Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Ggaathaaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 33
________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए रावृत्तिक आगम सुत्ताणि' औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ 11:20 11 छावतरं गहाणं जर इच्छसि नित्थरिॐ जर इच्छसि नीसरिडं २७-१५५१ उप्पज्जइ दुक्ख 33 कवि असुहकम्मो २७-१११ २७-४३१ 31 " खलु तस्सेव आदिश्वस्स २४-११स्० ० उपसेवओ 31 35 33 13 31 27 37 "" 35 उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ छ कार + ज कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलिता उपांग- प्रकीर्णक सूत्रादि - अकारादिः (आगम-संबंधी - साहित्य) 75 15 21 55 RRB :::: " 33 " 35 35 पुष्यिाणं णं भंते! उक्लेओ लवण० समणेणं समणेणं० 33 35 11 37 निरया २७-१०६३ २७-२६९ जता ते मुणिवरा सुपुरिसा 39 15 35 11 33 19 35 31 13 35 "1 12 55 33 13 २६-२५० जइया सवणिजगओ २६-३०सू० जवि न सक कार्ड परिचत्तसंग्गो २६-२९सू० २६-२७० स खंडिअ चंडो २६-२८० सयं धिरचित्तो 21 " सावयाकुल० 35 २६-२४स्० जर सागरोधमा 21 २६-२६० २१- १७४० २६-५० सोधि सव्वविरह० जगआहारो संघो जड्डाणं बुडाणं निश्वि० २६- २२० जणवयसंगतठवणा २६-२०सू० | जण्णामया य कूडा ~33~ २७-६९६ जति णं० समर्पणं २७-१५०५ २७-२१३ जन्तियमित्ते दिवसे २७-२१४ जत्तो वट्टविमाणं २७-१५०६ जत्थ अणुत्तरगंधा २७-१७८५ जयारमयारं २७-९८८१९ पित्तवि २७७४२ मुणीण कसार २७-४०३ य अजाकप्पं २७-३०० २७-७७५ २७-११५९ २७-३०७ २७-६८९ २७-५७७ २२-१९४ २५--३ 15 35 23 23 33 33 55 " अजाहिं समं उवस्सयाओ पगा खुड्डी एगा समणी एगो सिद्धो 35 35 11 39 ११. 35 33 22. 22 " 15 " 35 35 53 33 २६-२१स्० २६-२३० २७-४५० २७-११४३ २७-११५० २७-८१९ २७-१८३३ २७-८०६ २७- ७७० २७-८०० २७७७१ २७-८१७ २७-८१६ २७-८१८ १९-१७ २२-१६७ २७-१२१६ सूर्य० २३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ २७ ॥

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