Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
आगम
संबंधी
उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[ र-कार + ल-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
साहित्य
प्रत सूत्रांक
औ०१९
रा० २०
जी
२७-५२१ | रायसिरिमुवकसित्ता २७-२७४९ | राहु केउबिलग्गेसु २७-१८४७ | रिक्खग्गहतारग्गा २७-१२८६
२७-१४ २७-९१३ २७-०८०
२१-७७
देखीए
प्रज्ञा०२२ ॥६०॥
AAS
दीप
क्रमांक के लिए देखीए
LARAKESARRRRRRRRRACETAX
रमणीण दंसणं चेष २७-३९६ | राइदिएण तीसं तु रयण के० विरहिया उव्व०२२-१२वसू० | रागहोसनियत्तो रयण नेर० के० उम्बाएणं २२-१२३सू० | रागहोसपमत्तो रयणप्पभाइकुडनि० २७-९४२ | रागद्दोसामिया रयण पु० नेर० ० चक्क २२-२६५सू० | रागहोसारीणं हंता __"my, रयण०२२-२६५सू० | रागबंधं पओसं रयणाई सबरयणे २५-३२ | रागस्स य दोसस्स य रयणिकर णक्खत्ताणं २४-६८ रागं बंधं पोसं रयणिकरदिणकराणं
२४-६७ रागेण गंगदत्तो रयणियर० चारविसेसेण २७-२०६७ न जाणंति य रयणियरदिणयराणं
, व दोसेण व २७-२०६६
२१-६३ (र)विभोमकोण (ड)दिवसे २७-८९३ रबिससिगहणक्खत्ता २४-५८ रविससिगहनक्खत्ता
रायगिह मगह चंपा २७-१०५६ | रायगिहनिग्गया खलु
२७-१३८ | रुक्खा गुच्छा गुम्मा २२-१४
२१-३ २७-८५
| रुद्दे सेए मित्त २७-४१२ | रुद्दो उ मुहुत्ताणं २७-५३६ | रुरु कुंडरिया जीरु २७-२४७१ | रूपिअ० जाव पजवा कइ०२२-११९सू० २७-१७ | रोगायंकेसु पुणो
२७-१६४३ २७-१४४९ | रोहे सेते मित्ते २७-१६९ रोसेणं पडिनिबसेणं २७-१३४८ रोहीडगंमि नयरे
२७-६५४ २२-११३ | लज्जाइ गारवेण
२७--१५१९ २७-२७२३ ।लज.गारवेणय २७-१३३८
'सवृत्तिक आगम
सुत्ताणि
६०॥
~66~

Page Navigation
1 ... 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79