Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 69
________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [व-कार + स-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए रा०२० जी०२२ प्रज्ञा०२२ दीप क्रमांक के लिए देखीए विलम्गाश्रो निमित्ताओ विविहं तु भावसल्लं विविहाहि व पटिमाहिय विलए अवियाग्वंता विसमं पवालिणोपरि। विसमें पवालिणोपरि० । विसमा अजतुलाओ विसमेसु य वाले विसयजलं मोहकलं विसया विक्खो निवडा विस्सरसरं रसंतो विस्ससणिज्जो माया विहिणा जो उ चोएइ विहिसंटाणपमागे विंटलिआणि पउंजंति वीरवरस्स भगवतो वीरिएणं तु जीवस्स २७-९२७ | वीसंभनिभरपि हु २७-३९३ | वेरुलियमणिकवाडा २७-१३३२ बुच्छे बलावल विहिं २७-८४७ | वेरुलिउध्व मणी २७-१५१६ | बुच्छं बलावल हिं २७-५८७ | वोलटुनिसटुंगो २७-२६७२ २७-४२४ | बुहाणं तरुणाणं रति २७-८२५ सइंदिए पं० सइदिपत्ति २२-२३४सू० २५-८७ | विविहहि मंगहि य २७-२८१६ | सउणि चउप्पय नार्ग २७-८८८ | बेडश्चिय केम० सरिरोगा०२२-२७३० स एव भव्वसत्तार्ण २७-७३५ २७-४२९ | उम्बियसरीरेणं० कतिविधे २२-२७१०सकथं वकलं ठाणं २६-३॥ २७-५०० | बेबियसरीरे ,किं संठिते? २२-२७२सू० | सकसाई पं० सकसावित्ति २२-२३९सू० • २७-४०५ | वेणुजलइक्ववासिय २२-१२ | सकाइए पं० सकाइएति २२-२३५स० २७-४२२ | बेमाणिएसुकप्पो० सकस्स० कति परिसाओ२१-२०९सू० वेमाणिया पं० कओहिंतो २२-२३७सू०सकीसाणा पढमं २ १-८६ २७-३७४ | बेमाणिक देवाणं केवळ ठिई २२-२०२सू०सग्गेमु य नरगेसु य २७-१८२७ २७-७३४ बेयणकसायमरणे २२-२२८ सच्चित्ताहारट्ठी २२-२१८ २२-२१४ | बेयण वेयावच्चे २७-७६८ | सच्छंदयारिं दुस्सील २७-७१९ २७-८२८ २७-१२७१ सजोगी पं० सजोगित्ति . २२-२३७ | वेयणासु उइबासु २७-२५५ | सज्झायकरणं कुज्जा २७-८८५ २७-७१५ | बेयरपि.खारकलिमल .. २७-१६३० । सज्झाय (काय)मुकजोगा २७-८३५ ثاقبة 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ॥ ३॥ ~69~

Loading...

Page Navigation
1 ... 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79