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आगम
संबंधी
उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[स-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
साहित्य
प्रत
सूत्रांक
यहां
औ०१९ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ६४ ॥
देखीए
दीप क्रमांक के लिए देखीए
सणपाणकासमुद्दग० २२-२४ | सस्थग्गहणं विसभकखणं २७-१०८ समयखेत्ते णं भंते!
सूर्य०२३
'२१-१७८सू० सण्णी पं० पुच्छा २२-२५१सू० | सत्येण सुतिक्खेणवि २५-७ | समय नक्वत्ता जोगं २५-८५16
जं० २५ सत्तगदुगदुगपंचग २५-१०३ | सद्दहगा पत्तियगा २७-१२५१ समयं वक्ताणं . २२-२६० सस? जाइकुलकोडि २२-११२ | सई रुवे गंधे रसे २७-१२८२
२२-२९ सत्तण्डं थोवाणं २७-२१५८ , '.. 'सब्बेसु कसापसु २७-१४०९ समासीस परिच्छिणं
प्रकी०२७ सत्तपाणूई से थोवे
२५-५ सदाधितिउट्ठाणुच्छाह २४-९९ समाहारा सुप्पण्णा २५-७३ सत्त पाणणि से थोवे २७-५०६ | सासु आसबेसु अ २७-१४३१ समिईसु पंचसमिभो २७-१४३० सत्त भए अट्ठ मंए । २७-१२ | सन्निहिए सामाणे
समुइण्णवेयणो पुण २७-१५३८ सत्तभयविप्पमुक्को २७-१४९८ | सफाए सज्झाए
२७-२५४ २७-२०७ | सभाए, णं सुधम्माए । २१-१४०सू० | समुदणेसु य सुविहियः २७-१७१९ सत्तमी य पवंचा उ
सभाए णं सुहम्पाए २०-३१सू० |सत्तरिसयं जिणाण च । २७-४४७ समग णक्वत्ता जोयं २ ४-२५ सम्मग्गमग्गसंपट्टियाणं सत्तावीसं जोयणसयाई २७-११६९ | समणिद्धयाए. बंधो २२--१९९. सम्मत्तनाणदंसणवर २७-६०६ सत्ताहं कललं होइ २७-४६४ | समणेण सावपण य २७-१८०६ सम्मत्तस्साहिगमे
२२-२२५ सत्तेव य कोडिसया । २५-८२ | समणोत्ति अहं पढ़मं २७-१२५ सम्मत्तं समिओ २७-१५०१ , कोडीमो २७-११४५ | समणोमित्ति य,
२७-२४१ | सम्मइसणचत्तं
२७-१३२५ सत्तेव सहस्साई २७-११३५ | समणोऽहं ति य , २७-२५३२ । सम्महंसणरत्ता ! २७-१०४ सा॥६४॥
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'सवृत्तिक आगम
सुत्ताणि
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