Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 37
________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ।। ३१ ।। जंबुद्दीवे० ० जहण्णपए २५-१७६सू० जंबूदीवे णं भंते! कयरे० भंते! मंदर० ताराए० अवाहा २५-१७१० २१- २०२० तारारूवस्स भरहे वासे०सु० २५ २०स० 55 " भरहप्पमाण० २५- १२६० भारहे० काले २५-१८० मंदरस्स व्वय० २५-१३२५० सूरिआ उदीण० २५-१५१० उग्गमण २५- १३७० २५-१३८० 35 सूरिआनं० कि० २५-१३७० सूरिआ खेत्तं २५-१४०सू० मंदरस्स० चंद०२५- १४०सू० लचणे २२- २०४ २१-३२ 3. सच्च० सूरमंडले २५-१३३० जंबूर णं सुदंसणाए २१-१५३० "1 35 33 35 35 33 23 53 35 35 31 15 23 39 " 21 27 उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि- अकारादि [ ज-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) 35 11 39 " 33 " 31 35 33 33 33 31 22 33 जं मणवयकार हिं रागदोसमह बित्थीओ पभासंति अं सग्गहम्मि कीरह संठाणं तु हं 35 35 " 33 23 93 33 35 35 " सासयसुहसाहण० 23 35 सीसंपूरउत्ति सुचिरेणव होहिर 33 जाई मोग्गर तह जूहिया जाउलगमी लपरली जा एस सप्तमी सा उ जाओ परव्यसेणं जाओवि अ हमाओ ~37 ~ २१-१९७० २१-१९६०० जा काइ पत्थणाओं 13 23 33 २७-५४ 33 तस्स खमा तश्या २७-६३६ पुव्वभाविया किर 27 २७-९१७ जाम जाम दिण पक्ख० २७-८६५ जायमाणस्स जं दुक्खं १९- ११ जायमित्तस्स जंतुस्स २२-१६२ जावईआई दुखाई २७-१२१० जावाआ किर दोसा २७-२८१ जावइयं किंचि दुहं २७-५४८ जावइयंमि पमाणमि २७-१६०५ जावज्जीवं तिविहं 31 11 २२-२७ जाब य खेमसुमिखं २२-२५ जंबुद्दी २७-८५१ सुईन नासर २७-१६०९ जावंति के ठाणा २७-२०सू० " दुक्खा 33 35 35 २७-१९८ २७-१४९० २७-१६६९ २७-१४०७ २७-७१२ २७-४७२ २७-४७९ २७-३१९ २७-३८३ २७-१६३८ २५-४३ २७-३१८ २७-१३९० २७-९८० २७-१३८९ २७-१४२७ २७-६८७ PAARIAAUD सूर्य०) २३ चं० [२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ३१ ॥

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