Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम संबंधी साहित्य
उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[प-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत सूत्रांक
रा०
देखीए
जी०२१
ELEMEWS EPSEE
दीप क्रमांक के लिए देखीए
आ०१९पंच सयापरिवुडया . २७-१७०३ पाडलिपुत्तमि पुरे २७-६५६ | पासित्तु ताई कोई २७-३१३वार
| पंचेव इगुणपनं २५ (पृ० ५०८टी०) पाडलिपुत्तमि० विस्सु० २७-६५९ | पिउभगअजमसबिआ २२-२३१ पंचेव धणुसयाई २७-१०२७ | पाडिवए पडिवत्ती २७-८५० पिच्छसि बाहिरमटुं
२७-५४४ प्रज्ञा०२२ पंचेवणुत्तराई २७-११४९ पाढामियधालुं कि
२२-५० पिच्छसि मुहं सतिलयं २७-५४३ पादियतिरिक्ख० अणंतरं २२-२४१सू० पाणातिपातषिरए पं० कम्मप० । पित्तस्स य सिंभस्स य २७-४७५ कओहिंतो उव० २२-१३३सू०
२२-२८७सू० पिसाय भूआ जस्खा य २७-९९५ , जोणि केवळ ठिई २२--१८सू. पाणातिवायबिरयस्स f० जी० पिंडं उवहिं च सिजं .-२७-७३० पंचिः
कि आरंभिया किरिया कजति पीईकरो वण्णकरो २७-५८१ उच०र० उव्व०२२२६३सू०
२२-२८८सू० पीयं थणअच्छीरं
२७-१६३४ पंचिदियतिरिक्व० पन्जवा २२-१०८सू० पाणिवहमुसावाए
२७-१७० पंचिंदियसंवरणं
पाणोऽवि पाडिहेरे २७-३७१
२७-१४७२ | पारिवायगभत्तो
| पुक्खरवरणं दीवं पु० बट्टे २१-१८१सू० पंडक अभिसेमसिलाओ २५-१०८सू० | पालय पुष्फे य.सोमजसे २५-७८ | पुट्ठाई० सहाई सुर्णति २२-१९०सू० पाओवगम भपियं २७-१७६३
२७--३३७ पुट्ठोगाढअणंतर
२२-१९८ पागडियपासुलीयं २७-५६२ पाचार्ण कम्माणं २७-१५१४ पुढविकाइए णं भंते ! पुढ०२१-२२९सू० पागारपरिक्खित्ता २७-११४२ | पावाणं पाषाणं ,
२७-२२२ | पुढथिकाइयस्स णं भंते ! केवतियं पाडलचंपयमल्लिय २७-५६६ | पावियपरमाणंदा
२७-२८ | काल टिती २१-२२८सू०
'सवृत्तिक आगम
सुत्ताणि
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