Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम संबंधी साहित्य
उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[ज-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता उपांग-प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत सूत्रांक
सूर्य०१२३
.
औ०१९ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२
.
देखीए
जस्स सालस्स भग्गस्त जस्साउएण तुल्लार्ति जह अग्गिमि व पवले ,, अयगोलो धंतो ,, कागणीद हेट ,, कंटएण बिद्धो , खंदगसीसेहि ,, खुहियचक्वाले
की०२७
दीप क्रमांक के लिए देखीए
NEXANILIALISEX-26
२२-७० |जह णाम कोइ भिच्छो २२-२२९ ., तेण तत्थ मुण्णिा २७-१५२७ ,,, वितथमुणिणा
२२-१०२ ,,, सो हुयासो २७-१३०७ |, ते न पिअं दुक्खं २७-१२८४ ", समंसचम्मे २७-१६७८
|, दमदंतमहेसी २७-२१३ |, नाम असी कोसा २७-१५०३ ,, कोई मिच्छो २७-२८७१ , नाम पट्टणगओ २७-१८६६
,, यञ्चकूबो २७-१८९५, निवदुमुप्पनो - १९-४ जहन्नपएसिया णं भंते! - २७-२३३ | जहन्नोगाहगाणं २७-२५२६ | जहन्नोगाहणगाणं १९- जहन्नो० पंचिंदिय० १५-२४ |', पुढचिकाइया०
२२-१७४ | जहन्नो बेइंदियाणं २७-१६७४ , मणुस्साणं २७-१६५९ | जह पच्छिमंमि काले २७-१६६७ २७-३६५ " पुबुद्धअगमणो २७-१६८३ " वालो जंपतो २७-१६७७ २७-१७६६ २७-२२२४ २७-१८७७ बीहंति अ जीवा २७-५५९ , मक्कडओ खणमवि २७-२८९० ,, य अणुद्धयसल्लो २२-१२१सू० , वा तिलपप्पडिया
जहा वा तिलसकुलिया २२-२११सू०
| वेयणाघसट्टा २२-११५सू० 1, सगलसरिसवाणं २२-११३सू०
२२-११६सू०
२७-२६० २७-१५४३ २७-१२७७
२७-२५ २७-१५५ २७-१३३६ २७-१४५९ २७-१७९०
२७-३५९ २७-१५९३ २२-४६
२१-४ २७-१५९६
२१-३ २२-४५
'सवृत्तिक आगम
, जह बढप्पाण्णो , जह दोसोबरमो
जिणवयणामय ., जीवा बझंति , उहह बाउसहिओ ,, वायसहिओ " णरगा गम्मति
णाम कोइ मिच्छो
सुत्ताणि
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