Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 38
________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ज-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए आ०१९ जाहे य पावियध्वं रा० २० जी०२१ TGT, होइ पमत्तो प्रज्ञा०२२ जिअलोयबंधुणो जिट्ठो चउदसपुत्री जिण प्रयभाविअचित्तो जिणवयणअणुगया जिणबयणे अणुरत्ता जिणवयण निच्छिक जिणवयणमणुगयमई २७-२८६५ | जीवपरिणामे पं २२-१८२सू० | जीवे पं० जाति दब्वाति २२-१६८सू० २७-२३१ | जीववहो अपवहो २७-३६८ ], जीबत्ति काली २२-२३३सू० २७-१५२४ | जीवस्स णं भंते ! गभगयस्स२७-४सू० | णाणा० कम्० २२-२९१सू० २७-३१ | जीवस्स पं० मारणं० २ २-२७६ " " २२-२९२सू० २७-१६९४ | जीवाणं० कतिविधे २२-२०३सू० ., पाणावरणिज २२-२८३सू० २७-१८९४ | जीवा पांच कतिहि ठाणेहि २२-१९०सू० णाणातिवाएणं २२-२८२सू० २७-२३० , , किं भासगा.-२२-१६६सू० , भंते ! उत्ताणए वा २७-२०० २७-१०६ । . ., सकिरिया २२-२८१सू० ..., गतिचरमे २२-१६०पू० " ," सञ्चमणप्प० २२-२०४सू० गभगए २७-५सू० २७-२३२ " ", सपणी २२-३१६९० " " दबलोपसु २७-९९० " ," सम्मविट्ठी २२-२५५सू० नरपसु २७-८९० २७-१५२३ " संजया २२-३९७सू० वेउडिवयसमु० २२-३४६० २७-२७५२ जीवे , अंतकिरियं २२-२५६सू० वेदणासमु०२२-३४५१० २७-१७५६ , , किं आहारए २२-३१०सू० | जीसे तयाए भग्गाए २२-५९ २७-१५०८ ", गभगए समाणे २७-६पूजीसे २२-६९ २७-२१६ ,,, जाई ताई २२-१७२सू० जीसे सालाए कट्ठाओ २२-७९ "" २२-१६९सू० ।, , तणु० २२-८३ 'सवृत्तिक आगम जिणवयणमणुगया मे | जिणवयण मणुगुणितो जिणवयणमणुस्सट्ठा जिणवयण पप्पमेय FRIENJAMMA सुत्ताणि जीव गइइंदियकाए ~ 38~

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