Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 61
________________ आगम संबंधी उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [प-कार + फ़-कार + ब-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) साहित्य प्रत सूत्रांक देखीए जं० २५ नि० २६ मकी०२७ दीप क्रमांक के लिए देखीए औ०१९/ पुस्सो हत्थो अभिई य रा० २० पूश्यकाए य इहं जी०२१ पूइयनिवकरजे प्रज्ञा०२२ पूइयसीसकवालं ॥६५॥ पूश्यसुविहियदेहो पूसफलं कालिंग पूसफली कालिंगी ॐापोराणग च कम्म पोराणयं, पोराणिअपच्छप्पनिआ० फासिंदिपण दुट्टो फासेहिंति चरितं | फुसइ अगंते सिद्धे २७-८६७ बत्तीसट्ठावीसा २७-५५३ बत्तीसमंडिआहिं २२-१७ | बत्तीसं चंदसतं २७-५४५ , चंदसयं २७-१७०८ २२-९४ , देविदत्ति २२-३० , देविंदा जस्स २७-२६३ | बम्हा विण्ड अ वसू २७-१५४६ " " " " २७-७०० | बवं बालवं च तह बजे उबट्ठावणं कुजा २७-१२८० बबे य बालवे येव २७-१२१८ बलवीरियरूवजोवण २२-१६८ | बलि भूयाणंदे वेणुदालि बहिता तु माणुसनगस्स २७-८२ | बहिया उ २२-१५५ । बहियाओ , २५-७७|बहुजणे णं भंते ! अण्ण० १९-४०० २७-२६१ | बहुदुक्खपीलिआणं २७-१८४१ २५-५३ | बहुपलियसागराई २७-२६७४ २७-२०५२ | बहुसो अणुसूयाई २७-१८३५ २१-४९ | बहुभयकरदोसाणं २७-१४३८ २७-९३५ | बहुसो उच्छोलती २७-८३१ २७-९३४ | बहुसोवि मए रुण्णं २७-१७१ २५-१३० | बंधणपरिणामेणं० कतिविघे २२-१८५सू० २५-२७४ | बंधपओसं हरिसं २७-१४४८ २७-८८७ | बंधं मुक्खं गइरागवं २७-१३७७ २७-८९१ |बंमे लंतयकप्पे बंमे बलए बाउम्मि २७-१८१२ बातालीसं चंदा २४-४१ २२-१४५ वायरस्स ० कालं ठिती २१-२३५सू० २४-८२ | | वायालीसं चंदा २७-१०४३ २७-२०८१ २१-३७ २१-८३ | बायरे णं भंते ! बायरेत्ति २१-२३६सू० ARREXTERELEASEAR 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि बझं अभितरं पचीसअट्ठबीसा ॥५५॥ ~61~

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