमि २७-१६०५ जावज्जीवं तिविहं 31 11 २२-२७ जाब य खेमसुमिखं २२-२५ जंबुद्दी २७-८५१ सुईन नासर २७-१६०९ जावंति के ठाणा २७-२०सू० " दुक्खा 33 35 35 २७-१९८ २७-१४९० २७-१६६९ २७-१४०७ २७-७१२ २७-४७२ २७-४७९ २७-३१९ २७-३८३ २७-१६३८ २५-४३ २७-३१८ २७-१३९० २७-९८० २७-१३८९ २७-१४२७ २७-६८७ PAARIAAUD सूर्य०) २३ चं० [२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ३१ ॥ Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ज-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए आ०१९ जाहे य पावियध्वं रा० २० जी०२१ TGT, होइ पमत्तो प्रज्ञा०२२ जिअलोयबंधुणो जिट्ठो चउदसपुत्री जिण प्रयभाविअचित्तो जिणवयणअणुगया जिणबयणे अणुरत्ता जिणवयण निच्छिक जिणवयणमणुगयमई २७-२८६५ | जीवपरिणामे पं २२-१८२सू० | जीवे पं० जाति दब्वाति २२-१६८सू० २७-२३१ | जीववहो अपवहो २७-३६८ ], जीबत्ति काली २२-२३३सू० २७-१५२४ | जीवस्स णं भंते ! गभगयस्स२७-४सू० | णाणा० कम्० २२-२९१सू० २७-३१ | जीवस्स पं० मारणं० २ २-२७६ " " २२-२९२सू० २७-१६९४ | जीवाणं० कतिविधे २२-२०३सू० ., पाणावरणिज २२-२८३सू० २७-१८९४ | जीवा पांच कतिहि ठाणेहि २२-१९०सू० णाणातिवाएणं २२-२८२सू० २७-२३० , , किं भासगा.-२२-१६६सू० , भंते ! उत्ताणए वा २७-२०० २७-१०६ । . ., सकिरिया २२-२८१सू० ..., गतिचरमे २२-१६०पू० " ," सञ्चमणप्प० २२-२०४सू० गभगए २७-५सू० २७-२३२ " ", सपणी २२-३१६९० " " दबलोपसु २७-९९० " ," सम्मविट्ठी २२-२५५सू० नरपसु २७-८९० २७-१५२३ " संजया २२-३९७सू० वेउडिवयसमु० २२-३४६० २७-२७५२ जीवे , अंतकिरियं २२-२५६सू० वेदणासमु०२२-३४५१० २७-१७५६ , , किं आहारए २२-३१०सू० | जीसे तयाए भग्गाए २२-५९ २७-१५०८ ", गभगए समाणे २७-६पूजीसे २२-६९ २७-२१६ ,,, जाई ताई २२-१७२सू० जीसे सालाए कट्ठाओ २२-७९ "" २२-१६९सू० ।, , तणु० २२-८३ 'सवृत्तिक आगम जिणवयणमणुगया मे | जिणवयण मणुगुणितो जिणवयणमणुस्सट्ठा जिणवयण पप्पमेय FRIENJAMMA सुत्ताणि जीव गइइंदियकाए ~ 38~ Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' ओ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ३३ ॥ जीहार विलिहतो जुअलसिलासंथारे जुत्तस्स उत्तम जुत्तस्स० सुक्खं संथा० जुते पमाणरइओ जे अहिअपरमत्था जे अ न अकित्तिजणए उत्तरेण इंदा 11 कडुमदुमुन्यन्ना कुम्मसंखताडण केइ नालियावद्धा 55 जेण विरागो जायद बि रागो " उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ ज-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) 59 33 15 13 21 33 | जेणंतरेण निमिसंति जे दंसणवावन्ना जे दाहिणाण इंदा २७-७२६ जे पयणुभक्त्तपाणा पुण अट्टमईया २७-१६८० २७-६३० २७-६३१ २७-१५८४ 53 गुरुपडिणीया तिगारबजढा वट्टविमाणा २७--७५२ सुसंपन्ना 35 93 २७-७६४ पोग्गला अणिड्डा २७-९५८ मे जाणंति जिणा २७-१८९१ २७-१२६० 33 23 31 २२-८७ जोअणमद्धं तत्तो जोक्षणसहस्समेगं २७-२३९ जो अस्थिकायधम्मं ज अ विमाणुस्सेहो जो आरंभ बट्टद जोइसस्स य दाराई जोइसियाणं० देवाणं २७-१५३१ २७- १७१८ २७- ५७६ २७-२०९६ : २७-९५७ 13 33 11 11 23 23 23 22 32 55 35 ~39~ २७- १३६५ | जोइरियाणं पुच्छा देवाणं २२-२०१० २७-९९ जो उ प्यमायदोसेणं २७-७४८ २७-१२७३ २७-१०५ जोपसु किलामंति २७-१२८७ जो कुंवगावराहे २७-१९४४ जोगा देवय तारग्ग २७-१९९१ जो गारदेण मत्तो २७-१६६१ २५-१०० २१- १६ जोगो देवय तारग्ग २७-१५३ जोग्गं पायच्छित २७-१३५५ जो जत्तो वा जाओ २७-१६५७ जो जस्ता विक्रखभो २७-२०१८ को जि.प. भावे २७-९६० जो जोगओ अपरिणा० २२- १३१ जोसियस हस्ते सु २७-११२६ जोणी मुहनिंग्गच्छंतेण २७- १३२६ जोणीमुहनिष्फिडिओ २४-१५ जोतिसियाणं देवाणं २२- १३६० जो तिहिं परहिं धम्मं २७-६१९ २५-१२० २७-१३६१ २७-८२७ २७-१०१९ २२-१२२ २७-१३४३ २७-१८२७ २७-१६२१ २७--५३३ २४-९८सू० २७-१६६२. सूर्य० | २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ -11 33 11 Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ।। ३४ ।। जो निच्छरण गिव्हर जो पुण अत्थं अवहर 35 दंसणमइओ 31 दंसणसुद्धो पतभूओ जो भत्तपरिचाए जोयणसहस्स गाउय छग्गाउ० 39 उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ ज कार + झ कार + ठकार + ड-कार + ण कार + त कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) " जो रागदोसरहिओ जो वासस्यं जीवर " सम्मं भूयाई साइआरचरणो सुत्तम हिजंतो संखिजभवट्टिई जोहाण य उप्पत्ती जो हेउयाणंतो झाणाण परमसुकं 23 " 59 33 २७-१६७५ उचिए पायच्छिते २७-२१८ २७-३७८ दिती सम्बेसि भाणियच्या २१-२२२० २७-६२१ डज्झतेणचि मिन्हे २७-६२२ णक्खततारगाणं २७-६२० णक्खत्तसहस्सं २७-७१ २२-२१६ २२- २१५ २७-६२३ २७-४९२ २७-१८५९ २७-३०२ णक्खताण सहस्सं णग्गोह मंदिरुक् णट्टविही णाडगविही णपुंसकवेदस्स णं भंते ! 29 23 "1 रगं तिरिक्खजोणि णवमे वसंतमासे वि अस्थि माणुसा २२- १२५ २७-६३३ २५-३६ णवि से खुहा ण विलिअं णंदिस्सरवरण्णं दीव २२- १२४ नंदीसरोदं समुद्द २७-५९६ | गंदुत्तरा य गंदा २७-७०६ क० णाणावर गिजस्त णाणावरणिजस्त गं २४-६६ णाणाविहर्सटाणा णाणी चेव अण्णाणी० 'जहा सम्महिड़ी णं णाणिति णाभिस्स णं कुल० निच्छिण सव्वदुक्खा विद्धस्स विद्वेण दुयाहि० विंबजंबुकोसं ० शेरइयाणं० सच्चे सम० समा० ~40~ २४-४२ २१-३८ २२-१९ २५-३७ २१-६२सू० २१- ६०० १९-३ २५-९२ १९-२१ २५-२० २१-१८५० २१- १८६० २५-७२ " सयंमि णिषेसा तइया कीस न हायर तईयार मंदया नामं तर गं० अकालपरिहीणा २२-२९५० २२-२९३० २२-२९८सू० २२-४४ २१-२४७० २२- ३१२० २२-२४२० २५-३१स्० १९-२९ २२-२०० २२-१५ २२-२०८० २२- २०६० २५-२९ २७-६८०० २७-४८१ २०-१४० सूर्य० | २३ चं० / २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ।। ३४ ।। Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [त-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत औ०१९ सूत्रांक यहां देखीए जी०२१ प्रज्ञा०२२ दीप TAK क्रमांक के लिए देखीए तए पं० अत्ताणं संपलद्धं २०-८१सूतए . केसालंकारेण २०-४३सू० तए णं ताओ सुभद्दा० १९-३७० सूर्य०१२३ , अयभारगं वा २०-६९सू० | ,, केसीकुमारसमणे २०-५९१० १९-३३० | चं०/२४ , आमिओगिए. देवे २०-२५० , चाह ठाणेहि चि०२०-६सू० , ० तुज्झे नाणे वा २०-६४सू० ० २५ आहोहिया २०-६३सू० चत्तारि अग्गमहिसी२०-४५सू० ,,तुभं इय हेयाणं २०-७२खू०नि० २६ इमेयारू २०-८०सू० चत्वारि य सामा०२०-४०० ,, णं ते आमिओगीया २०-८सू०प्रकी०२७ इयडेयाणं दक्खा २०-७२० चंपाए सिंघाड०१२-२७१० , ते आवाडचिलाया २५-५८सू० इहं उबबिसामि २०-६५सू० चित्ते सारही २०-६०१० ,,,यह ये माणिया २०-१३सू० उत्तरपुरस्थिमं० २०-०सू. जिणिदाभिगमणा. २०-२६० "" से मणुआ भरहं २५-४७सू० उम्मुकबालभाये २०-८४सूर णञ्चासपणे २०-१९सू० .. गंतेसि सामाणिय०२०-४२० उवट्ठाणसालाए २०-६७सू० णो आढाति २०-२३सू० दढपतिपणे २०-८३स० एगं भार्ग बलवाह.२०-७९सू. णं तस्स भ० अण्णया २५-६८० पं० दिव्वं देवहि २०-२५० , एसा पण्णा उपमा २०-६६सू० " " भरहस्स २५-४४० ,, परिसाए जाव २०-२०सू० .., कर आयरिया पं०२०-७७सू० , पंचागीयपरि० २०-२७सू० ,,, कलं पाउप्पभायाए.२०-६२सू० "" बिजयस्स २१-१४४सू० , पायत्ताणिया० २०-१२सू० .. णं कृणिअअस्सा बहवे १९-३२५० """ सूरियाभस्स २०-६० , वहवे देवकुमारा २०-२४० ,, कूणिए सुअक्खाए १९-३६सू० । .. तहत्ति आणाए २०-१२सू० भवसिद्धिए अभ० २०-२१सू० ., f० केइ पुरिसे तरुणे २०-६८सू० ,तं दिव्यं . २०-२५सू० मम अजगस्स २०-७५सू ॥ ३५॥ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~41~ Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [त-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक सूर्य०/२७ औ०१९ रा०२० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ०२४ जं. २५ देखीए |नि० २६ प्रकी०२७ दीप नए पं० क्रमांक के लिए देखीए XIIRCURREXEEPPEARENDERACES तए णं मम णगरगुत्तिया २०-७०सूत्र |तए णं से जियसत्तू राया २०-५६१० तए णं से भरहे०. चउ० २५-७०म० ..णं समणे०कलं पाउ०१२-१३सू० ,,, दिव्ने चकरयणे २५-६२सू० , चाउग्घंटं २५-४६सू० ,, , कृणिअस्स १९-३४सू० २५-६५मू० , छत्तरयणं २५-६०म० "" " मिहिलाए २५-१८१सू० ,,तं दिव्वं २५-४७० पं० सव्वं जाणह २०-२२० २५-४५सू० " ... , २५-६४सू० , णं सामहतिमहालिया १९-३५सू० २५-५०सू० ...तुरण २५-६३सू० ,, सावत्थीए नयरीए २०-५४सू० पवित्तिवाउए १९-२८सू० ... मणिरयण. २५-५४० .पं० सरियकंतप्पमु० २०-७८सू० १२-१३सू० सेयथिया नगरी २०-५८० गणं से अच्चुईदे २५-१२३सू० पालयदेवे २५-११७सू० ., णं से विजए. महया २१-१४३१० "", अच्चुए देवे० २५-१२२सू० बलबाउए, १९-३०सू० ,,,सके जाव २५-१९८० ,,, अच्चुए देविदे २५-१२१सू० भगवं जंवू० २६-४सू० ....... पंच० २५-१२४सू० से अंतियाओ २०-५७० भरहे राया २५-६७० "", सेणाबलस्स २५-५७सू० से आसमदोणमुह० २५.४८सू० , अण्णया २५-७५सू० हस्थिस्स कुंथुस्स २०-७८सू० , कृणिए जेणेव १९-३९सू० | त? अभाविअप्पा , , बलवाउ० १९-२९सू० २५-५५सू० , य भावियप्पा , , वामं० १९-१२१० , ,, कयमाल० २५-५२सू० तणकट्टेण व अग्गी चित्ते सारही २०-५५० ,, गंगाए २५-६६सू० ] " " " XMAMTAXANTERNAAm २५-२८ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~42~ Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [त-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक औ०१९ रा०२० जी०२१॥ प्रज्ञा०२२ सूर्य०१२३ चं०/२४ देखीए जं. २५ नि० २६ प्रकी०२७ दीप क्रमांक के लिए देखीए तणकट्टेण व अग्गी २७-१९० | तत्तो भवचरिमं सो २७-३१२ | तत्थ जे० सत्तविहा २१-२४१सू० २७-१४८४ | , य जोगसंगह। २७-२७०९ ,, णं अयं जंबुद्दीचे २१-१२५सू० | तणकट्ठहि , २७-११३ | तत्थ खलु इमाओ २४-७६सू० ,,, चंपाए णयरीए १९-६सू० तणमूल कंदमूले २२-५४ " बावा? २४-६३सू० ,, , , सेणियस्स २६-१७सू० ताणसंथारनिसन्नो २७-६३४ ., f० छब्बिहा संसार० २१-२२७सू० तते तस्स कृषियस्स २६-१४सू० . , इमे अट्ठासीती २४-१०६सू० , णं जे एव दुविहा० २१-९सू० "" दारगस्त २६-१३सू० " " , छउडू० २ ४-७५सू० ,,, जेणबबिहा २१-२४३सू० ,,, तीसे कालीए देवीए २६-७सू० , ,,, दसविधे २४-७८सू० ,, जे ते फासपरियार०२२-३२८सू० """ चेल्लणाए २६-१२सू० तत्थ छश्चसए. उब्बिद्धा २७-२१८२ ,,, जे० दसबिधा २१-२४४सू० २६-१०० , जे० अट्ठबिहा० २१-२६८सूक ., गं० णवविधा० एगि०२१-२७०सू० , सा चिल्लणा० २६-१२सू० , संसार० २१-२४२सू० ,, तिबिहा सव्वजीवा २१-२५१सू० ., से काले कुमारे २६-६सू० ,,, चउठिबहा० मण. २१-२५८० ", दसविधा पुढवि०२१-२७२सू० "" कूणिए २६-१६सू० ,, ,, उडिवहा० २१-२६४सू० ., पंचविहा संसार०२१-२२५सू० ,, जे ते एव० चउब्विहा २१-६६सू० गणं विणीआए राय० २५-४३सू० "", कूणिए राया० २६-१५०सू ,, ,, तिषिधा २१-४पसू० ..,सुमई० एतेसिं पंच०२५-३०सू० तत्तो अणुपुयेणाहारं .२७-२४१४ ,जे पंचविधा० कोह० २१-२६२सू० , य मुणियरवसहो २७-६६८ , तस्स महब्बया २७-३०३ , सत्तविधा २१-२६६सू०।- वणयरसुरवर २७-२७५३ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ॥३७॥ ~43~ Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [त-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक सूर्य देखीए औ०१९ रा० २० जी०१ प्रज्ञा०२२ ॥३८॥ नि०.२६ प्रकी०२७ ल दीप क्रमांक के लिए देखीए तत्थ य सो उबलतले २७-१७०४ | तम्हा निउणं निहालेड २७ ७१६ | तस्स ., कोणि धारिणी १९-सू० T, दिमाणा बहुबिहा २७-१२७० " स उद्दिउमणो २०-३६० , पुरिसे १९-८सू० २७-१९८३ "सम्म निहाले २७-८१४ , , तिगिछिद्दहस्स: २५-८५सू० ., सरीरमाई २७-२६३९ देवसयणिजस्स २०-३८सू० सरीरमाई २७-६८८ पउम. २५-उपसू० .. सुक्खमहातरु बहुसम० एगा २१-१३९सू० २७-११९२ "सुत्तरमूलं २७-१३३५ २५-७४सू० २७-११९५ " सुयम्मि जोगो २७-१३८४ माणवगस्स २०-३७सू० तत्थासणा २४-१९८० तयछल्लिपवाले २२-२२० मूलपासायबरें० २०-३६० २७-११९० तवअग्गिनियमसूरा २७-६०२ २१-१३८सू० २७-२२०० तवपरसुणा य छित्तण २७-२२६७ , वण० असोग० १२-४० सत्थेव य धणमित्तो । २७-२७२२ | तबपोअंगुणभरियं २७-२५०४ " , अंतो० २५-६० तप्पु (नियपु०)रिसनाड्यंमि २७-६३५ | तबपोयं , २७-२१२ ,,,, वणसंडस्स। २१-१२८२० तम्मि य महिहरसिहरे २७-१६५० , सोसियंगमंगो २७-२५७४ .. , सिद्धाययणस्स २१-१४१सू० तम्हा चंदगविज्झं २७-११७ तसपाणबीयरहिए ,,,सिद्धायतणस्स २०-४०० यत्तह दोसु | तस्स० जेट्टे भाउयवयंसए २०-५१सू० , धुणंतस्स जिणं ,, धितिउट्ठाणु २४-१०१ | तस्स णं असोग० पुढवि० १९-५सू० | , परसिस्स जेटे 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~44~ Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [त-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सुत्राक लसूय०१२ ०/२४ यहां ताजं. २५ देखीए मकी०२७ २७-२७७९ एगमेगे दीप क्रमांक के लिए देखीए आ०११ तस्स० पएसिस्स० रणो २०-४९सू० २७-५६५ | ता एएसि णं चंदिम० २४-९९सू० रा०२० , पासायवार्डसए २०-३५सू० |, चंचलायमाणं २५-१५ ,, , पंचण्हं० २४-६५सू० जी०२१ ।, य पायच्छित २७-२६४ 1, चेव समाइरेगं २७-९८१ " " , २४-६४सू० प्रज्ञा०२२ हा २७-१४६६ 1, जइ इच्छसि गंतुं २७-१४३७ "" पं० सं० २४-७० ,, सरीरपूर्व २७-१७०६ |,, ताव न मुच्चइ । "" , पंचण्हं सं० २४-६७सू० ,, हिट्ठा चूयस्स: २७-४५७ , तारिसगं रयणं , एगमेगे णं अहो० २४-८६सू० तस्सासी अ गणहरी 1, तित्थं तुमि लद्धं २७-६०८ , एगमेणं चंदस्स २५-९१सू० तह उत्तम?काले २७-१६४६ , दाणि सोयकरणं २७-४७६ , एताए० अद्धाए २४-१०सू० |, उत्तरेण पखं २७-१६५७ , नाऊण कसाए २७-१२६८ , एतेसि णं अट्ठाधीसाए २४-३४सू० | झाणनाणवु(जु)त्तं २७-१७३१ | नाणदसणाणं २७-२८२ ,, , पंचण्हं० सं० २४-६६सू० , धन्नसालिभद्दा २७-२६७२ | तंपि न रूबरसत्थं २७-७६७ , एगपि सिलोग २७-१२३ E, परतिस्थियकीडा २७-१८९२ | तं फालेहि चरितं । २७-१४०८ एयं कायब २७-६१ , य अवायविहन्नू २७-१३२२ | तंमि सिलायलपुहबी २७-१६९१ .नाऊणं २७--१३९३ सुकरणो महेसी २७-१२७८ | तं मुयह रागदोसे २७-१४३४ , एअं तुमि लद्धं २७-६०४ ,अप्भुजअमरणं . २७-२८४ | तमू (तम्मू )लं संसारे जणेइ २७-८४२ | ताओ चइऊण इहं २७-१६९२ " उज्जुभावपरिणङ०. २७-१३४४ ,सीहसेणगयवर . २७-१७४६ | ता कता पते आदिश्च २४-७४सू० , एवं जाणतो २७-१२९३ | ता अस्थि णं चंदिम० २४-९०सू० ते दोसिणा- २४-८२सू० LADIONRELIANIMURXXTACTED 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~45~ Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [त-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सुत्राक औ०१९ रा०२० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ॥४०॥ देखीए जं. प्रकी दीप क्रमांक के लिए देखीए ECORRESPOTERSALSASREERESEN ता कतिकट्ठ ते सूरिए २४-३०० | ता कहं ते चंदमसो बडो० २४-७९१० | ता कहं ते मासा २४-५३०सूय० २४-३१सू० ,,, चंदे ससी २४-१०४सू० २४-१०४० ],,, मुहुत्ताणं २४-४७० " " चा सता ० ,, कतिणं चंदिमसूरिया २५-१००० |", , चारा २४-५२सू० "", मुहुत्ता य २४-३३सू० " ,, भंते! संव० २४-५४० ,,, जोगस्स आदी २४-३६स० "", राहुकम्मे . २४-१०३सू०नि० ", संवच्छरा ,, जोतिसस्स दारा २४-५९सू० ,,,तेरिच्छगती २४-२१स० , कति ते चंदमंडला २४-४५मू० , णक्खत्तविजये २४-६०सू० ,,, बद्धोवद्धी २४-८स० .. कहं ते अणुभवि २४-२०२० णेता २४-४३सू० ,,,संवच्छराणादी २४-७२सू० ,,, अद्धमंडलसंठिती२४-१२सू० तारग्गे २४-४२सू० ....., सण्णिवाते २४-४०सू० ,,, उच्चत्ते २४-८९० तिही २४-४९सू० ,, ,, , सिग्घगती वत्थू २४-८३सू० "", उत्तरा अद्ध० २४-१३सू० , दिवसा ,,, सीमाविक्खमे २४-६१सू० ,, उदयसंठिती २४-२९सू० देवताणं २४-४६सू० ,,,,सैआते संठिईया २४-२५सू० २४-३५० ,,दोसिणाल० २४-८७सू० , कंस्सि णं सूरियस्स २४-२६सू० ओयसंठिती २४-२९सू० ,,नक्खत्तसं० २४-४१सू० ,, के ते चिन्नं पडिचरंति २४-१४सू० "" कुला ,, पुणिमासिणी २४-३८सू० ,,,सूरियं वरंति २४-२८९० " गोत्ता २४-५०० ,,भोयणा २४-५१सू० ,केवइयं एए दुवे सूरिया २४-१५सू० "चवणोववाता २४-८८सू० ,, मंडलसंठिती २४-१९सू० , केवतियं खेत्तं चंदिम० २४-२४सू० चंदमग्गा २४-४वसू० ,,, मंडलाओ मंडलं २४-२२सू० , , ते एगमेगेणं २४-१८सू० २४-४८सू० " एवंभागा २४-३७० 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~ 46~ Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [त-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक देखीए औ० १९/ रा० २० जी०२१ मज्ञा०२२ ॥४१॥ दीप क्रमांक के लिए देखीए VUNJAUANVI ता केवतियं ते खेत्तं २४-२३सू० ता तं निजिणिऊणं २७-२८०१ | तिणि सया तेत्तीसा " नोजुगे २४-७३सू० , धीर! धीव लेणं २७-४२५ , सहस्सा सत्त य , , ,दीवं स० २४-१६सूब , पमाणसंवच्छरे २४-५७० तिण्णेव उत्तरा ,, चंदविमाणेणं २४-१४सू० पुक्खरवरं दीवं २४-२०१० चंदस्स णं जोति० २४-२०५० "मंदरस्स णं पब २४-९२सू० तिषणेव य गेविज्जा २४-२७मू० तार(य)ग्गं च नेता य २४-१२ , सतसहस्सा चंदेणं अद्धमासेणं २४-८१० तारुण य तारूवं २ ७-९१८ | तित्तीस सयसहस्सा , जया णं इमे चंदे २४-७०सू० , लक्खणसंवच्छरे २४-५८सू० तित्थयरसमो सूरी "" चंदं गति २४-८४सू० | ताल तमाले तकलि २२-३९ तिन्नि रयणीइ खइओ २४-१सू० ताब खमं काउंजे २७-१३९१ , सया छत्तीसा , जंयु० तारारुवस्सय २४-९६सू० | ता सब्वावि णं मंडलवया २४-२०सू० " छासट्टा जंबु०दीवे कतरे २४-९३सू० ता साविट्रिपणं पुषिणमा० २४-३९सू० , सयाणि सट्ठाणि , जुगसंवच्छरे २४-५६सू० | ता सो अइसुकुमालो २७-१७०५ , सया तित्तीसा , जेणं अजणक्व० २४-६९सू० | ताहिं दुक्खविवागाहिं २७-२५८ , सहस्सा सत्त य जोगेति वत्युस्स २४-३२सूतिगतिगपंचगसयदुग २५-१०२ । , सहस्से सगले णक्खत्तसंवच्छरे णं २४-५५सू० |तिषिण सता छत्तीसा २४-५१ | तिमेव उत्तराई . णक्खत्तेणं मासेणं२४-८५सू० , सया , २७-२०५० | " " । १९-१३ सूर्य २५- ६ ० २५-११३० २५-१९७ नि० २७-११०८ प्रकी०२७ २१-३० २७-५१७ २७-७३६ २७-६५२ २१-४७ २७-१२१२ २७-८८१ २२-२६३ २७-५०७ २७-५२२ २७-१०३१ २७-१०३५ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~ 47~ Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [त-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए सूर्य०/२३ चं/२४ जं. २५ नि० २६ alमकी०२७ २७-१५७८ | तीसेणं जगतीए उपि २७-१४८९ " .., बाहिं २१-५ ", तिमिसगुहाए २७-१६५१ , दोहिं सागरो० २५-२७ "" भरहस्स० २७-८७२ , णं स० इक्वधीसाए २७-६२४ " समाए पकाए २७-१२३६ दीप औ०१९ तिन्नेव कंसणामा , य कोडीओ IS तियलोयमत्थयत्था प्रज्ञा०२२ तिरिअगई अणुपत्तो ॥४२॥ तिरिएसु व भेरवसद्द तिरिओववाइयाणं तिरिक्खजोणित्थियाओ तिरिक्खजोणित्थीणं तिरियं तु असंखिजा तिरियं वाहरंतेसु अद्धा तिलए लउए छत्तोह तिल्लविहूणो दीवो तिविहं तिकरणसुद्ध तिविहंपि भावसलं तिविहं भणंति मरणं तिविहाहि पसणाहि तिविहेण य सुहमउलं क्रमांक के लिए देखीए २४-९१ | तिविहेणवि सहमाणो २७-४५४ |तिविहेणवि सुहमउलं २७-२५ तिविहेसु होइ मेयो २७-६८२ | तिविहोवसग्ग सहिउं २७-१६३१ तिसु तणुभं तिसु तंबं २७-११४६ | तिहिं उत्तराहिं रोहिणीहिं २१-६५सू० , गारबेहिं रहिओ २१-४८सू० | तिहुअणरजसमाहिं २९-९९१ | तिहुयणसरीरवंदं । २७-९०४ | तीआणागयकाले २२-२० | तीसा चत्तालीसा २७-१६०२ २७-१२४० | य पण्णवीसा २७-१३३४ .., पन्नवीसा | तीसे णं आमलकप्पाए २७-१४१५ चंपाए. पुण्णभद्दे २७-१९७ । ,, ,, जगईए उम्पि २१-१२६सू० २१-१२७सू० २५-५५सू० २५-३५० २५-४२० २५-३८सू० २५-३७सू० २५-३६सू० २५-२७सू० २५-२८सू० २५-२९सू० २५-२२सू० २५-२१सू० २५-२६सू० २७-५२७ RUYA "", चडहिं 'सवृत्तिक आगम "" , पच्छिमेक २७-९७० " " भरहे "", मरहे २२-२३७ .. समाए भारहे. २०-२सू० तु(घु)झुम्मि सयं मोहे १९-२० भित्थ सामि सुभ० । २५-५० | तुम्हारिसावि मुणिवर २७-२८ तासण आम सुत्ताणि २७-७२८ ॥४२॥ ~48~ Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [त-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक ०२० देखीए : औ०१९/ ANS तुलसे कण्ह उराले जी०२१ तुंगं न मंदराओ तेउरुस संखराई प्रज्ञा०२२ तेऊ पम्हं सुकं तेऊ पम्हा सुका लेसा ते कण्हमरणदृसह तेण उ इहलोगसुहं ,, परमसंखिज्जा , पर उबरिमया ,,जे सेसा : : : दीप क्रमांक के लिए देखीए '२२-४३ | तेणं० आमलकप्पा नामं २७-३६६ ,ईसाणे देचिंदे. , उत्तरहभरहे ,, उदलोगवथवा २७२०५ ,, कालेणं० रायगिहे २७-१६९३ " कुणाला नाम ,,केसी नाम कुमार० २७-१९६६ , कोणिकए राया २७-१११८ ,, चमरे असुरिंदे २१-७३ , चंपा रिद्धस्थिमिय , पुक्खलसंवट्टए २७-१०७६ " पुरस्थिमरुअगव० २७-२०१५ मणुया तपाहार० २७-१६४९ ,, मिथिला नाम नयरी २६-३सू० मिहिला णामं णयरी १९-३९सू० विजए देवे २०-४१सू० ।, सके णामं २०-१सू० | तेणं समणस्स० अजसुहम्मे २६-२० सूर्य २३ १ ९ २५-११९सू० " अंते० १९-१७० चं०/२४ १९-१६०ीजं० २५ २५-११४सू० १९-१५मू० नि० २६ २६-१सू० १९-१४सू० प्रकी०२७ २०-५२सू० १९-३८सू २०-५३सू० २४-२सू० HS १९-९सू० २५-२सू० २५-१२०० , जोइसिया १९-२५० १९-१सू० " , यहवे १९-२१सू० २५--३९सू० " " , असुर० १९-२२सू० " "" असुरिद १९-२३सू० २५-२४सू० " "" वाण०१९-२४स० २४-१सू० बेमाणिया०१६-२६सू० २५-२सू० ,समणे० आइगरे १९-१०सू० २१-१४२सू०- , सूरियामे देवे सोहम्मे २०-५० २५-११६० ते तं. तवोकिलंतं २७-१६८५ ॥४३॥ २४-७७ 'सवृत्तिक आगम ", देवगणा य निबिएणं तेणं० अजसुहम्पस , अम्नस्स परिक .., अहुणोषवणमित्तए सुत्ताणि ~49~ Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [त-कार + थ-कार + द-कार ] मनि दीपरत्नसागरेण पन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सुत्राक औ० १९ रा०२० जी०२१ देखीए प्रज्ञा०२२ ॥४४॥ २५-११ दीप क्रमांक के लिए देखीए BETINRNXXXSAREESEX तेतीसाए सुंदरि! .. २७-११५३ | तेसि णं भंते ! जीवाणं २१-१३सू० | तो उद्धरंति गारव० ते मेरु पस्थिडता २१-६१ / ० मणुभाणं २५-२३सू० |, उद्धरंति गारवरहिया . २७-१३४७ ,'माणुसुत्तर २७-२०६४ |,, सोलस जाल २०-२९सू० , , २७-१४६४ , मेरुमणुचरंता २४-६५ | तेसि आराहणनायगाण २७-३४८ , जीवदयापरमं । २७-३७९ तेयगसरीरे पं० कति २२-२७५० , कलंवुयापुप्फ २१-६६ , ते कयसोहीया २७-२३९८ तेयाकम्मसरीरा २१-२२ " कलंयुयापुष्फसंठिया २७-२०६९ तेऽवि पुवचरणा २७-२४०६ तेलुक्कस्स पहुत्तं २७-३४४ " कलंबुयापुप्फ २४-७० , पढमे मासे करिसूर्ण २७-३सू तेल्ले कोटुसमुग्गे " णं वणसंडाणं २०-३१सू० .,परियागं च बलं २७-१३६० ते बिहरिऊण विहिणा २७-१६९५ , पविसंताणं २१-६५,,सीलगुणसमग्गो २७-१५७३ | तेवीसं च विमाणा २७-१९३३ २४-६९ , सोनमंतसिरसं० २७-३२२ ला, जोयणसयाई २७-११९१ २७-१०६८ थावरस्स णं भंते ! केवति०२१-४४सू० | तेसि णं खुडाखुड़ियाओ २०-३२सू० | " महालयाप २१-१० | थिरजायंपि हु रक्खइ २७-४६५ - ० दव्वाणं कतिविहे २२-१७०सू० |, मेरुमहोयहि २७-१३२८ | थिररासिविलग्गेसु २७-९०८ दाराण०चंदण २०-२८सू० (इसिवा०) तेसि सुरासुरगुरू २७-१२३४ | थुइयंदणमरिहंता ,,, देवाणं २५-१४२सू० | तेसुवि अलपसरा २७-१३०९ | थेरस्स तवस्सियस्स ,,, पासायब.सगा २०-३३सू० | तो(दो)अणगारा घिजा० २७-१७२८ | थोवा विमाणवासी २७-२१४७ ,, भग अम्भितर० १९-१८सू० । तो इंदियपरिकम्म २७-१३९९ । दक्षिणपुरस्थिमे २५-४७ MATERJEEM 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ॥४४॥ ~50~ Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [द-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक औ० १९ देखीए नि० ISदगपिप्पली य दवी रा०२० बढणवि अप्पसुहं जी०२१ दढचारित्तं मोत्तु प्रज्ञा०२२ दढमूलमहाणमिवि दप्पणभद्दासण दब्बाण सव्वभावा दब्बेहि पन्जवेहि य दसगस्स उबक्खेवो दसदोसबिष्पमुकं दीप क्रमांक के लिए देखीए २२-४२ | दसणनाणचरितं २७-१८७६ | दंसणनाणचरित्ते २७-८०३ २७-१३८३ दसणभट्ठो० दसणभट्ठस्स २२-१२८ भट्टोन हु २७-२४४१ | दंसणयारं कुणई २७-४८९ दंसणयारविसोही २७-१६५ दाडिमपुप्फागारा २७-१४६७ | दादिद्ददुक्खवेयण २७-२००७ | दारुणदुहजलयर० २७-११५५ | दाहिणकुच्छो पुरिसस्स २७-६४७ दिक्खं मइलेमाणा २७-१७०० | दिवसतिही नक्खत्ता २७-५३९ दिवसाओ तिहिबलिओ' २७-५५२ दिवसा राइ बुत्ता य २७-५५४ | दिश्वमाणुसतेरच्छे २७-२७० दिसाणुवाएणं सब्वत्थोवा २२-५५सू० २२-१२९ दिसाणुवाएणं सव्व० २२-५६सू० २७-२२८३ । दिसिगइइंदियकाए २२-१८० २७-२५५२ दिति य सि उवएसं २७-१५९९ | दीवदिसाअग्गीणं २७-९९७ २७-३४० | , उदहीणं २७-९५४ २२-२४० २७-३ दीवसमुद्दा भंते ! किं २१-१९१सू० २७-५०९ दीवसिहासरिसवण्णित्थ० २७-२१७३ २७-१८८७ दीवाभिग्गहधारी २७-१६७६ २७-२९९ दीघोदहिरपणेसु य २७-२७८४ २७-४६३ | दीहं वा हस्सं वा २७-२२११ २७-१३१२ | " " " " १९--१२ २७-८४८ - " " " " २२-२६१ २७-९२५ | दुओणयं अहाजायं २७-१२४१ |दुक्खक्खयकम्मक्खय २७-४१४ २७-८७९ | दुग्गो भवकतारे २७-१८६७ | दसवाससहस्साई 'सवृत्तिक आगम दंत्ति बिस्सुअजसो दंडोवि य अणगारो दंतमलकण्णगृह दंतमुसलेसु गहणं दंतावि अकजकरा सुत्ताणि ~51 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ द-कार + ध-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक औ०१९/ २१ प्रज्ञा०२२ रा० २० २६-२ देखीए नि० प्रकी०२७ ॥४६॥ २७-५०८ २७-४५१ २७ १०२८ २७-१६९८ दीप क्रमांक के लिए देखीए दुण्हं आयरियाणं दुण्हपि रत्तसुकाण दुपएसिए णं भंते! दुष्पणिहिए य पिहिऊण दुमखंधे वाहरंतेसु दुबिहम्मि अहफ्खाए दूरत्थंपि विणासं दुरुज्झिअपत्ताइसु | देवत्ते मणुअत्त देवत्ते माणुस्से देवाइपोराणमेयं देवा गं० किं सदेवीया , केवइयं० ठिई देवाणंदा णिई |... निरती देवाबि देवलोप देविंदचकवट्टित्तणाई २७-५८३ | दो च्चेव सतसहस्सा २७-१४८७ | दोण्हं च पंच चत्तारि २१-१९३सू० | दो दो जंबुद्दीवे २७१७७५ नालिया मुहुत्तो २७ ७२३ दोनि अहोरत्त० २७-६४ , सप छाबडे २७-१६६४ | दो मासे संपुण्गे २७-५५७ , वाउकुमारिंदा २७-२४५ | विज्जुकुमारिंदा २५-१२५ | दोससयगागरीणं २१-७४ | दो सागरोवमाई २४-७२ | दोसुत्थ अप्पमाणे २७-१०७७ | दो सुयणु ! सुवर्णिणदा २७-१५६४ देविंदचकचट्टित्तणाई २७-४७० २२-१५८सू० | देवे णं भंते ! महिहीए २७-१२६६ | देवो नेहेण णए २७-२०५ | देसं खितं तु जाणित्ता २७-२१२५८ | देसिकदेसविरओ देहो पिपीलियाहिति २७-७६६ | दो अच्छिअट्टियाई २७-६८२ |, उहिकुमारिदा ., कोसे अ गहाणं २०-९सू० ,, चंदा इह दीवे २२--३२४सू० २२-९५सू २५-९६॥ ,, दो सूरा २४-२२॥ " " " " २७-६१३ |, चेय जंबुद्दीवे २७-१९५ , चेव नव य सया 'सवृत्तिक आगम २७-५७० २७-११०३ २७-१५८३ २७-९४४ २७-९५१ २७-५६४ २७-८८४ २७-२८६१ सुत्ताणि २७-१०३७ , हत्था दो पाया २७-९७४ | धणिट्ठा सयभिसा साई २७-१०४० | धण्णा कलत्तनियलेहि ~52~ Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ४७ ॥ PUPU उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ धकार + न कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) २१-७६ धीरेणवि मरियच्वं २७-१०७९ २७-२८७ "3 २७-४४० धवल विअलाण० २२-२५३० घिडो अहो अकजं २७-१४३६ जर मरणविऊ २७-२३९ विधी (घी घी) मोहो जेणिह २७-१८४८ २७-८०७ धीधणिअवद्धकच्छा २७-१७८३ धुर बमुहे विडे २७-६९७ धोईति कंठिभाओ घण्णा ( उ ) करंति त धण्णा सत्तहियाई धनोऽहं जेण मए धम्मत्थिकारणं पुच्छा धम्मं जिणपन्नसं धम्मंतराय भीए धम्मगसुसीलजुयलं धम्माणं च अहिंसा धमाधम्मागासं धम्मेण विणा जिण० धम्मो ताणं धम्मो सरणं न कओ साहू धरणियलाड समाओ २७-२०११ धरणोवि नागराया धातइडप्पमितिसु 'धातइडपरिरओ २७-९८२ धीरपुरिसपण्णत्ते २४-८० २४-३७ धीरपुरिसपचत्तं धीरपुरिसेहिं कहियं धीरेण वि मरियच्वं धायरसं गं दीव कालोदे २१-२७६० २७-१८६२ धायसंडप भिई २७-१८६० २७-१७११ २७-५९३ धीधणिअबद्धकच्छो २७-१२५३ धीर! पडागाहरणं २७-१८३६ २७-५८० धीरपुरिसपण्णत्तं २७- १३१० 19 + 15 " ~ 53~ २७-६५० २७-२६६ 33 11 धीरो चिलाइ तो २७-२६५ २७-१५४७ २७-१२७ 15 धी संसारो जहियं नवेगसमं चचल नउई नमह सरीरं नखततारगाणं २७-१५४८ २७-२१७ " तारयाणं २७-६७९ नक्खतमिगसहस्सं २७-१५०९ न चयंति किंचि कार्ड २७-१७८१ नत्थि किर सो परसो 27 59 23 13 35 भयं मरणसम 37 19 २७-२७४ २७-१५५६ २७-१६६५ २७-१३३ २७-१८३४ २४-९३ २७-८३३ २७-५२८ २७-४९१ २१-६२ २७-२०६५ २७-१०४४ २७-१४०५ २७-१७२ २७-१४७३ २७-६८५ २७-१६३६ सूर्य० (२३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ | प्रकी०२७ ॥ ४७ ॥ Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ४८ ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ न-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) नत्थ य ते. संघयणं इह संसारे 35 न निमित्ता विषजति नपुंसएस सडणेसु नपुंसकनिमित्तेसु नमिऊण महाइसर्व महावीरं 31 नमुत्थु धुपाचाणं नयणोदपि तासिं न य मणसा चितिजा नरपसु अणुत्तरेसु अ येणाओ 52 21 33 नरगति रिक्खगईसु नरयगइगमणरोहं नरविबुसर सुक्खं न लहर जहा लिहतो २७-१६०७ नवबंभचेरगुत्तो २७-१८४० नवमी मुम्मुही नाम २७-९१५ नवमे वसंतमासे २७-९०३ | नवमो अ आणइंदो २७-९१९ नवि अस्थि माणुसा २७-२७६ 27 25 २७-७१० नवि कारणं तणमभ २७-८० २७-१६३५ २७-१५५० २७--१५३९ २७-६८१ २७-१६१६ २७-१६१५ २७-४७ २७-२८० २७-४१७ 27 35 33 'जाई कुलं बाबि 33 तं करेइ अग्गी 23 11 " """ 21 कुणइ अमिलो विसं च सत्थं सत्यं च विसं 31 35 21 21 " 37 33 माया नवि य पिया 33 न हु तम्मि देसकाले ~54~ २७-६२९ न हु तेसुं वयणं खलु २७-४८७ मरणमि वग्गे 33 33 २४-२४ २७--१०९३ २२--१२२२ २२-१७१ २७-२२९ २७-६३९ 95 39 59 " "" सका नासेडं " " सा पुणरुत्तविही सिज्झई ससल्लो नंदमाणो चरे धम्मं नंदा भद्दा विजया 3559 नाणसहियं चरितं नाणस्स केवलीणं २७-१६० २७-१३४५ दंसणस्स य २७-१८८१ नामि दंसणं अ 33 २७-१२१ य " २७-१६०० २७-२३५ २७-१५२२ नंदे जए य पुन २७-८५६ २७-४९५ नाउमिह अमावासं २५ (पृ० ५०७टी०) २७-३३६ नागकुमारिदाणं २७-९५० २७-१४३३ नाणमयवायसहिओ २७-१८६३ २७-१४६२ २७-१३७३ २७-१२९७ २७-१२९ २७-७२९ २७-९१ " २७-१५२८ २७-१३७६ २७-१४४४ २७-१५७ २७-४९४ २७-८५५ सूर्य० | २३ चं० २४ अं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ४८ ॥ Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [न-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक औ०१९ रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ज देखीए CAKED दीप क्रमांक के लिए देखीए REESE नाथमि दंसणंमि य नाणं सुसिक्खियब्वं नाणाईआ उ गुणा नाणाविधसंठाणा नाणाबिहदुक्षेहि य नाणे असगडताओ • आउसाणं नामेण य झागेण य ., वजणिज ... विणा करण सयभावा ... नामेण चंडवेगो नारयतिरियगईए निअदब्यमपुवजिणिद. निक्कसायरस दंतस्स निक्सममाणे सिग्धगइ निखिला फासेयव्या २७-१२२० । निगोदा गं भंते ! दबट्टयाए २१-२४०सू० निमित्तेसु पसत्थेसु २७-९२१ २७-२३७४ | निग्गहियकसाहिं २७-१८५६ | निमित्तेसु० सव्वकजाणि २७-९२३ २७-९२३० /२४ २७-४ | निश्चल निप्पडिकम्मो २७-१७६१ / निम्ममनिरहंकारा २७-६४६ | निच्चं तिदंडविरया २७-१२६१ | निम्ममनिरहंकारो २७-१५७७ानि० २६ २७-२५४१ निच्चपि तस्स भाबुम्जुअस्स २७-६४० २७-१७११ प्रकी०२७ २७-२७३७ निच्छिभमरणावस्थो । २७-२८९ | निम्मलदगरयवषणा २७-१२०२ २७-१३७१ निच्छिष्णसवदुक्खा २२-२३१ | निरयगईणं० केवइयं कालं २२-१२२सू० निच्छिन्नसव्वदुक्खा | निरयावलिया सुयखंधो २६-३१सू० २७-२२७२ २७-१२६९ | निव्याणसुहावाए २७-१३८२ | निजरियजरामरणं २७-४४८ निसग्गुवएसई २२-२२० २७-२३७५ निटुविस अट्टमयठाणे २७-७५१ | निसढे माअनिवहवहे. २६-५॥ २७-६६४ निदलिअकलुसकम्मो २७-४४निसरित्ता अप्पाणं २७-१५८८ २७-६८० निन्नयं च खलयं. २७-५७५ निस्सल्लस्सेह महब्बयाई २७-४१० २७-३०६ निद्ध महुरे पल्हा २७-४३२. निस्लंकिय निखिय २२-२३३ २७-२३१ । निष्काश्याम २७-१६६० निस्संघिणातणमिव २७-१५८२ २४-१० निभत्थणावमाणण २७-१८२८ निहण हण गिबह दह २७-१६२२ २७-१४२३ | निमित्ते कित्तिमे नस्थि २७-९२० | निंदामि निंदणिजं २७-२४ ॥४९॥ 'सवृत्तिक आगम ५/२ESI सुत्ताणि ~55~ Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ न-कार + प-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक औ०१९ रा० २० N यहां देखीए जी०२१ प्रज्ञा०२२ दीप क्रमांक के लिए देखीए VV.WAVUTA निंदामि निंदणिज ____२७-१४१ | मेरदया f० कर दिया ५२-१९३५० | नेराया ण मेरइयत्ते के० २२-३३९१० सू या १२ नीअंगमाहिं सुपोहराहिं २७-३९१ , कर लेसाओ २२-२१५ल० , णं भंते ! केवइयं० २२-१४सू च ०)२४ नीलवंतहहस्स णं पुरस्थि०२१-२५१सू० , कति भागाव०२२-१४४० , केवतियं २१-२२३सू० जं० २५ नीलाणुरागवसणा २२-१४९ " , कतो उ० २२-१२९सू० , पं० सब्ने समकम्मा २२-२०७सू० नि० २६ नेरइए f० जाई २२-२७१सू० .. , किं अणंतरा० २२-२५७मू० नेरइयाणुप्पाओ २१-२०प्रकी०२७ नैरइपसु २२-२२२सू० " आहारस० २२-१५८सू० | नेर० कतोहिंतो उव०२२-१२९सू० , नेरइए हितो २२-२५९सू० " गिदियस०२२-३०८सू० नेसपे पंडअए नेरइयअंतकिरिया २२-२१३ " " ओयाहारा २२-३०९सू० नेहक्खेवे दीवो २७-१५७९ नेरइयतिरियमणुया २२-२२१ " m, सचित्ता० २२-३०४सू० पउमलया णागलया २२-२९ नेरदयदेवतित्थंकरा, २७-११६७ " " , संतरं उव०२१-१२६सू० पउमा पउमप्पभा चेध.. नेरइया पं० अणंतरं उब्व०२२-१३८सू० " ""संतरं, २२-१२५सू० | पउमुत्तरे णीलवंते , अणंतराहारा २२-३२२सू० सिता जोणी २२-१५०सू० पउमुप्पलनलिणाणं नेराया पं० आहारे किं २२-३२३सू० , , केवइयं खेत्तं २२-३१९सू० पउमुष्पल संघाडे २२-१०९ एग० के २२-१२८२० " , केवइया पजवा २२-१०४सू० पउमुप्पलिणीकंदे " " एगसमपर्ण २२-१२७सू० " केवतिकालस्स २२-१४६सू० पकमतेसु सउणेसु २७-९०७ ,ओहिस्स किं २२-३२१सू० , केवतिया २२-१७८० पञ्चक्खाइ य ताहे २७-१५७५ , ओही किंसंठिए २२-३२०मू० । ,,, के. वेदणासमु०२२-३३५सू० | पञ्चपखाविति तओ तं -२७-३२० 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~56~ Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ।। ५१ ।। उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ प-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) पच्छायायपरो पच्छावि ते पयाया २७- २९० २७--६३८ २७-७५९ २२- २४९ सू० २७-७५८ २७-१७१७ २७ ४१ पजलंति जत्थ धगधग० पचत्तर णं पुच्छा पञ्जलि हुयवहं पडणीयया केसिं पडियन सासरणो पडपिलिअ कामकलिं २७-३८९ पडीया २७-२७ पडि ( जिय) मायगओ अ मुणो २७-१७०२ पांडेमासु सीह निक्कीलिषासु २७-१२७५ पंडिसीओ उद २४--१ २४-६० 33 35 पडुष्पद्मवि० केवति० मिलेवा 35 परंतु साहुको ए पढमणरीसर ईसर २१- १०३० २७-८४५ २५--२३ 13 पढमम्मि य संघयणे २७-१७६८ पण्णावीसं जोअणसयाई पढमं अट्ठारसगं २७-१३२३ पण्णासंगुलदीहो अणिश्चभावं २७-१८०७ पत्तउरसी य उरए बिमाणं २७-११३९ पत्तं विचित्तविरसं पढमा णं भंते! पुढवी किंनामा पत्ता उत्तमपुरिसा किंगोत्ता २१- ६८० पत्ताणि दुहसयाई पढमित्थ नीलवंतो २५-४६ पत्तेण अपत्तेण य पढमिल्लुगंमि दिवसे २७-६३२ पत्तेय विमाणाणं पढमीपंचम दसमी २७-८५४ पत्तेयं पत्तेयं नियगं पढमो तइओ नवमो २२-१८६ पत्तेया पक्षता पढमो तइओ सत्तमो पत्तेसुबि एएसुं पनरसहभागेण 53 - सोहम्मवई पणपण्णा य परेण पणयालीस आयामवि० पणवीस द्वारसबारसेव पुण्णरसहभागेण य पण्णरस सतसहस्सा ~57 ~ २२- १८७ २७-१०९१ २७- ४६० २७-१२०३ २५--५१ पावणा ठाणाई पद्मासयस च २४-७४ पप्फोगडियकलिकलुसा २४-३३ | पभू अनयरो इंदो २७-११८४ २५-१८ २२-२३ २७-१७९९ २७-६०५ २७-१४५४ २७-४३ २७-११४८ २७-१८२१ २२-१०६ २७-१८६९ २७-१०७३ २१-७० २२--६ २७-४९० २७-११५१ २७-९९२ सूर्य० / २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ५१ ॥ Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ।। ५२ ।। XXXSEY 23 उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ प-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) भू णं चंदवडिस भोग० २१ - २०४० परिणाम जोगसुद्धा पन्हे सुपरहे महापरहे पइकुडिलम्मि कत्थर पीरसे परमो परम परमणमयं मुता परमत्थधो न तं अमयं परमस्थओ विसं णो तं परमत्थम्म सुदि परमत्थसंथवो वा २५-६१ २७-१७९७ परिणामवन्नरसगंध० २७- १४८८ परिणामविसुद्धीए सोहम्मे २७-६०३ परिचर णं पुच्छा २७-१६ परिमंडलो मुद्दतो २७-७५६ परिवड़िओवहाणो २७-७५४ परिहर असच्चवयणं छजीववहं परिहरसु तो तासि पलं दुल्हखुणकंदे य पलि ओवमट्टिया पलिओचम भागो पलिओवमं गहाणं " परसुकरहिं पतं पव्वज्जाई सव्वं पव्वज्जाए अजओ परिजाने मिच्छतं २७-१३८५ २२-१३२ २७-२८८ परम (पसम) सुसपिवासो परमाणुपोग्गलाणं० पजया २२-१२० परमाणुपले णं किं चरिमे २२-१५७ परमाणुम्मि सहयो परिगर गिरिश्रमशो परिजन तिगुत्तो २२-१८५ २२-१४ २७-६७५ २७-१४५६ 95 23 ~ 58~ २७-१३९५ २७-२२६४ २२- २१० २७-४४० २२- २४८० २७--८९६ २७-१४१९ २७-३७२ पसत्थेसु० अपसत्यनिमित्तेसु २७-९२४ २७-४६ पसमिक्षकामपमोहं पहुणो सुकयाणत्ति पंचग्गमहिसीओ पंच० नयरंमि कुंभकारे पंचमर पुण बंभो पंचम भत्तपरिणा पंचमहव्वयकलिओ २७-३६४ पंच महत्वयसुत्थिय २७-४०१ पंचमी उदसं पत्तो २२--८९ पंच य अणुव्वयाई २५-४० पंच य महव्ययाई २७-१०८९ 35 23 "" २७- १०८८ २७-४२ २७- १२४७ पंचविहं जे सुद्धि पंचविहं० पता निखिलेण पंचसमिए तिगुत्ते २७-२८३ | पंच सया एगुणा २७-३०१ २७-९७३ २७-६४४ २७-१०९२ २७-१८९७ २७-६२६ २२-१२६२ २७-४८३ २७-६५ २७-२०० २७-१४९२ २७-१३०३ २७-१३०४ २७-१५६० २७-६४५ सूर्य० | २३ चं० / २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ५२ ॥ Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [प-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक रा० देखीए जी०२१ ELEMEWS EPSEE दीप क्रमांक के लिए देखीए आ०१९पंच सयापरिवुडया . २७-१७०३ पाडलिपुत्तमि पुरे २७-६५६ | पासित्तु ताई कोई २७-३१३वार | पंचेव इगुणपनं २५ (पृ० ५०८टी०) पाडलिपुत्तमि० विस्सु० २७-६५९ | पिउभगअजमसबिआ २२-२३१ पंचेव धणुसयाई २७-१०२७ | पाडिवए पडिवत्ती २७-८५० पिच्छसि बाहिरमटुं २७-५४४ प्रज्ञा०२२ पंचेवणुत्तराई २७-११४९ पाढामियधालुं कि २२-५० पिच्छसि मुहं सतिलयं २७-५४३ पादियतिरिक्ख० अणंतरं २२-२४१सू० पाणातिपातषिरए पं० कम्मप० । पित्तस्स य सिंभस्स य २७-४७५ कओहिंतो उव० २२-१३३सू० २२-२८७सू० पिसाय भूआ जस्खा य २७-९९५ , जोणि केवळ ठिई २२--१८सू. पाणातिवायबिरयस्स f० जी० पिंडं उवहिं च सिजं .-२७-७३० पंचिः कि आरंभिया किरिया कजति पीईकरो वण्णकरो २७-५८१ उच०र० उव्व०२२२६३सू० २२-२८८सू० पीयं थणअच्छीरं २७-१६३४ पंचिदियतिरिक्व० पन्जवा २२-१०८सू० पाणिवहमुसावाए २७-१७० पंचिंदियसंवरणं पाणोऽवि पाडिहेरे २७-३७१ २७-१४७२ | पारिवायगभत्तो | पुक्खरवरणं दीवं पु० बट्टे २१-१८१सू० पंडक अभिसेमसिलाओ २५-१०८सू० | पालय पुष्फे य.सोमजसे २५-७८ | पुट्ठाई० सहाई सुर्णति २२-१९०सू० पाओवगम भपियं २७-१७६३ २७--३३७ पुट्ठोगाढअणंतर २२-१९८ पागडियपासुलीयं २७-५६२ पाचार्ण कम्माणं २७-१५१४ पुढविकाइए णं भंते ! पुढ०२१-२२९सू० पागारपरिक्खित्ता २७-११४२ | पावाणं पाषाणं , २७-२२२ | पुढथिकाइयस्स णं भंते ! केवतियं पाडलचंपयमल्लिय २७-५६६ | पावियपरमाणंदा २७-२८ | काल टिती २१-२२८सू० 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~59~ Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ २१० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ५४ ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ प-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) पुढ विकाश्या आहारकम्म० २२ २१०सू० पुढविकाइयाणं० अनंतर० २२-१४०सू० आहारट्ठी २२-३०६० 39 33 33 "" केवइया २२-१८०सू० केवइया २२- २०६० केवश्यं २२ - ९६० २७-७८४ २७-१७६९ २४-२८ पुढ विदगअगणिमारुभ० पुढविदगाणं च सं हमा 31 32 37 पुढवीकाइए णं भंते० पुढवी य सकरा बालुवा पुणव्वणा पुलेण पुण्णाई खलु आइसो पुण्णा य इकवीसा पुण्णेहिं हायमाजेहिं पुष्णोवि जंबुद्दीव पुत्तं जीवयऽरिडे पुत्ता चयंति मित्ता """ मित्ताय पिया पुनामधिजसउणेसु पुप्फा जलया धलया पुप्फाणं वीआणं तय० पुरओ बहंति सीहा २५-८८ पुर ( कुरु) मंदरमावासा २१-९ पुरिसवरपुंडरीओ २१- ९५० २२- २६१स्० २१-५८० २२-१० पुरिसस्स णं भंते० का० अंत० २१-५६० २७-८७० पुरिसस्स गंभंते! कालं ठिती २१-५४सू० २७-१४ पुरिसे णं भंते! पुरिसेति २१-५५० २७-११०६ | पुन्दभवियबेरेणं " पुरिसवेदस्स णं भंते! क० केवतियं० बंध० ~ 60~ २७- ४९६ पुव्यमकारियजोगा २७-९८४ पुबमकारियजोगो २२--१६ २७-५७९ २७-१८१७ पुञ्वविरा हियवंतर● २७-९०२ पुगे सिद्धमणोरमे २२-८६ २७-७९० पुर्ववावरदाहिण० २७-१०२१ २१- ३३॥ २७-५९० वि० अनियाणो ईहिऊण पुवि कयपरिकम्मो कारियजोगो 23 35 २७-१४०० २७-२१९ २७-१५११ २७- १२९२ " पुत्रेण होइ विजयं पुस्सऽस्सिणिमिगसिर रेवई पुरसायणे अ अस्सायणे २७-१७६४ | पुस्तो हत्थो अमि २७-१६९७ २४-१९ २५-९३ २७-१७६७ २७-२२१ २७-११५ २७-१५१२ २७-२२० कारिय० ताहे मलि० २७-१५१३ २७-१११३ २७-८५७ २५-१०५ २७-८७४ सूर्य०/२३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ५४ ॥ Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [प-कार + फ़-कार + ब-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक देखीए जं० २५ नि० २६ मकी०२७ दीप क्रमांक के लिए देखीए औ०१९/ पुस्सो हत्थो अभिई य रा० २० पूश्यकाए य इहं जी०२१ पूइयनिवकरजे प्रज्ञा०२२ पूइयसीसकवालं ॥६५॥ पूश्यसुविहियदेहो पूसफलं कालिंग पूसफली कालिंगी ॐापोराणग च कम्म पोराणयं, पोराणिअपच्छप्पनिआ० फासिंदिपण दुट्टो फासेहिंति चरितं | फुसइ अगंते सिद्धे २७-८६७ बत्तीसट्ठावीसा २७-५५३ बत्तीसमंडिआहिं २२-१७ | बत्तीसं चंदसतं २७-५४५ , चंदसयं २७-१७०८ २२-९४ , देविदत्ति २२-३० , देविंदा जस्स २७-२६३ | बम्हा विण्ड अ वसू २७-१५४६ " " " " २७-७०० | बवं बालवं च तह बजे उबट्ठावणं कुजा २७-१२८० बबे य बालवे येव २७-१२१८ बलवीरियरूवजोवण २२-१६८ | बलि भूयाणंदे वेणुदालि बहिता तु माणुसनगस्स २७-८२ | बहिया उ २२-१५५ । बहियाओ , २५-७७|बहुजणे णं भंते ! अण्ण० १९-४०० २७-२६१ | बहुदुक्खपीलिआणं २७-१८४१ २५-५३ | बहुपलियसागराई २७-२६७४ २७-२०५२ | बहुसो अणुसूयाई २७-१८३५ २१-४९ | बहुभयकरदोसाणं २७-१४३८ २७-९३५ | बहुसो उच्छोलती २७-८३१ २७-९३४ | बहुसोवि मए रुण्णं २७-१७१ २५-१३० | बंधणपरिणामेणं० कतिविघे २२-१८५सू० २५-२७४ | बंधपओसं हरिसं २७-१४४८ २७-८८७ | बंधं मुक्खं गइरागवं २७-१३७७ २७-८९१ |बंमे लंतयकप्पे बंमे बलए बाउम्मि २७-१८१२ बातालीसं चंदा २४-४१ २२-१४५ वायरस्स ० कालं ठिती २१-२३५सू० २४-८२ | | वायालीसं चंदा २७-१०४३ २७-२०८१ २१-३७ २१-८३ | बायरे णं भंते ! बायरेत्ति २१-२३६सू० ARREXTERELEASEAR 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि बझं अभितरं पचीसअट्ठबीसा ॥५५॥ ~61~ Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ब-कार + भ-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक औ०१९ रा० २०॥ बारवई सोरट्ठा . सूये०२३ चं०/२४ जी० २१ देखीए प्रज्ञा०२२ दीप क्रमांक के लिए देखीए २२-११५ | बावतरं च चंदा २७-१०४९ | बीवएणं सारूवि० २७-७८९ बारस चउवीसाई २२-१८२ | बाबीसमाणुपुचि २७-१७५९ | वीए जोणिभूए २२-२७ बारस चेव मुहुत्ता २७-४५९ । बावीसं च मुहुत्ता २५ (पृ० ५०टी०)। बीएण विणा सस्सं २७-३४९ बारस मासा संवच्छरो २७-५१५ । | बाबीसं जोयणसयाई बीयाए किया नामं . २७-४८० नि० २६ बारसवि भावणाओ २७-२८७३ | बावीस संयसहस्सा २१-३६ | बेईदिए पं० उब्व० मेर० उव०? की०२७ बारसविहम्मिवि तवे २७-१३६४ | बाहंति इंदियाई २७-१४०२ २२-२६२सू० बालमरणाणि बहुसो २७-१०७ | वाहिरजोगविरहिओ | बेइंदिया f० आहारट्ठी? २२-३०७मू० वालमरणे अवार्य २७-१५९२ | बाहिरभंतर उवहिं २७-१३७ , केवइयं ठिा २२-९७सू० बालाए बुहाए नत्तुय २७-७९३ | वाहिति इंदियाई २७-२१८ , , जीवा णाणा बंधति ? वाला किड़ा मंदा २७-४७८ | बाहेद इंदियाई २७-१५१० २२-२९७सू० बालाणं जो उ सीसाणं २७-७२५ विचउत्थः एते वजिय भंगा २२-१९० इंदिया णं पुच्छा २२-१०७सू० वावडिं वावा? २१-६९ बिचकत्थपंचमुटुं बीसेकवीस २२-१८८ | , इंदिया चङ० जहा०२२-१३२सू० २४-७३ विचउत्थ० यावास इमविहूणा २२-२८९ चे उदधिसहस्सा खलु २१-९० बावत्तरं सय २५-(पृ०५०८टी०) | चिसरीरविलग्गेसु २७-९०९ | भगवपि वारसामी २७-१७०८ बावत्तरिकलापंडिया उ २७-२२७६ | बिलमूले वाहस्तेसु २२-९०६ भट्ठायारो सूरी २७-७३७ बावत्तार च चंदा २४-५० बिटसमं सकडाई २२-९५ | भणइ यतिविहा भणिया २७-२२५० २१-४६ | विटं बाहिरपत्ता य २२-९१ | भण केरिसस्स भणिओ २७-६१७ S५६ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~62~ Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [भ-कार + म-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सुत्राक सूय०/२३ रा० २० . देखीए २१-१५ २७-१६१८ २५-५० २७-१६२७ २७-१७४७ २७-५८९ २७-७४५ २२-१२२ २२-२२३ २५-७० दीप भत्तपरिभामरणं दुविहं .२७-२८५ | भवसिद्धिए ण पुच्छा २२-२५२सू० | भिन्नमुहुत्तो नरएसु . भत्तिं च कुणसु तिव्यं २७-३२९ मंजिय परीसहचमू २७-६१० मिनिंदियपंचिंदिय जी०२१लाभदं सुबहुसुयार्ण २७-२३७८ भत्तेत्ति० काले णं भंते कुमारे २६-८सू० भिंगा भिंग्गप्पभा चेव प्रज्ञा०२२ लाभय केहिं लिंगेहि २७-७१८ , दिव्या देविही कहिं० २०-२६सू० । भुत्तूणवि भोगसुहं भरहस्स चत्तारि एगिंदि० २५-६९सू० भालकीए करणं २७-४३५ | भुयगपुरोहियडको भरहे अ इत्थ देबे महिडीए २५-७२सू० भावनमुकारविवज्जिआई २७-३५४ | भूईगहणं जह नकयाण भवगहणभमणरीणा २७-२७७ भावाणुरायपेमाणुराय०२७-३३९ | भूप अस्थि भविस्संति भवण इसिवालिया २७-१२३२ भाविज भावणाओ २७-१८७४ भूयत्थेणाहिगया भवण० कप्पबईणवि भासपणं पुच्छा २२-२४७सू० भेदबिसय संठाणे भवणबई दो इंदा २७-२४३ भासगपरित्तपज्जत्त | भोगकरा भोगवई भवणवइविमाणबईणं २७-९७१ भोगाणं परिसंखा भवणवहयाणमंतर २७-१०९० भासाकओ य पभवति २२-१९२ भोमेजवणयराणं २७-११२२ भासा णं भंते किमादीआ४२२-२६५सू० मउए निहुअसहावे भवण सव्विड्डी परिय० २७-१२३१ । भासासरीरपरिणाम २२-७ मए कयं इमं कम्म भवणेहिं व वणेहि य २७-१८११ | भासुरसुवन्नसुंदर मगतिहिआहि तो भवसयसहस्सदुलहे. २७-१४४० | मिक्खाचरणत्ताणं . २७-८७७ मज्ज़मि बंधवाणं भवसंसारे सब्वे २७-२८४ | मणिमणिभणंतसई २७-५६१ | मझे वेअहस्स उ क्रमांक के लिए देखीए २७-६८ SAXXEXTENSEXERCREENERY 'सवृत्तिक आगम २७-२२३५ २७-७८२ २७-२५७ २७-३३५ २७-१८१९ २५-२ सुत्ताणि ८७॥ ~63~ Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ।। ५८ ।। उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ म-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) मणवयणकाजोगा मणसा अतिणिज्जं मणसा माणसाचिऊ " 15 मणसावि अचिंत णिज्जं मणिकणगरयणधूमिअ मणुअतं जिणवयणं मयत व बहुविह मणुस्साणं० अनंतरं " 35 31 २७-१८५८ २७-२४३ २७-२०६ २७- १४९९ २७- १५३३ मत्तगदनिवाडिय ममत्तं परिजाणामि परिवज्जामि 17 मम मंगलमरिहंता २७-१००६ २७-२७८ २७-१६३२ २२- १४२० कओहिंतो उ० २२-१३४स्० hari० ठिई २२ ९९० केवइया पजवा २२-१०९० सत्रे समाहारा० २२-२११स्० २७- १७९३ २७- १४३ मम मंगलमरिहंता मरणमि जस्स मुकं मरण समाहीकुसले मरणे विराहिए मसहिं मच्छियाहि य महया भडचडगरपह० महानिसीहकप्पाओ महा भरतपुष्याणि २७-८६ | महुरा महुरखमओ २७- १५३६ | महुराददत्तो २७-२४७ २७- १६७३ २७- १५६१ २७-१०० ~64~ २७- १६५३ २७ - १८१५ २७- ८४४ २७-८८० महुरा जियसमु मधुरा य सूरसेणा खरिणावि व अरहओ मंताभिओगं कोडग २७- १२९८ २७-६० २५-६६ मंदरस्स गं० प० कद्र कंडा २५-१०९० ,, कति णाम० २५-११०सू० ,, केव जो इस २५-१६६० २७-१८४३ २७- ८४० मंदणुभावा वृद्धा मंदरमेरुमणोरम 97 महाहिमवंतस्स णं बहु० भा० महापउम हे० २५-८१ सू० महाहिमदंते गं० वास० कइ० २५-८२सू० महिला कुलं सुवंसं पियं महिलापसंगसेवी न लहर महिलासंसग्गीए महुरविरे अणमेसो २७-३९० २७-४१८ माऊर दुआए सुहाए मा कासि तं पमायं माकुणसु धीर! बुद्धिं २७-४०२ माणुसुतरे पव्यते के० २७-३१७ माणुस्सदेसकुल काल ० " 55 मंसट्टियसंघाए 5+ २७-१७३३ २२-११७ २७६७४ २७- १७२९ माणुस्सयं सरीरं २७-१७३६ | माणुस्तं च अणिच्च २७-३३८ २७-३७७ १२१-१७९० २७-१८६८ २७-५३१ १९-२ सूर्य० / २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ५८ ॥ Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [म-कार + र-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए औ०१९ रा०२० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ॥ ५९॥ XXBREYSISTANESER दीप क्रमांक के लिए देखीए मायापिइबंधुहि २७-१७६ मिच्छत्तं परिजाणामि बंधूहि २७-१४७७ | मिच्छादसणरत्ता मायापिईहिं सहवहिरहिं २७-१८१० | मिच्छादसणसल्लं माया मित्ति पिया मे २७-१४७६ | मित्तसुययंधवाइसु माया मिसि पिया मे २-१७५ | मित्ते नंदे तह सुटिए , माऽऽया हु व चिंतिजा २७-२६८ | मिल्हियविसयकसाया मारणंतियसमुग्धातो सट्टाणे २२-३३८सू० | मिठो किलिट्टकम्मो मासपषिणमुग्गपणी. . २५-५१ | मोग्गल्लायण संसायणे मासाणं परिणामा .२५-११९ मुग्गिल्लगिरिमि मासे मासे उजा अज्जा २७-८४३ मुणिचंदेण विदिण्णस्स माहिदे साहियाई सत्त दस २७-११०४ मुणिणं नाणाभिग्गह मा हु य सरीरसंता०२७-२६४१ |मुहिय अंबाबली मा होइ वासगणया २७-६३७ | मुयरुख हिंगुरुक्खे मिगसिर भद्दा पुस्सो | मुहचाससुरहिगंधं मिगसिरमहा य मूलो २७-८५८ | मूलगुण उत्तरगुणा २७-८५८ मिगसीसावलिरुहिरबिंदु : २५-३०९ -मूलगुणे उत्सरगुणे मिछत्ततमंधेणं २७-५१ . २७-१५२ | मूलगुणेहि बिमुझं २७-२०३ | मूलं तह संजमो वा २७-२३३१ मूलंमि जोअणसयं २७-१६४२ , तिषिण सोले मूलुक्खयपडियक्खा २७-३७ |मूलुत्तरगुणभट्ट २७-३५३ | मेढी आलंबणं खंभ २५-१०४ | मेदो वसा य रखिया | मेरुव पब्बयाणं २७-१७२३ | मेरुस्स मज्झयारे २७-७८३ | मेहंकरा मेहबई २२-३३ | रहारइतरलजीहाजुएण २२-४० | रक्खाहिबंभचेरे २७-५६७ - रति च पयह विहसिय २७-१४५२ रत्तुक्कडा य इत्थी | रमणिजहरयतरुवर २७-२१ । रमणीभदसणाओ २७-७९६स्प ० २७-५९८N २५-४४ 10 २५-४५ २७-२६ प्रकी०२७ २७-७२० २७-७१७ २७-५४९ २७-६१६ २५-८४ २५-७१ 'सवृत्तिक आगम २७-३८२ २७-१६५४ २७-४६२ २७-१६९० २७-३९४ सुत्ताणि ~65~ Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ र-कार + ल-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक औ०१९ रा० २० जी २७-५२१ | रायसिरिमुवकसित्ता २७-२७४९ | राहु केउबिलग्गेसु २७-१८४७ | रिक्खग्गहतारग्गा २७-१२८६ २७-१४ २७-९१३ २७-०८० २१-७७ देखीए प्रज्ञा०२२ ॥६०॥ AAS दीप क्रमांक के लिए देखीए LARAKESARRRRRRRRRACETAX रमणीण दंसणं चेष २७-३९६ | राइदिएण तीसं तु रयण के० विरहिया उव्व०२२-१२वसू० | रागहोसनियत्तो रयण नेर० के० उम्बाएणं २२-१२३सू० | रागहोसपमत्तो रयणप्पभाइकुडनि० २७-९४२ | रागद्दोसामिया रयण पु० नेर० ० चक्क २२-२६५सू० | रागहोसारीणं हंता __"my, रयण०२२-२६५सू० | रागबंधं पओसं रयणाई सबरयणे २५-३२ | रागस्स य दोसस्स य रयणिकर णक्खत्ताणं २४-६८ रागं बंधं पोसं रयणिकरदिणकराणं २४-६७ रागेण गंगदत्तो रयणियर० चारविसेसेण २७-२०६७ न जाणंति य रयणियरदिणयराणं , व दोसेण व २७-२०६६ २१-६३ (र)विभोमकोण (ड)दिवसे २७-८९३ रबिससिगहणक्खत्ता २४-५८ रविससिगहनक्खत्ता रायगिह मगह चंपा २७-१०५६ | रायगिहनिग्गया खलु २७-१३८ | रुक्खा गुच्छा गुम्मा २२-१४ २१-३ २७-८५ | रुद्दे सेए मित्त २७-४१२ | रुद्दो उ मुहुत्ताणं २७-५३६ | रुरु कुंडरिया जीरु २७-२४७१ | रूपिअ० जाव पजवा कइ०२२-११९सू० २७-१७ | रोगायंकेसु पुणो २७-१६४३ २७-१४४९ | रोहे सेते मित्ते २७-१६९ रोसेणं पडिनिबसेणं २७-१३४८ रोहीडगंमि नयरे २७-६५४ २२-११३ | लज्जाइ गारवेण २७--१५१९ २७-२७२३ ।लज.गारवेणय २७-१३३८ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ६०॥ ~66~ Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ६१ ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ ल-कार + व-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) लजार गारवेण य अद्धपु २७-२२७ लासिअल सि अदमिली २७-१२६ लीलाअलसमाणस्स २७-५९५ लेसाण सुकलेसा 21 तु तप एवं लव माणुसं २७-१८८५ लेसा दिट्ठी नाणे ललक निरयविभ्रणाओ २७-३८६ लोग विजयं करिंतेण लवणयमुहसामाणो २७-१४८५ लोग सहावो धी धी. लवणसमुदं धायइ संडे० २१-२७५० लोगागासपरसे निगोयजीवं लवणसिहा पं० केवतियं चक्क० लोगागास परित्तजीवं केव० अ० बहुति वा २१- १५९० लोमेण अहव धत्थो लवणस्स गं० के महालए २१-१७२० लोहस्स य उप्पत्ती लवणस्स केरिसए अस्साए २१-१८८० लोहियहालिद्दा पुण लवणे. कतिखुत्तो० बहुति वा २१-१५८० वराड वच्छ वरणा लवणे गं० कति चंदा २१- १५६० बचाओ असूइतरे लवणे गं० किं उसितोदगे २१-१७०सू० बच्छे सुवच्छे महावच्छे लवणे संठिते २१-१७३० बजेह अप्पमत्ता लवगे, केवतिथं उहपरि०२१-१७१० लऊणं संसारे २७-१३०५ 27 ब खु बलयगपिव षट्टस्सुवरिं ~67~ २५-१० बोबडी मुहुत्ताण २७--७१३ २७-५९९ २१- १२ २७-७८७ २४-६ २४-४० २७-१३४२ २७-१९७८ २५-३३ २५-६३ २७-१८३२ २२- १०४ २७-३८७ २२-१०५ वयछक कायछक २७-१३२० २७-१८५० २७-२० वयणामरण भुवणं २५-३५ वयं पुण० सूरिए सव्वन्तरं २४-१७सू० २७-११८६ वरपउम कण्णियामंडियाहिं २७-९६३ २२-११६ वरपडमगन्भगोरा २७-११५२ २१-१८८० २७-५६३ बरुणोदस्स गं० जहानामए २५-५७ वलयामुहसामाणो २७-१९१ २७७७२ २२-१ २७- ११३८ २७-११४० वदrयजर मरणभये बवहारगणियदिहुं वसिऊण देवलोए - २७-५०३ २७-१६२४ 37 37 33 वण्णेहि य गंधेहि व वतुलसरिसबरुवा बस्थाण य उप्पत्ती वप्पे सुवप्पे महावध्ये वम्महसरसयविद्धो सूर्य० | २३ चं० / २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ६१ ॥ Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ६२ ॥ वसिऊण व सुहिमज्ये वि जणमज्झे 15 " उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ व कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) 33 विमाणे य बिचित्तेसु अ सुरनरीसर " वसिय दरीसु वसियं " " २७-१११२ २७-१६१२ वाणमं० जहा असुरकुमाराणं २२-२२२० विजयस्स गं० उभओ० दो दो २१-१३२ २७-१७८९ ० केवइ० दिई २२-१००सू० उबरिपागारा २१-१३४स्० २७- १६२३ वायगवरचं साओ २२- ३ विजयं च वैजयंत २७-१६२६ वायामितेणवि जस्थ २७-७८० विजया णं राय० चत्ता० २१-१३७० २७-१६२५ | वारुणवरण्णं समुदं खीर० २१-१८६० बिजया बेजयंति २७- १६३३ वासस्यं परमाई २७-५२३ बेजयंती वासस्याउयमेयं २७-४६१ विजया य विजयंता वासस्याउस्सेए २५-९६ २५-६४ 21 २४-२२ २७-३५७ २१-८९ २७-८७५ २७-३४७ २७-५२० बिजये णं असतंच कड्याणे २१-१३३० २७-१०८७ विजा जहा पिसायं बिजाणं धारणं कुजा बिजावि भक्तिमन्तस्स २५-२६३० विणओवयार माणस वासारतंमि तवो २७-६४९ विणए वैयावथे वाहिजरमरणमयरो २७-२९१ विणओवयार ओवहम्मियार विग्गहगए य सिद्धे २७-१७७८ विणयपणहि सिडिल विजड पंचगुलिओ २७-८९७ विमले वितत विवत्थे | विजयस्त० उभओ० दो दो २१-१३६० विरसं आरसमाणो वसुहर गुणहर जयहर वंसाणं जिणवंसो से बेच्छू कणए वारंगणि सलरथुडई वाकुमारिदाणं वासुवर्णदार्ण २७-९७८ वाण० सोहम्मीसाणा य जहा असुर० २२- १४३० वाणमंतर० कमहिंतो उ० २२-१३५० वाणमंतरा ओगाहणडुबाए २२-११०सू० वाणमंतरा० जहा असुरकु० २२ २१७० २५-२१ २७-५९२ २२- ३६ २२-२१ २७-९५२ वाससहस्सं पलिओनं वाससहस्सा संखा वासा० मासं कति णक्खता ~89~ " २७-१३१८ २७-१३६३ २७-९३९ २७-९३३ २४-९५ २७-१७९८ सूर्य० (२३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ।। ६२ ।। Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [व-कार + स-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए रा०२० जी०२२ प्रज्ञा०२२ दीप क्रमांक के लिए देखीए विलम्गाश्रो निमित्ताओ विविहं तु भावसल्लं विविहाहि व पटिमाहिय विलए अवियाग्वंता विसमं पवालिणोपरि। विसमें पवालिणोपरि० । विसमा अजतुलाओ विसमेसु य वाले विसयजलं मोहकलं विसया विक्खो निवडा विस्सरसरं रसंतो विस्ससणिज्जो माया विहिणा जो उ चोएइ विहिसंटाणपमागे विंटलिआणि पउंजंति वीरवरस्स भगवतो वीरिएणं तु जीवस्स २७-९२७ | वीसंभनिभरपि हु २७-३९३ | वेरुलियमणिकवाडा २७-१३३२ बुच्छे बलावल विहिं २७-८४७ | वेरुलिउध्व मणी २७-१५१६ | बुच्छं बलावल हिं २७-५८७ | वोलटुनिसटुंगो २७-२६७२ २७-४२४ | बुहाणं तरुणाणं रति २७-८२५ सइंदिए पं० सइदिपत्ति २२-२३४सू० २५-८७ | विविहहि मंगहि य २७-२८१६ | सउणि चउप्पय नार्ग २७-८८८ | बेडश्चिय केम० सरिरोगा०२२-२७३० स एव भव्वसत्तार्ण २७-७३५ २७-४२९ | उम्बियसरीरेणं० कतिविधे २२-२७१०सकथं वकलं ठाणं २६-३॥ २७-५०० | बेबियसरीरे ,किं संठिते? २२-२७२सू० | सकसाई पं० सकसावित्ति २२-२३९सू० • २७-४०५ | वेणुजलइक्ववासिय २२-१२ | सकाइए पं० सकाइएति २२-२३५स० २७-४२२ | बेमाणिएसुकप्पो० सकस्स० कति परिसाओ२१-२०९सू० वेमाणिया पं० कओहिंतो २२-२३७सू०सकीसाणा पढमं २ १-८६ २७-३७४ | बेमाणिक देवाणं केवळ ठिई २२-२०२सू०सग्गेमु य नरगेसु य २७-१८२७ २७-७३४ बेयणकसायमरणे २२-२२८ सच्चित्ताहारट्ठी २२-२१८ २२-२१४ | बेयण वेयावच्चे २७-७६८ | सच्छंदयारिं दुस्सील २७-७१९ २७-८२८ २७-१२७१ सजोगी पं० सजोगित्ति . २२-२३७ | वेयणासु उइबासु २७-२५५ | सज्झायकरणं कुज्जा २७-८८५ २७-७१५ | बेयरपि.खारकलिमल .. २७-१६३० । सज्झाय (काय)मुकजोगा २७-८३५ ثاقبة 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ॥ ३॥ ~69~ Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [स-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक यहां औ०१९ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ६४ ॥ देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए सणपाणकासमुद्दग० २२-२४ | सस्थग्गहणं विसभकखणं २७-१०८ समयखेत्ते णं भंते! सूर्य०२३ '२१-१७८सू० सण्णी पं० पुच्छा २२-२५१सू० | सत्येण सुतिक्खेणवि २५-७ | समय नक्वत्ता जोगं २५-८५16 जं० २५ सत्तगदुगदुगपंचग २५-१०३ | सद्दहगा पत्तियगा २७-१२५१ समयं वक्ताणं . २२-२६० सस? जाइकुलकोडि २२-११२ | सई रुवे गंधे रसे २७-१२८२ २२-२९ सत्तण्डं थोवाणं २७-२१५८ , '.. 'सब्बेसु कसापसु २७-१४०९ समासीस परिच्छिणं प्रकी०२७ सत्तपाणूई से थोवे २५-५ सदाधितिउट्ठाणुच्छाह २४-९९ समाहारा सुप्पण्णा २५-७३ सत्त पाणणि से थोवे २७-५०६ | सासु आसबेसु अ २७-१४३१ समिईसु पंचसमिभो २७-१४३० सत्त भए अट्ठ मंए । २७-१२ | सन्निहिए सामाणे समुइण्णवेयणो पुण २७-१५३८ सत्तभयविप्पमुक्को २७-१४९८ | सफाए सज्झाए २७-२५४ २७-२०७ | सभाए, णं सुधम्माए । २१-१४०सू० | समुदणेसु य सुविहियः २७-१७१९ सत्तमी य पवंचा उ सभाए णं सुहम्पाए २०-३१सू० |सत्तरिसयं जिणाण च । २७-४४७ समग णक्वत्ता जोयं २ ४-२५ सम्मग्गमग्गसंपट्टियाणं सत्तावीसं जोयणसयाई २७-११६९ | समणिद्धयाए. बंधो २२--१९९. सम्मत्तनाणदंसणवर २७-६०६ सत्ताहं कललं होइ २७-४६४ | समणेण सावपण य २७-१८०६ सम्मत्तस्साहिगमे २२-२२५ सत्तेव य कोडिसया । २५-८२ | समणोत्ति अहं पढ़मं २७-१२५ सम्मत्तं समिओ २७-१५०१ , कोडीमो २७-११४५ | समणोमित्ति य, २७-२४१ | सम्मइसणचत्तं २७-१३२५ सत्तेव सहस्साई २७-११३५ | समणोऽहं ति य , २७-२५३२ । सम्महंसणरत्ता ! २७-१०४ सा॥६४॥ ای را 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~70~ Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ स-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए रा०२० जी०२१ प्रज्ञा०२२ दीप क्रमांक के लिए देखीए APERRORREZRRECENT सम्महिड्डी णं० सम्म २२-२४१सू० | सवेदए णं सबेदएत्ति २२-२३८सू० सब्वस्स समणसंघस्स । सम्मं मे सव्वभूएसु २७-२७३ | सब्बग्गंथविमुक्को २७-४०९ सव्यं च असणपाणं सम्बआिण महिंसं . सव्वं पाणारंभ सबट्टविमाणस्स उ २७-१२०१ , सहिऊण तो सचट्ठाणाई असासयाई २७-१८०९ सवणस्स य मझगओ सम्वत्थ इस्विवमि २७-७७६ सयभिसया भरणीयो सव्वत्थेसु बिमुत्तो २७-७७७ सब्बंपि असणपाणं | सम्वदुक्खप्पहीणाणं २७-७९ | सव्वं चाहारविहिं २५-११२ सब्बा आभरणविही सय भिसया वच्चंति २७-२०३४ सव्यऽप्पगई चंदा २७-१०२३ सन्याणि सबलोए. सयरी भवंति अणवि०२७-७४७ सब्बभंतराओ णं चंद० २५-१४४सू० सब्यावि अ अज्जाओ सरीरप्पभवा भासा २२-१९३ सब्वम्भंतराओ णं सूर० २५-१२९सू० सवाहिवि लद्धीहिं सलेसा f० मेरइया सब्जे २२-२१३सू० सब्बभंतरे पं० चंदमंडले २५-१४८सू० सबुत्तमतित्थाणं सलेसेणं जीवे किं आहा० २२--३११सू० सबम्भिंतरऽभीई मूलो २७.-१०२५ सब्बुत्तमलाभाणं सलेसेतिं २२--२४०सू० सव्वसुहप्पभवाओ २७-१७७७ | सब्बे अवराहपए सलं उहरिभ(उ)मणो २७-२९६ | सव्वस्स जीवरासिस्स २७-६९२ सवणेण धणिट्ठाई २७-८६८ । , समणसंघस्स २७-६९१ । सब्वे उवसग्गपरीसहे य २७-१५७१ सूर्य०१२३ २७-१४६९/ ०/२४ २७-७५० २६ नि. २६ २७--१६६प्रकी०२७ २७-१४६८ २७-१६७ २७-७७ २५-३१ २७-२८३० २७-१७७६ २७-२७७४ २७-६०० २७-५९७ २७-३२४ २७-६७८ २७-१६४०1 ॥३५॥ SEXSEXEXEXEY 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~71~ Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [स-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक औ०१९ २२-२०२ सूर्य०/२३ २० जी. देखीए प्रज्ञा०२२ नि० २६ दीप क्रमांक के लिए देखीए VERSEASE SAXY सव्वे रसे पजीए सब्वेवि य संबंधा सब्बे सब्बहाए | सब्वेसु य दब्बेसु य सब्योवि किसलो खलु ससिसमगपुण्णमासि. ससिसमगपुन्निमासि ससिवी दुगोत्तफुसिया सहसकारमणाभोगओ संकुइअवलीचम्मो संखंक० अज्जुणसुवण्णय संखंकसनिकासा २७-१४१० संगहो(हु)बग्गहविहिणा | संगं परिजाणामि २७-१७७३ २७-१४५० संगो महाभयं जं २२-९८ | संघयणधिईजुत्तो २५-८६ | संघयणं संठाणं २४-२६ | संघो सईदयाणं २२-३४ | संजपणं० संजतेति २७-१३५१ संजयथसंजयमीसगा २७-४८६ | संजोगमूला जीवेणं २७-२२०६ २७-११९६ | संज्झागयंमि कलहो २७-११९३ संज्झागयं रविगयं | राहुगयं २७-१९६५ संडिय मंतिय होत्तिय २७-७४९ | संठाणं अद्द पुस्लो २७-४०७ | संठाणं च पमाणं २७-७२५ संठाणं वाहल्लं २७-१५०२ | संतोवसंतधिमं २७-२१० संथारयपब्बजं पब्बजद २७-४०८ संनिहिया सामाणा २७-१७६० | संपत्ते बलयिरिए २७-४९७ | संबंधिबंधवत्ते २७-७०५ | , बंधबेसु २२-२४८० | संभरसु सुअण! जंतं २२-२२२ | संलेहणा य दुविहा | संवच्छरस्स संदरि! २७-९० | संविग्गा भीयपरिसा य २७-८६४ | संसारचकवालंमि २७-८६९ |संसारचकवाले २७-८६६ २२-३७ | संसारबंधणाणि य २५-१०१ | संसारमूलवीयं २५-१२२ । संसाररंगमझे २७-२४२८ २ ४ २७-३०८ २२-२५३| २७-१८७८प्रकी०२७ २७-१८३१ २७-२६११ २७-४३३ २७-१४११ 'सवृत्तिक आगम २७-८३७ २७-११२ २७-१४८२ २७-१८५ २७-१२६५ २७-३३४ २७-२६२ | संखिजजोयणा खलु संखेषेण मए सोम्मा संगनिमित्तं मारह सुत्ताणि PRA||६६॥ ~72~ Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ६७ ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ स कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) संसाररंगम संसारसमावण्णे य साएय कोसला गयपुरं साकिर दुष्पडिपूरा साकेअपुरा हिव सागर गिरिमेरागं सा णं पउमचरवेतिया साय पगलंत लोहिय २७-१५४५ २७-१२५२ २२-११४ २७-५५० साहूण साहुचरि २७-३९७ साहूणं नोवकर्य २५-२४ सागरतरं णत्थि मई २७-१६०१ सागारोवओगुवउत्तेगं० पु० २२ २४५० २१-१११० सायमसायं सच्चे साय सलिलु लोहिय साबजजोगविरई साथी जियसत्त् सावयभयाभिभूओ साहा गहनक्खत्ता साहारणमाहारो साहुत्तसुट्टिया जं साहुस्स नत्थि लोए साहू कयसंदेहो २७-१६५२ २२-२२७ साहू य मंगलं मज्झ सिअकमलकलस० सिद्धत्ति य बुद्धत्तिय 31 सिद्धसरणेण नव० सिद्धस्स सुहो रासी 35 35 31 " २७-१६४८ 33 31 "3 २७-१ २७-१७३५ २७-१७९२ सिद्धा य मंगलं मज्झ २७-१०२६ सिद्धे अ विज्जुणामे २२-१०१ उवसंपपणो 31 99 15 ~73~ सिद्धे उपसंपन्नो २७-४० २७७७९ २७-१५५९ २७-५७ रुपी रम्मग २७-१३११ २७-२५२ सोमणसे विभ २७-६०१ सिरिहिरिधितिकित्तीओ २७-१२२८ सिंगारतरंगाए १९-२८ सिंघाडगस्स गुच्छा २२- १७८ सिं पित्ते मुत्ते २७-३० सीआदेश विहारं १९-२३ सीडहपंथगमणे २२-१७३ सीता य दव्वसरीर २७-१२२३ सीयायवज्झडियंगा २७- २४९ सीलाई सलिहारे य २५- ६० २७-२५३ सीलतवदाणभावण सीलेणवि मरियध्वं 33 "1 "1 33 23 कच्छे खंडग० णीले पुग्वविदेहे य मालवते २७-१५२७ २५-५५ २५-६८ २५-५४ २५-६९ २५-५९ २६-४॥ २७-४०४ २२-५५ २७-५५५ २७-७३२ २७-५२४ २२-२२६ २७-१६८१ १९-७ २७-८०९ २७-१२८ सूर्य० | २३ चं०/२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ६७ ॥ Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ।। ६८ ।। उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ स कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) सीवणं तुम्मणं भरणं सीसघडी निगाल सीसोऽवि बेरिओ सीहे कुटुंबयारस्स अधम्मसंघसाडु सुअणाणसागराओ सुकम्मि सोणियम्मि य 33 सुगहिसावधा सुगिहिय जिणवयणामय ० सुचिरमवि संकलि सुज्झर दुकरकारी " 15 55 सुबि जिआसु सुवि मग्गिजतो 33 सुण जह पच्छिमकाले सुण वागरणावलिश्रं २७-८२२ सुणह गणिए दस दस सुणह जह जिणवयणा० सुयसारनिहसं २७-५७३ सुदंसणा अमोहा य २७-५४५ २७-७२७ 37 २७-५२ २७-९४० २७-१९सू० २७-५३२ 35 37 15 35 सुदिद्वेण निमित्तेणं सुमि अ सोहण गे 31 " २७-१६८६ सुद्ध सुसाडुमग्गं २७-१६८७ सुद्धे सम्मत्ते अविरओऽवि २७-१२८८ सुबहुस्सुयावि संता २७-२२८ सुबहुपि भावसलं २७-१५२० 33 २७-३९२ सुभद्दा य बिसाला य २७-४१९ २७- १२४६ २७-९४१ " सुर्यादिट्टिबायकहियं सुयरयणनिहाणं 39 " " २७-४४९ सुयसागरा विषेऊण २७- १८९५ सुरगणइहिसमग्गा २७-१२३७ सुरगणसुहं समतं. २२-५२ ! २१-२७ सुविहिअगुणवित्थारं २७-१२०९ सुविहिअनिज्झाए २७-९१६ सुविहिय ! अईयकाले २५- (५०९ टी०) २७-७४१ २७-३४२ २७- १२९० २७- १४६० २७-१५८ ~74~ २१-२८ २५-५३ २७-१७५५ २२-२ 33 सुविहिय! इमं पणं सुवंतिय अणगारा सुसीमा कुंडला चेव सुहपरिणामो निच्चं सुमस्स णं भंते ! २२-४५० २७-१२३० २२-१७२ २७-१२२१ २७-६०७ २७-३३० २७-१६१९ २७-६८४ २७-१२५६ २७-१७८२ 15 २५-५८ २७-५९ " सुपि भावस अंतरं २१-२३३० टिती० २१-२३१स्० २७-१३३३ सुडुमे णं भंते! सुमेति २१-२३२० , सुडुमित्ति० पुढविकालो २२- २५०सू० सूर्य० | २३ चं० (२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ।। ६८ ।। Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ।। ६९ ।। उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ स कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) सुमे० सुमेति कालतो सूई जहा ससुता सूणारंभपवसं सूरमंडलस्स गं० सूर० सूरमंडले गं० केवइयं सूरस्स णं० कर अग्ग सूरस्स य सूरस्स य 55 35 २५-१३१स्० २१-२०५सू० २७-१०८३ २१--७१ २४-८४ २४-८५ २७-१०८४ २१-८० 23 23 सूरिया केवइयं कालं ठिती २०-४६३० सूरियाभस्स० सूरियाभाति ! समणे २०-८२० २०-१८० २०-३०सू० २०-४०सू० 53 33 सूरतरिया चंदा 21 "1 35 २२-२३६० २७-३६१ २७-८२१ २५-१३०सु० सूरिया मे० असयं चक्क० सूरिया मे० देवेणं सा दिव्वा से इसे गामागर जाव सेओ राया धारिणी देवी से किं तं अम्मभूमग० अजीवपन्नबणा अजीवाभिगमे 33 31 3125 33 33 33 55 3155 35 11 35 15 33 33 33 33 33 55 35 33 55 15 33 15 33 23 31 33 " 25 33 33 25 11 23 33 11 37 अनंतर सिद्ध० अभिंतर तवे अरुविअजीव १९४१ सू० से किं तं ओराला तसा पाणा २१-२८० खरवारपुढवि० २२- १५० २२-३६० २१-४१सू० २१- ३८० २१-१०८० 33 चरिदियसंसार० २२ २९ सू० चरिंदिया०अंधिया२१-३१स्० जलयरपंचिंदिय० २२- ३३० जलयरा २१- ३६० २१- ३९० २२-५० २१-६सू० २१-२० २२- ७० १९ - २०सू० २२- ३० धम्मस्थि० २१-४० 53 असंसार समा २२-६० असंसार समावणं० २९-७० अंतरदीवगा आउक्काश्या ~75~ २०-४० २१ - ११४सू० २२-२० २१-३० २१-१०९० २१-१६सू० इत्थीओ उवमिप , दुविहा० पं० २२- १६० २१-४६० २५-१९सू० एगें दियसंसार० २२- १०स् 4 35 31 31 33 35 37 59 13 " """" 33 35 23 """" 11 19 " 35 2 35 35 35 35 33 33 31 33 35 39 33 13 21 35 39 39 355 35 33 33 35 35 3 खयरपं० ति० जयरा गग्भवतिय० जीवपणा जीवाभिगमे जीवाजीचाभिगमे पुंसका तसा तिरिक्ख० २१-५२० २१-२३० २१- ९७० सूर्य० | २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ | प्रकी०२७ ।। ६९ ।। Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ७० ॥ उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ स कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) 35 35 39 से किं तं ते दियसंसार० २२- २८० ते दिया० ओवइया २१-३०सू० लेऊकाइया २१-२४स्० २२- १७० २२- ३४सू० २१- ३७० 35 35 35 [35] [3] [35] 37 55 95 " " " थलयरसमु० थलयरा [39] [9] [39] " " " थावरा देवा 25 35 33 [5] [3] [5] 33 33 33 1 2 3 35 35 31 21 22 23 35 35 37 33 15 35 33 थलयरपंचिं० 35 53 59 नेरइया " 33 पत्तेयसरीर० " पन्नवणा २१-४०सू० २१-१०सू० २२- ३८० २१-४३० २१-११५० २१- ३३० २१-६७सू० २२- ३१स्० २२-२२० २१-२१० २२- १सू० भवणवासी 33 33 35 २१-११६सू० 35 35 39 35 31 39 से किं तं परंपरसिद्धअसंसा० २२-८० से किं तं येई० पुलाकिमिया २२-२७० परिसप्पथल २२- ३५सू० पंचेदयतिरिक्त० २१-३४० पंचिदिय० जलयर ०२२-२२० पदिय संसार २२ - ३०सू० पंचेंदिया पुढविकाइया २१- ३२० ० सुम० 35 35 35 33 33 29 35 39 39 253 25 35 35 35 35 35 35 35 35 35 59 55 99 35 35 35 [15] 1.25 पुरिसा २१-११ सू० २२-११स्० २१-५३सू० वादरपुढवि० २२-१३सू० वादरते उकाइया २१-२६० बादरवणस्पति २२-२१स्० वायरआउक्काइया २१-१७० वायरढ वि० २१-१४स्० २१ - २०० १९-१९० २१- २९० 35 35 39 1 वायरवणस्सइ० 35 35 39 25 25 25 बाहिरए बेदिया ~76~ 35 53 35 31 33 35 35 35 35 25 11 11 " 33 33 35 1357 " " " वणस्सइकाइया 355 35 55 5 मनुस्सा २२- ३७० .. संमुच्छ्रिम० २१-४२सू० २१-१०६० २२-२३० बाउकाइया चाउ० सुडुम० 233 33 255 25 २१ - २७सू० २२-१४स्० " " " सण्हवायर० सहवा०सत्तविहा २१-१५० सव्यजीवाभिगमे २१-२४५सू० संमुच्छिम० ति० २१-३५० संमुच्छिममगुस्सा २१-१०७० 21 22 23 35 रुक्खा रुविशजी० २२-४० रुविअजीवा० खंघा २१-५० २२-१९० २१-१८० २२-१८० 33 35 35 25 सूर्य० (२३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ७० ॥ Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [स-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए २७-४२० २७-१६६३ २७-१८८३ २७-६४३ २२-१९५सू० २४-९३ ॥ ७१ दीप क्रमांक के लिए देखीए PLEAKERANCENEVERAL तं संसारसणवणग०२१-८० से एगाए पउमवरवेइया २०-३४सू० | सोपण पबसिपिा संसारसमावण २२-१सू० , बारामईए २५-४सू० सोएहि अगयाओ साहारणसरीर० २-२२० । |, तहासजोगी सि० २२-३५२सू० सोगजरामरणाई साहारण वाथ्व०२२-२४सू० ., तहा समुग्घातगते २२-३५१सू० सो गंगमुत्तरंतो सुहुमतेउकाइया २१-२५सू० , पुण्ण० वणसंडे णं १९-३सू० सोतिंदियस्स णं सुहुमपुढविकाइया २१-१२सू० ., णं भंते ! तहासजोगी १९-४३० सोत्थि य सोवित्थि य _ " २२-१२सू० से पूर्ण भंते ! मण्णामीति २२-२६१सू० सो देवकम्मयिहिणा सुहुमवणस्सइका०२२-२०सू० सेयरियादियणयरी सो नत्थि इहोगासे २२-११८ """ " २१-१९सू० सेकेणट्रेणं उत्तरकुरार सो नाम अणसणतवो सेयंकर खेमकर २५-१२सू० जंबुद्दीवेर सो पवयणकुलगण सेलम्मि चित्तकूडे २१-१४८सू० २७-१७०१ सो भरियमहुरजलहर " " " सेवं भंते !० णमो सुयदेवयाए. २०-८५सू० .. २५-१८०सू० सोमग्गहविलग्गेसु , भारहे बाले सेसावि पंडुपुत्ता २५-४२० , बिजए ण २१-१३५१० सो अन्नया णिदाहो सोमे सहिए. आसणे व २७-१७५१ सोमे सहिते अस्सामणे ,,, वेअढे पव्वए सोअसरी दुरिअदरी . २५-१५१० २७-३९८ सो य पहो उबलडो ,,, हेमवए वासे २५-७९स. सोईदिए f० कतिपदेसो०२२-१९२० सोलस चेव सहस्सा से जहाणामए सिया २२-३२६० सोऊण निसासमए २७-१६७० से णयए, णोमालिय २२-२६ । मुहयणरया २७-१६२८ । गोगायंका २७-१८२९ २७-१३६९ २४-१०० २७-१२४५ २७-९१२ २५-१२९ २४-९० २७-१८७० २७-२०२० 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~77~ Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ स-कार + ह-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए औ०१९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ७२॥ दीप क्रमांक के लिए देखीए सोलसहि सहस्सेहिं २७-११५४ सोहम्मीसाणेसु देवा | सो वानरजूहबई २७-१७४५ सोही उज्जुयभूयस्स सो सीहवंदमुणिवर २७-१७४८ | सो होइ अभिगमरूई सोहम्मी० कायपवियारा २७-११२८ | हट्ठस्स अणवगल्लस्स देवा केरिसया २१-२१६स. , देवा णं सरीरगा २१-२१५सू० हयगम्भवासजम्मण विमाणपुढवी २१-२१०सू० हयवद गयवह णरबह हरियाले हिंगुलए विमाणा किंसं० २१-२१३सू० हंतूण मोहजालं केवइ० उ०२१-२१२सू० , केबति० २१-२१४सू० __, रागदोषं , सब्बपाणा २१-२२२सू० हंदि अणिच्चा सद्दा सोहम्मीसाणदेवा ओहिणा २१-२१७सू० | हंदि सु० अभिंतर० सोहम्मीसाण पढमें २७-११६२ |, सुर्णतु भवंतो सुरा २७-११२३ | हा! असुइसमुप्पना सोहम्मीसाणा देवा २१-२१९सू० | हा जइ मोहियमाणा सोहम्मीसाणेसु णं २१-२१८सू० हायंति जस्स जोगा. २१-२२०सू० | हालिद्दमेययण्णा २७-११८९ सूर्य०२३ २७-१५६ हासं खेड़ा कंदपं २७-७९१ / ०/२४ २२-१२७ | हासेण व कोहेण व २७-३७३ जं. २५ २७-५०५ | हासे हासरईविय, २७-१०००नि० २६ २५-४ हिडिल्ला उधरिल्ला २७-१११५ प्रकी.२७ २७-१८४२ | हिडिं ससिपरिवारो २५-१२१ २५-२२ | हिमचुलसुरुप्पत्ती २७-१७५८ २२-१९ हिंसाइदोससुना २७-३८ २७-१९९ | हीण मिन्नसरो दीणो २७-१४९१ | हुजा इमंमि समए २७-७८ हुंति अजुत्तस्स विणास २७-१८५२ २७-१३९२.५ गुणकारगाह २७-१८५७ २५-१३ | हेट्टिमगेबिजाणं २७-११११ होउ वजडी सिहंडी २७-३७५ होरा बलिया दिवसा २७-८४९ उपांगप्रकीर्णकानां सूत्रगाथाऽका२७-६१८ । रादिक्रमः ॥७२॥ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि मुनिश्री दीपरत्नसागरेण पुन: संपादित: “उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि” परिसमाप्ता: ~78~ Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नम: पूज्य आगमोध्धारक आचार्य श्री सागरानंदसरीश्वरेण संशोधित: संपादितश्च उपांगप्रकीर्णकसूत्रायकारादि: (किंचित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह)। मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: “उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः" नाम्ना परिसमाप्त: Remember it's a Net Publications of 'jain_e_library's' ~79~