Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम संबंधी साहित्य
उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[ द-कार + ध-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
सूत्रांक
औ०१९/
२१ प्रज्ञा०२२
रा० २०
२६-२
देखीए
नि० प्रकी०२७
॥४६॥
२७-५०८
२७-४५१ २७ १०२८ २७-१६९८
दीप क्रमांक के लिए देखीए
दुण्हं आयरियाणं दुण्हपि रत्तसुकाण दुपएसिए णं भंते! दुष्पणिहिए य पिहिऊण दुमखंधे वाहरंतेसु दुबिहम्मि अहफ्खाए दूरत्थंपि विणासं दुरुज्झिअपत्ताइसु | देवत्ते मणुअत्त देवत्ते माणुस्से देवाइपोराणमेयं देवा गं० किं सदेवीया
, केवइयं० ठिई देवाणंदा णिई |... निरती देवाबि देवलोप देविंदचकवट्टित्तणाई
२७-५८३ | दो च्चेव सतसहस्सा २७-१४८७ | दोण्हं च पंच चत्तारि २१-१९३सू० | दो दो जंबुद्दीवे २७१७७५ नालिया मुहुत्तो २७ ७२३ दोनि अहोरत्त०
२७-६४ , सप छाबडे २७-१६६४ | दो मासे संपुण्गे २७-५५७ , वाउकुमारिंदा २७-२४५ | विज्जुकुमारिंदा २५-१२५ | दोससयगागरीणं २१-७४ | दो सागरोवमाई २४-७२ | दोसुत्थ अप्पमाणे २७-१०७७ | दो सुयणु ! सुवर्णिणदा
२७-१५६४ देविंदचकचट्टित्तणाई
२७-४७० २२-१५८सू० | देवे णं भंते ! महिहीए २७-१२६६ | देवो नेहेण णए
२७-२०५ | देसं खितं तु जाणित्ता २७-२१२५८ | देसिकदेसविरओ
देहो पिपीलियाहिति २७-७६६ | दो अच्छिअट्टियाई २७-६८२ |, उहिकुमारिदा
., कोसे अ गहाणं २०-९सू० ,, चंदा इह दीवे २२--३२४सू०
२२-९५सू २५-९६॥ ,, दो सूरा २४-२२॥ " " " " २७-६१३ |, चेय जंबुद्दीवे २७-१९५ , चेव नव य सया
'सवृत्तिक आगम
२७-५७० २७-११०३ २७-१५८३ २७-९४४ २७-९५१ २७-५६४ २७-८८४ २७-२८६१
सुत्ताणि
२७-१०३७ , हत्था दो पाया २७-९७४ | धणिट्ठा सयभिसा साई २७-१०४० | धण्णा कलत्तनियलेहि
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